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Panipat Tehsildar Gets Suspension Orders

Panipat (Haryana NEWS): Haryana Revenue Minister Shiv Charan Sharma on Tuesday ordered to suspend tehsildar and naib tehsildar of Panipat district for their alleged involvement in corruption.According to information, the action has been taken after the complained of BJP counselor Harish Sharma. In his complained to the revenue minister he said that no file has been moved without paying bribe in tehsil.
The minster also ordered departmental inquiry against the boath tehsildar Subhash Mehta and naib tehsildar Suresh Kumar.

Haryana Government Instruct Senior Officers to Hear Grievances of Public

Chandigarh (Haryana NEWS): Haryana Government on Wednesday issued circular instructing senior officers to remain available in their offices between 11 am to 12 noon on all working days to hear grievances and complaints of public.According to information, the Administrative Secretaries and Head of the Departments are requested to hold meetings normally between 9 am to 11 am and after 4 pm onwards as office work suffers due to frequent meetings throughout the day.

Haryana Red Cross Bhawan Chandigarh to Organize 19th State Ambulance Competitions

Chandigarh (Haryana NEWS): Haryana State Centre, Red Cross Bhawan, Chandigarh going to organize 19th State Ambulance Competitions under the aeigs of St. John Ambulance at Mahavir Stadium, Hisar from December 2 to 5, 2009.Information and conformation to this effect was shared by Col. G.P. Taneja State Secretary, St. John Ambulance Haryana that, Haryana Governor, Mr. Jagannath Pahadia, who was also President, St. John Ambulance (India), Haryana State Centre would preside over the valedictory function on concluding day on December 5 Around 100 teams from various educational institutions, police, home guards, railways, civil defence and factories were expected to participate in these competitions.
The main objective to make aware the Brigade Officers and Members with the latest knowledge andimprovement in the field of first aid, home nursing, fire fighting and transportation of casualties with proper handling at the time of emergency

भारत को न अमेरिका बनना है, न चीन: भागवत
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि भारत को अपने ढंग से आगे बढऩा है। उसे अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। श्री भागवत ने संसद के सभागार में तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' के विमोचन समारोह में कहा कि आज वास्तव में देश को आगे बढऩा है। लेकिन भारत का अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। भारत की विजय भारत बनने में ही है। ऐसा भारत बनने में जो दुनिया के हित के लिए समर्पण कर सके। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक वास्तव में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। प्रख्यात लेखक और पत्रकार तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' का कल संसद के सभागार में विमोचन हुआ। पुस्तक का विमोचन मोहन राव भागवत द्वारा किया गया। श्री भागवत ने कहा कि तरुण विजय की खासियत यह है कि वे जो लिखते हैं, दिल से लिखते हैं और इसी कारण उनकी लेखनी सीधे पाठक के दिल को छू लेती है।उन्होंने कहा कि मैं खुद तरुण विजय के लेखों को पसंद करता हूं, मैं उनका रसिक पाठक हूं, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं कि उनमें हमारी विचारधारा झलकती है, बल्कि इस कारण क्योंकि तरूण विजय की लेखनी में ईमानदारी होती है। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संपादक शेखर गुप्ता ने तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' और उनकी लेखनी के बारे में कहा कि तरुण विजय की खासियत है कि हम उनके कंटेंट से एक बार असहमत तो हो सकते हैं पर उनकी राष्ट्रवादी सोच सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि संवाद हमेशा जिंदा रहना चाहिए। तरुण विजय के लेख की भाषा और प्रस्तुतीकरण इतना उत्ताम होता है कि देश उनके विषयों को पूर्ण रूप से समझ पाता है। इस अवसर पर दैनिक जागरण समूह के सीईओ संजय गुप्ता ने कहा कि मैं पुस्तक के विषय पर कहना चाहूंगा कि सही में आज देश को संघर्ष कर आगे बढऩा है। मैं तरुण विजय से आग्रह करूंगा कि वह निरंतर लिखते रहें। अभी वह देश की सच्ची समस्याएं उठा रहे हैं पर मैं चाहूंगा कि वह इनसे निपटने के समाधानों पर भी विस्तृत रूप से लिखें।

रद्द होंगे सांसदों के जॉब कार्ड
भोपाल। केंद्रीय राज्यमंत्री अरुण यादव और उनके परिजनों को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम के तहत मजदूरी भुगतान का मामला उजागर होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब सांसद विधायक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के जॉब कार्ड निरस्त करेगा। विभाग जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साइबर सिक्युरिटी को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि नरेगा के तहत जॉबकार्ड वितरण व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। उपयोग न किए जाने वाले जिले के गणमान्य व्यक्तियों को जारी जॉबकार्ड निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि कलेक्टरों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में तैयार ऐसे सभी जॉबकार्ड जो सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों एवं जनपद पंचायत अध्यक्षों के नाम अथवा उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर बने है, उन्हें निरस्त किया जाए। इसके साथ ही कलेक्टरों से कहा जा रहा है कि अन्य प्रमुख व्यक्तियों की सूची तैयार कर ऐसी ही कार्रवाई के लिए जिले के प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त किया जाए। भार्गव ने बताया कि नरेगा के ऑॅनलाईन डाटा के साथ छेड़छाड़ की फिर कोई घटना न हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाए रहे हैं। जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साईबर सिक्योरिटी की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। पासवर्ड व्यवस्था में भी सुधार के उपाय किए जाएंगे, ताकि भविष्य में डाटा के साथ इस प्रकार की छेडख़ानी नहीं की जा सके। इस संबंध में भारत सरकार के साथ समन्वय हेतु लिखा जा चुका है।

चीते को बसाने पर मचा बवाल
जयराम रमेश की परियोजना पर बाघ विशेषज्ञ उठाने लगे हैं सवालअफ्रीकी चीते के लिए भारत में नहीं है घास के मैदाननई दिल्ली। क्योटो प्रोटोकॉल को लेकर विवाद में आए केंद्रीय पर्यावरण व वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयराम रमेश की चीता परियोजना पर भी बवाल मचने लगा है। बाघ विशेषज्ञों ने यह कहकर एतराज जताना शुरू कर दिया है कि अफ्रीकी चीते के लिए भारत में घास के मैदान नहीं हैं, ऐसे में यह चीता कहां दौड़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में चीता पांचवे दशक की शुरुआत में लुप्त हो गया था। बाघ विशेषज्ञों के तेवरों से साफ है कि मामला प्रधानमंत्री दरबार में पहुंच सकता है। हालांकि अभी देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान इस परियोजना का अध्ययन कर रहा है।किसान फिर चीते को जिंदा नहीं छोड़ेंगे इसकी रिपोर्ट के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा। लेकिन बाघ विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि खुद पर्यावरण व वन मंत्रालय में भी इस योजना की सफलता पर आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण की पिछले दिनों हुई बैठक में भी ज्यादातर सदस्यों ने इस परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए। प्राधिकरण की सदस्य व सांसद मेनका गांधी ने से कहा कि चीते को भारत लाना बेहद बड़ी गलती होगी। उन्होंने इसके कई कारण भी गिनाए। एक तो अफ्रीकी चीता घास के मैदानों में रहता है, जंगलों में नहीं। यहां घास के बड़े मैदान नहीं हैं। ऐसे में यह चीता खेतों में दौड़ने लगेगा। इससे फसल चौपट होगी और किसान फिर चीते को जिंदा नहीं छोड़ेंगे।कम से कम एक दर्जन चीता लाने होंगेइसके अलावा चीते को आबाद करने के लिए कम से कम एक दर्जन चीता लाने होंगे। इतने ज्यादा चीते भला कौन देगा। चीता परिवार के भाई-बहन कभी भी आपस में परिवार नहीं बसाते। लेकिन यहां एक ही परिवार से पैदा बच्चों में बीमारियों का ज्यादा खतरा रहेगा। इससे उनकी संख्या भी नहीं बढ़ पाएगी। फिर एक ही रास्ता बचेगा कि चीता को चिड़ियाघर में डाल देना पड़ेगा।कहां पाया जाता है चीताचीता खुली जगह, छोटा मैदान, अर्द्घ-शुष्क क्षेत्र जहां शिकार उपलब्ध हो, वहां पाया जाता है। एशियाई चीते ईरान के कवीर रेगिस्तानी क्षेत्र के अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान में भी पाए जाते हैं। 90 के दशक तक ईरान में चीतों की संख्या 200 से अधिक थी, लेकिन अब 50 से 100 के बीच है।क्या है चीता परियोजनालगभग छह दशक पहले भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के जंगलों से गायब हो चुके चीते को दोबारा आबाद करने की मुहिम जयराम रमेश ने छेड़ी है। विशेषज्ञों के मुताबिक अफ्रीकी चीता यहां के जंगलों में बसाया जा सकता है। क्योंकि दोनों महाद्‌वीपों के चीतों में जेनेटिक तौर पर अंतर नहीं है।

आग से जयपुर में रेल मार्ग हुआ बंद
जयपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे ने जयपुर के सीतापुरा इलाके में आईओसी डिपो में कल शाम से लगी भीषण आग को देखते हुए जयपुर -सवाई माधोपुर मार्ग पर ट्रेनों का संचालन आगामी आदेश तक रोक दिया है। जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग आईओसी डिपो से कुछ फर्लांग की दूरी पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी यशवन्त कुमार शर्मा के अनुसार आईओसी डिपो में आग लगने के बाद इस मार्ग से गुजरने वाली तीन गाड़ियां रद्‌द कर दी गई हैं तथा जयपुर से सवाई माधोपुर की ओर जाने वाली और सवाई माधोपुर से जयपुर की ओर आने वाली अन्य गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगले आदेश तक जयपुर - सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात बंद रहेगा।कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तनशर्मा के अनुसार जयपुर-एर्नाकुलम, जोधपुर-इन्दौर, भोपाल-जोधपुर, बांद्रा-जयपुर, मुम्बई सैंट्रल-जयपुर, मुम्बई-जयपुर, जबलपुर-जयपुर गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग फुलेरा, चितौड़गढ़-अजमेर के रास्ते भेजा जा रहा है और इसी रास्ते वे वापस भी आ रही हैं। उन्होंने बताया कि जयपुर-राजेन्द्र नगर गाड़ी बांदीकुई से जयपुर होते हुए अजमेर भेजी जा रही है जबकि पुरी से जयपुर की गाड़ी भरतपुर बांदीकुई के रास्ते चलाई जा रही है। शर्मा के अनुसार जयपुर-श्यामगढ, जयपुर-बयाना समेत तीन गाडियां रदद कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि आग लगने के कुछ घंटे बाद जयपुर आने वाली स्पेशल ट्रेन को वनस्थली रेलवे स्टेशन पर रोक दिया गया।कुछ समय की प्रतीक्षा के बाद इस ट्रेन को वनस्थली पर ही समाप्त कर पुन बयाना के लिए रवाना किया गया। शर्मा के अनुसार जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात अगले आदेश तक निरस्त रहेगा।

नागपुर में मैच, दिल्ली में सट्टा, तीन अरेस्ट
नई दिल्ली।। बुधवार को जब नागपुर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच चल रहा था, उस दौरान दिल्ली के शकरपुर इलाके में अपने घर में बैठकर 3 भाई हाईटेक तरीके से इस मैच पर सट्टा लगा रहे थे। पुलिस ने इनके घर पर रेड डाली और इन तीनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान अभिनव उर्फ लकी उर्फ आनंद (28), अनिल सलूजा उर्फ मनु (26) और रवि सलूजा (24) के रूप में हुई। ये तीनों लक्ष्मी नगर के गुरु रामदास नगर में रहते हैं। पुलिस ने इनके घर से 3 टीवी सेट, एक लैपटॉप, एक नेट कनेक्शन सेट, एक कैलकुलेटर, 2 रजिस्टर, मोबाइल फोन चार्ज करने के 5 एक्सटेंशन बोर्ड, 126 मोबाइल फोन, 36 मोबाइल चार्जर, 2 वॉकी टॉकी फोन और एक रिमोट जब्त किया है। जिस वक्त पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया, उस वक्त मैच चल रहा था और तब तक ये लोग एक करोड़ से ज्यादा का सट्टा लगा चुके थे। अडिशनल डीसीपी (ईस्ट डिस्ट्रिक्ट) ओ. पी. मिश्रा के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि शकरपुर इलाके के एक घर में भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच पर सट्टा लगाया जा रहा है। पुलिस ने गुरु रामदास नगर स्थित उस मकान पर छापा मारा और वहां से इन तीनों अभियुक्तों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि ये लोग 2 महीने से यह रैकेट चला रहे थे और पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते थे। यह रैकेट पहले मुंबई से ऑपरेट किया जाता था, लेकिन बाद में इसे फरीदाबाद और गुड़गांव से ऑपरेट किया जाने लगा। रैकेट के सदस्य दिल्ली के विभिन्न इलाकों में काम करते थे और क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगवाते थे। एक तरफ ये लोग गुड़गांव और फरीदाबाद में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में रहते थे और उनसे लगातार सट्टे के रेट लेते रहते थे, वहीं दूसरी तरफ ये लोग अपने ग्राहकों के संपर्क में रहकर उनसे भी रेट लेते रहते थे। चूंकि संपर्क का सारा काम मोबाइल के जरिए होता था, इसलिए इन लोगों ने कई मोबाइल ले रखे थे। अपने ग्राहकों को भी ये लोग अलग अलग मोबाइल नंबर देते थे। मैच की स्थिति के हिसाब से सट्टे के भाव ऊपर-नीचे होते रहते थे। मैच खत्म होने के बाद इनके साथी कस्टमर से मिलकर पैसे कलेक्ट करते थे और फिर यह रकम आपस में बांट ली जाती थी। पूछताछ में पता चला कि यह रैकेट मैचों के अलावा चुनावों के दौरान भी राजनीतिक पार्टियों की हार-जीत पर सट्टा लगवाता था।

The quality and quantity is needed for one and all in India--Dr MM Goel
There is a strong case to remove inconsistencies and contradictions between educational goals, actual policy and resources for sustainable human development for Indians in India and elsewhere in the world which calls for manpower planning ensuring accessibility, affordability and quality. To ground the educational programmes in the labour market realities, there is an urgent need of the data to develop occupational analysis with forecasting coupled with appropriate institutional mode of delivery. It is essential for manpower planning because the vocational, higher and technical education programmes have not only failed to tackle the problem of educated unemployment but aggravated it as the rates of unemployment have a tendency to rise sharply with every increase in the level of education' opined Dr MM Goel, Professor & Chairman Department of Economics, Kurukshetra University, Kurukshetra. He was addressing the students of Bhagwan Shri Krishna College of Education, on 'Excellence Models for Teachers in a Changing Economic Scenario'.There is a strong case for reducing the gap between intellectuals and politicians in power to ensure good governance in all sectors of the economy including education which calls for teacher's constituency in parliament as well as State assemblies, believes Professor Goel who is the convener Intellectual cell of the Haryana Pradesh Congress Committee (HPCC).Every possible effort needs to be made for the quality and quantity (both -which has a trade off) for making education as a life insurance for one and all in India. We need to declare education as the basic infrastructural activity.To reduce the critical gap in terms of availability of opportunity of higher education between the rural and urban area in India, Professor Goel justified more allocation of public sector allocation for opening more educational institutions of higher learning in rural areas. He made a call for treating higher education as a highly valuable service that has a price tag and not a heavily subsidized commodity. There is a case for formulating a well-conceived, well planned and equally well implemntable strategy for higher education in India, believes Professor Goel. He said that the educational value of education is more important than the economic value of education which should increase the value of education rather than devaluing the value of education. Professor Goel firmly believes that the education which makes people selfish, egoistic and intolerant is no education. We need to promote a healthy reaction to the individualism and materialism- the dominant trend of modern education and re- conceive the process of education, not merely as an instrument of providing job but an activity that nurtures a continuous growth of the mind and the spirit, and respect the ethics and morals necessary for ordering and illumination of life, observed Professor Goel who belongs to a family of teachers for four generations. Professor Goel feels pain in saying that spiritual bankruptcy and the Commercialization of education are the root causes of deteriorating educational standards in India and is a serious issue of concern for polluting relationship between teacher and student of today. He admitted that to some extent, the teachers are eroding the faith and confidence in Indian education system Being a humble devotee of Lord Krishna , Professor Goel believes that spirituality- the science of soul which is ism neutral and religion free flowing from Bhagwad Gita -a sacro-secular epic needs to be accepted as mantra of excellence by the entire humanity including the teachers of today and tomorrow in all walks of life. Professor Goel emphasized the active participation of private sector in the likelihood of growing demand in future which has to effect a change in the mind set of the masses. To keep the higher education within the reach of poor aspirants, Professor Goel made a case for effective monitoring and regulation of the private sector through appropriate policy measures - a judicious mix of policies, which ensure efficient use of the available educational resources. He has justified the use of cost-benefit analysis for developing new projects of higher education. To plug the loopholes in non-performance, he has rightly pointed out the need for accountability. To justify the Skill of writing as an art, he quoted Alexander Pope, "True ease in writing come by Art not by chance as s (he) moves easiest who has learnt to dance". In his opinion, the writing is not an easy task and is an art which can certainly be developed through lot of reading. It needs to be noted that societies and nations can live without writing but no society can exist without reading, added Goel. Earlier Mrs. Poonam Gupta Principal of the college welcomed & introduced Professor Goel.

15 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं
जयपुर। जयपुर के सीतापुरा क्षेत्र में स्थित आईओसी तेल डिपो में बृहस्पतिवार शाम करीब साढे सात बजे से लगी विकराल आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। सेना और मथुरा रिफाइनरी से पंहुचे विशेषज्ञ आग की भीषणता के कारण आग से प्रभावित डिपो के करीब नहीं पंहुच पा रहे है।डिपो में घटना के वक्त तैनात अधिकारियों और कमच्चारियों को लेकर असमंजसता की स्थिति बनी हुई है।केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवडा ने जयपुर पहुंच कर स्थिति की समीक्षा करते हुए राज्य सरकार को हर संभव सहयोग एवं मदद का आश्वासन दिया है। आईओसी के मुख्य आपरेशन अधिकारी राजेश स्याल से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने इस संबंध में कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया और केवल इतना कहा कि वह किसी आवश्यक मीटिंग में हैं। इसी तरह एक अन्य अधिकारी ने भी इस बारे में कुछ भी बताने में असमर्थकता व्यक्त की। सू़त्रों ने बताया कि तेल डिपो में कामकाज समाप्त होने के बाद आम तौर पर बीस से तीस कर्मचारी तैनात रहते है। जयपुर जिला कलेक्टर कुलदीप रांका के अनुसार आयल डिपो में लगी आग से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और एक सौ चालीस लोग घायल हुए है। उन्होने कहा कि 36 घायलों को छोडकर शेष को प्राथमिक उपचार के बाद छुटट्ी दे दी गई है। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार मृतकों और घायलों की संख्या इससे अधिक है।अधिकारिक सूत्रों के अनुसार आग पर काबू पाने के प्रयास जारी है। सेना जिला प्रशासन और मथुरा रिफाइनरी से आए विशेषज्ञ दल को आग पर काबू पाने के लिए कल आधी रात के बाद से सहयोग कर रही है।उन्होने बताया कि आयल डिपो से करीब एक किलोमीटर के दायरे को जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कल रात ही खाली करवा लिया था। उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों को सरकारी भवनों और स्कूल भवनों में आश्रय दिया गया है तथा उन्हें मुफ्त खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट कुलदीप रांका ने प्रभावित इलाके के स्कूलों को आज एहतियात के तौर पर बंद रखने के आदेश दिए है।सूत्रों के अनुसार जयपुर से टोंक की ओर जाने वाले सड़क मार्ग पर कल रात से ही यातायात रोक दिया गया है। इस मार्ग पर जाने वाले वाहनों को परिवर्तित मार्ग से निकाला जा रहा है। सूत्रों से जब जानना चाहा कि आग पर कब तक काबू पा लिया जाएगा, उन्होंने कहा आग पर काबू पाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कब तक आग बुझेगी इस बारे में मैं भी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सकता।इधर आयल डिपो में कल लगी आग में करीब ग्यारह डीजल पेट्रेल टैंकर जलकर पिघल गए है वहीं आग से अरबों रूपए का नुकसान हुआ है। आयल डिपो सूत्रों ने बताया कि आग से करोड़ो लीटर पेट्रोल,डीजल और केरोसीन जल गया है।आग से हुए नुकसान का आंकलन फिलहाल शुरू नहीं किया गया लेकिन यह नुकसान अरबों रूपए में होने की आशंका है।आग की लपटें अभी भी लगातार भयावह रूप से उठ रही है। आग से निकला काला भयावह धुआं दूर से नजर आ रहा है।

गैस की कम कीमत क्या जनहित में नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने आरआईएल से पूछा सवालमुकेश अंबानी की कंपनी को करना पड़ा पेचीदे सवालों का सामनानई दिल्ली।अंबानी बंधुओं की कंपनियों के बीच खनिज गैस को लेकर जारी कानूनी जंग में मुकेश समूह की कंपनी आरआईएल को बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में खूब पेचीदा सवालों का सामना करना पड़ा। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने आरआईएल से पूछा कि यह कैसे माना जाए कि अनिल समूह की आरएनआरएल के लिए गैस की कीमत बढ़ाने की उसकी मांग सार्वजनिक हित में है।केजी बेसिन परियोजना की गैस की मांगअदालत ने कहा कि क्या यह सार्वजनिक हित में नहीं है कि सभी को 2.34 डॉलर प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) के भाव से गैस की आपूर्ति की जाए। अगर सरकार कहे कि गैस की कीमत सबके लिए 2.34 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो तो क्या ऐसा करना सार्वजनिक हित में नहीं होगा? मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और पी सदाशिवम की बेंच ने आरआईएल के वकील की दलील पर कहा कि 2.34 डॉलर से बढ़ाकर 4.20 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू किए जाने से सिर्फ (आरआईएल) को फायदा हो रहा है जनता को नहीं। आरएनआरएल आरआईएल से रिलायंस घराने के बंटवारे के समय हुई पारस्परिक सहमति के समझौते के आधार पर सरकार द्वारा तय दर से 44 फीसदी कम दर पर रिलायंस की केजी बेसिन परियोजना की गैस की मांग कर रही है।उत्पादन बंटवारा अनुबंध से नहीं बंधीवरिष्ठ वकील हरीश साल्वे आरआईएल के गैस विपणन के अधिकार पर रिलायंस की ओर से दलील दे रहे थे। पीठ ने कहा कि अगर गैस की आपूर्ति कम कीमत पर होती है तो देश को फायदा होगा। साल्वे ने कहा कि फिलहाल आरआईएल के जामनगर संयंत्र के लिए नौ डालर प्रति एमएमबीटीयू की दर से गैस खरीदी जा रही है और सरकारी कंपनी एनटीपीसी भी इसी तरह पर गैस खरीद रही है। कंपनी उससे गैस खरीद कर उसको किसी कीमत पर बाजार में बेचने के लिए आजाद है क्योंकि गैस खरीदने वाली वाली कंपनी सरकार और रिलायंस के साथ हुए उत्पादन बंटवारा अनुबंध से नहीं बंधी है।

भारतीय यात्रा के दौरान सावधान रहें’
अमेरिका ने अपने नागरिकों को चेतायाआतंकी संगठन भारत में हमले की ताक मेंवाशिंगटन। एक अमेरिकी नागरिक के जरिए भारत में आतंकवादी हमले कराने की पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा की साजिश का एफबीआई द्वारा भंडाफोड़ किए जाने के बाद अमेरिका ने आज अपने नागरिकोंं को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे भारत की यात्रा के दौरान सतर्क रहें। भारत के संबंध में ताजा यात्रा चेतावनी करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि अमेरिकी सरकार को लगातार ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि आतंकवादी संगठन भारत में हमले की योजना बना रहे हैं। यह चेतावनी त्यौहारों के मौसम में इससे पूर्व विदेश मंत्रालय द्वारा जारी चेतावनी की जगह पर नए सिरे से जारी की गयी है।क्षमता और इच्छा का प्रदर्शन विदेश विभाग के ब्यूरो आफ कोंसुलर अफेयर्स ने कहा है कि आतंकवादी और उनके साथ सहानुभूति रखने वालों ने ऐसे स्थानों को हमले का निशाना बनाने की अपनी क्षमता और इच्छा का प्रदर्शन किया है जहां अमेरिकी या पश्चिमी लोग जाते हैं। ताजा चेतावनी अगले वर्ष 28 जनवरी तक प्रभावी रहेगी। विभाग ने कहा है कि पिछले वर्ष नवंबर के मुंबई आतंकवादी हमलों ने इस बात की यादें ताजा कर दी हैं कि होटल तथा अन्य सार्वजनिक स्थल आतंकवादी संगठनों के निशाने पर हैं। चेतावनी में कहा गया है कि अमेरिकी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे हमेशा सुरक्षा बरतें, आसपास की स्थितियों को लेकर चौकस रहें और अधिक बाहर न निकलें।स्थानीय समाचार रिपोर्टो पर नजर रखेंचेतावनी में कहा गया है कि अमेरिकियों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय समाचार रिपोर्टो पर नजर रखें और सार्वजनिक स्थलों, धार्मिक स्थलों पर जाते समय और होटल, रेस्त्रां, मनोरंजन स्थलों आदि का चयन करते वक्त वहां के सुरक्षा हालात को ध्यान में रखें। एफबीआई ने कल कहा था कि 49 वर्षीय अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडले लश्कर-ए-तय्यबा नेताओं के करीबी संपर्क में है और भारत में हमले की योजना बनाने में वह संगठन की मदद कर रहा है। हेडले को पाकिस्तानी मूल के एक कनाडाई के साथ इस माह के शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था।

मदर डेयरी ने बढ़ाईं दूध की कीमतें
नई दिल्ली।। बस किराया और पानी के बाद अब दिल्लीवासियों पर महंगे दूध की मार पड़ेगी। मदर डेयरी शिनवार से टोंड और फुल क्रीम दूध की कीमतें बढ़ाने जा रही है। टोंड एक रुपये, जबकि फुलक्रीम 2 रुपये प्रतिलीटर महंगा होगा। टोंड अब 21 रुपये की जगह 22 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। फुलक्रीम की कीमत अब 28 रुपये प्रति लीटर होगी। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही लगभग सभी दूध कंपनियों ने कीमतें बढ़ाई थीं। दूध की महंगी कीमतों के चलते इससे बनने वाले कई प्रॉडक्ट भी महंगे हुए थे।

लपटों से लाल हुई पिंक सिटी, 12 मरे
आईओसी डिपो में आग पर काबू नहींईंधन को जलने देना ही विकल्प : देवड़ाजयपुर। जयपुर के सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र में इंडियन ऑयल के एक डिपो में लगी आग की स्थिति का ज्यााज्ाा लेने पहुंचे पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा का कहना है कि डिपो में पूरे ईंधन को ज्लाने देने के अलावा फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं है। देवड़ा ने आज सुबह संवाददाताओं से कहा कि देश में यह एक अप्रत्याशित घटना है। पूरे ईंधन को ज्लाने देना होगा। इसके बाद ही विश्षोज्ञ मौके पर पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्स्थाान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विचार-विमर्श करने के बाद वह खुद इस घटना की ज्चाां का आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि आग से हुए नुकसान का आकलन किया ज् रहा है।आग पर अभी तक काबू नहीं दूसरी तरफ जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक इलाके में भारतीय तेल निगम डिपो में लगी आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। इस बीच, केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा जयपुर पहुंच गए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आग बुझाने में जिला प्रशासन मदद कर रहा है। आग के भीषण रूप को देखते हुए एक किलोमीटर क्षेत्र को कल रात से ही जिला प्रशासन ने खाली करवा लिया था। जिला प्रशासन ने आईओसी डिपो से सटे सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है।आग में 150 लोग झुलसेइससे पहले इंडियन ऑयल की तेल डिपो में लगी भीषण आग ने बृहस्पतिवार को पिंक सिटी जयपुर में तबाही का मंजर ला दिया। सूत्रों के अनुसार हादसे में 12 लोगों की मौत हुई है, जबकि 150 लोग झुलस गए हैं। मृतकों की संख्या बढ़ सकती ेहै। आग की लपटें इतनी ऊंची उठ रही हैं कि आसपास के इलाकों पर खतरा मंडराने लगा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पांच किलोमीटर तक का इलाका खाली करा दिया गया है। यहां दस गांव हैं जिनमें पांच लाख लोग रहते हैं। साथ ही बिजली आपूर्ति रोक दी गई है।270 जवानों को घटनास्थल पर भेजापेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा है कि आग बेहद भयंकर है और इसे काबू करने में खासी दिक्कत आ रही है। देवड़ा हालात का जायजा लेने के लिए जयपुर पहुंच चुके है। हालात को संभालने के लिए सेना के 270 जवान मौके पर मौजूद थे। आईओसी और एचपीसीएल के चेयरमैन घटना स्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। हादसे की वजह पाइपलाइन में लीक को माना जा रहा है। मृतकों के परिजनों को राजस्थान सरकार ने दो लाख रुपये राहत राशि देने का ऐलान किया है।30 दमकल गाड़ियां लगाई आग बुझाने मेंतेल डिपो में लगी आग पर काबू पाने को दमकल की 30 गाड़ियां लगाई गईं। इसके बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पा रही थी। जयपुर के चीफ फायर ऑफिसर ने कहा है कि अभी हम आग को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। आग बुझाने का काम सुबह से पहले शुरू कर पाना संभव नहीं है। हादसे में घायल हुए लोगों को सवाई मान सिंह और महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी भी डिपो के अंदर कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।आग गैस लीकेज की वजह से लगीपुलिस महानिरीक्षक बीएल सोनी ने बताया कि आईओसी डिपो में आग गैस लीकेज की वजह से लगी। नई दिल्ली में मौजूद आईओसी के एक अधिकारी ने कहा कि बचाव कार्य में मदद के लिए दिल्ली और मुंबई से विशेषज्ञों का दल भेजा गया है। जयपुर स्थित आईओसी की इस डिपो में तेल के 11 टैंकर हैं। आग ने सभी टैंकरों को अपनी चपेट में ले लिया है। इन टैंकर में पांच पेट्रोल, तीन डीजल और तीन केरोसिन तके टैंकर हैं। इनकी क्षमता 40-40 हजार किलो लीटर है। फिलहाल इन टैंकरों में 80 लाख लीटर तेल था।

फर्जी निकली NRI दुल्हनियां, पकड़ा गया गिरोह
चंडीगढ़। पंजाब के मोगा में फर्जी शादी कराने वाले एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिसकी करतूतें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। ये गिरोह लड़कों को विदेश में बसाने के नाम पर लाखों का चूना लगाता था। मोगा में एक शादी के जश्न में दोस्त-रिश्तेदार झूम रहे थे। दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को वरमाला पहनाने वाले थे कि अचानक किसी ने चिल्लाकर कहा कि ये दुल्हन तो फर्जी है। बस फिर क्या था। पल भर में यहां का पूरा मंजर ही बदल गया। बारातियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। दूल्हा सन्न रह गया और दुल्हन चुपचाप एक कोने में बैठी रही। थोड़ी देर में यहां पुलिस भी पहुंच गई। दूल्हे के परिजन कहने लगे कि उनके साथ धोखा हो गया। दरअसल लुधियाना के बूटा सिंह की ख्वाहिश थी कि वो विदेश में जाकर पैसा कमाए लेकिन विदेश जाने का कोई जरिया नहीं मिल रहा था। लुधियाना में बिट्टू नाम के एक ट्रैवल एजेंट ने बूटा सिंह को एनआरआई लड़की से शादी कराकर कनाडा भेजने का दावा किया। प्रवीण नाम की इस लड़की से बूटा की शादी तय हो गई। सौदा 20 लाख रुपए में तय हुआ। बूटा सिंह ने अपनी जमीन बेचकर लड़की वालों को डेढ़ लाख रुपए दे दिए लेकिन शादी के दौरान प्रवीण को किसी ने पहचान लिया कि वो एनआरआई नहीं है।
शिकायत के बाद पुलिस ने लड़की समेत गिरोह के चार लोगों को हिरासत में ले लिया। हालांकि दुल्हन का दावा है कि उसे खुद एनआरआई लड़के से शादी कराने का झांसा दिया गया था। फिलहाल पुलिस इस मामले की तफ्तीश में जुट गई है। पंजाब में ऐसे युवकों की कमी नहीं है जो विदेश जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं और अगर विदेश में रिश्ता हो जाए तो बात ही क्या! इन लोगों की इसी कमजोरी का फायदा अब फर्जी ट्रेवल एजेंट उठा रहे हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजना
डिण्डौरी। गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के १८ से ६४ वर्ष तक की आयु के नि:शक्त(विकलांग) व्यक्ति को शासन द्वारा हर माह ५०० रू. की पेंशन प्रदाय की जायेगी। इस योजना के अंतर्गत पात्रता रखने वाले हितग्राही पेंशन पाने के लिए अपने क्षेत्र की जनपद पंचायत या नगरीय निकाय संस्था से सम्पर्क कर आवेदन पत्र का प्रारूप प्राप्त कर सकते है। केन्द्र शासन द्वारा नि:शक्त व्यक्तियों के सामाजिक उत्थान के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के नि:शक्त (विकलांग) व्यक्ति को हर माह ५०० रू. की पेंशन प्रदाय की जायेगी।
यह पेंशन ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों के नि:शक्त व्यक्ति को प्रदान की जायेगी। इस पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की आयु १८ से ६४ वर्ष के बीच होना चाहिए। आवेदक को कम से कम ४० प्रतिशत विकलांग होना चाहिए। आवेदक का नाम गरीबी रेखा की सर्वे सूची में शामील होना अनिवार्य है। पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को आवेदन पत्र के साथ ४० प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र पेश करना होगा। इस योजना के अंतर्गत पेंशन पाने की पात्रता रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राही अपने क्षेत्र की जनपद पंचायत से सम्पर्क कर सकते है। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्र के हितग्राही अपने क्षेत्र की नगरीय निकाय संस्था से सम्पर्क कर अपना आवेदन पेश कर सकते है।

भारत को न अमेरिका बनना है, न चीन: भागवत
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि भारत को अपने ढंग से आगे बढऩा है। उसे अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। श्री भागवत ने संसद के सभागार में तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' के विमोचन समारोह में कहा कि आज वास्तव में देश को आगे बढऩा है। लेकिन भारत का अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। भारत की विजय भारत बनने में ही है। ऐसा भारत बनने में जो दुनिया के हित के लिए समर्पण कर सके। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक वास्तव में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। प्रख्यात लेखक और पत्रकार तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' का कल संसद के सभागार में विमोचन हुआ। पुस्तक का विमोचन मोहन राव भागवत द्वारा किया गया। श्री भागवत ने कहा कि तरुण विजय की खासियत यह है कि वे जो लिखते हैं, दिल से लिखते हैं और इसी कारण उनकी लेखनी सीधे पाठक के दिल को छू लेती है।उन्होंने कहा कि मैं खुद तरुण विजय के लेखों को पसंद करता हूं, मैं उनका रसिक पाठक हूं, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं कि उनमें हमारी विचारधारा झलकती है, बल्कि इस कारण क्योंकि तरूण विजय की लेखनी में ईमानदारी होती है। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संपादक शेखर गुप्ता ने तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' और उनकी लेखनी के बारे में कहा कि तरुण विजय की खासियत है कि हम उनके कंटेंट से एक बार असहमत तो हो सकते हैं पर उनकी राष्ट्रवादी सोच सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि संवाद हमेशा जिंदा रहना चाहिए। तरुण विजय के लेख की भाषा और प्रस्तुतीकरण इतना उत्ताम होता है कि देश उनके विषयों को पूर्ण रूप से समझ पाता है। इस अवसर पर दैनिक जागरण समूह के सीईओ संजय गुप्ता ने कहा कि मैं पुस्तक के विषय पर कहना चाहूंगा कि सही में आज देश को संघर्ष कर आगे बढऩा है। मैं तरुण विजय से आग्रह करूंगा कि वह निरंतर लिखते रहें। अभी वह देश की सच्ची समस्याएं उठा रहे हैं पर मैं चाहूंगा कि वह इनसे निपटने के समाधानों पर भी विस्तृत रूप से लिखें।

रद्द होंगे सांसदों के जॉब कार्ड
भोपाल। केंद्रीय राज्यमंत्री अरुण यादव और उनके परिजनों को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम के तहत मजदूरी भुगतान का मामला उजागर होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब सांसद विधायक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के जॉब कार्ड निरस्त करेगा। विभाग जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साइबर सिक्युरिटी को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि नरेगा के तहत जॉबकार्ड वितरण व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। उपयोग न किए जाने वाले जिले के गणमान्य व्यक्तियों को जारी जॉबकार्ड निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि कलेक्टरों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में तैयार ऐसे सभी जॉबकार्ड जो सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों एवं जनपद पंचायत अध्यक्षों के नाम अथवा उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर बने है, उन्हें निरस्त किया जाए। इसके साथ ही कलेक्टरों से कहा जा रहा है कि अन्य प्रमुख व्यक्तियों की सूची तैयार कर ऐसी ही कार्रवाई के लिए जिले के प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त किया जाए। भार्गव ने बताया कि नरेगा के ऑॅनलाईन डाटा के साथ छेड़छाड़ की फिर कोई घटना न हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाए रहे हैं। जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साईबर सिक्योरिटी की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। पासवर्ड व्यवस्था में भी सुधार के उपाय किए जाएंगे, ताकि भविष्य में डाटा के साथ इस प्रकार की छेडख़ानी नहीं की जा सके। इस संबंध में भारत सरकार के साथ समन्वय हेतु लिखा जा चुका है।

चीते को बसाने पर मचा बवाल
जयराम रमेश की परियोजना पर बाघ विशेषज्ञ उठाने लगे हैं सवालअफ्रीकी चीते के लिए भारत में नहीं है घास के मैदाननई दिल्ली। क्योटो प्रोटोकॉल को लेकर विवाद में आए केंद्रीय पर्यावरण व वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयराम रमेश की चीता परियोजना पर भी बवाल मचने लगा है। बाघ विशेषज्ञों ने यह कहकर एतराज जताना शुरू कर दिया है कि अफ्रीकी चीते के लिए भारत में घास के मैदान नहीं हैं, ऐसे में यह चीता कहां दौड़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में चीता पांचवे दशक की शुरुआत में लुप्त हो गया था। बाघ विशेषज्ञों के तेवरों से साफ है कि मामला प्रधानमंत्री दरबार में पहुंच सकता है। हालांकि अभी देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान इस परियोजना का अध्ययन कर रहा है।किसान फिर चीते को जिंदा नहीं छोड़ेंगे इसकी रिपोर्ट के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा। लेकिन बाघ विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि खुद पर्यावरण व वन मंत्रालय में भी इस योजना की सफलता पर आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण की पिछले दिनों हुई बैठक में भी ज्यादातर सदस्यों ने इस परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए। प्राधिकरण की सदस्य व सांसद मेनका गांधी ने से कहा कि चीते को भारत लाना बेहद बड़ी गलती होगी। उन्होंने इसके कई कारण भी गिनाए। एक तो अफ्रीकी चीता घास के मैदानों में रहता है, जंगलों में नहीं। यहां घास के बड़े मैदान नहीं हैं। ऐसे में यह चीता खेतों में दौड़ने लगेगा। इससे फसल चौपट होगी और किसान फिर चीते को जिंदा नहीं छोड़ेंगे।कम से कम एक दर्जन चीता लाने होंगेइसके अलावा चीते को आबाद करने के लिए कम से कम एक दर्जन चीता लाने होंगे। इतने ज्यादा चीते भला कौन देगा। चीता परिवार के भाई-बहन कभी भी आपस में परिवार नहीं बसाते। लेकिन यहां एक ही परिवार से पैदा बच्चों में बीमारियों का ज्यादा खतरा रहेगा। इससे उनकी संख्या भी नहीं बढ़ पाएगी। फिर एक ही रास्ता बचेगा कि चीता को चिड़ियाघर में डाल देना पड़ेगा।कहां पाया जाता है चीताचीता खुली जगह, छोटा मैदान, अर्द्घ-शुष्क क्षेत्र जहां शिकार उपलब्ध हो, वहां पाया जाता है। एशियाई चीते ईरान के कवीर रेगिस्तानी क्षेत्र के अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान में भी पाए जाते हैं। 90 के दशक तक ईरान में चीतों की संख्या 200 से अधिक थी, लेकिन अब 50 से 100 के बीच है।क्या है चीता परियोजनालगभग छह दशक पहले भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के जंगलों से गायब हो चुके चीते को दोबारा आबाद करने की मुहिम जयराम रमेश ने छेड़ी है। विशेषज्ञों के मुताबिक अफ्रीकी चीता यहां के जंगलों में बसाया जा सकता है। क्योंकि दोनों महाद्‌वीपों के चीतों में जेनेटिक तौर पर अंतर नहीं है।

आग से जयपुर में रेल मार्ग हुआ बंद
जयपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे ने जयपुर के सीतापुरा इलाके में आईओसी डिपो में कल शाम से लगी भीषण आग को देखते हुए जयपुर -सवाई माधोपुर मार्ग पर ट्रेनों का संचालन आगामी आदेश तक रोक दिया है। जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग आईओसी डिपो से कुछ फर्लांग की दूरी पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी यशवन्त कुमार शर्मा के अनुसार आईओसी डिपो में आग लगने के बाद इस मार्ग से गुजरने वाली तीन गाड़ियां रद्‌द कर दी गई हैं तथा जयपुर से सवाई माधोपुर की ओर जाने वाली और सवाई माधोपुर से जयपुर की ओर आने वाली अन्य गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगले आदेश तक जयपुर - सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात बंद रहेगा।कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तनशर्मा के अनुसार जयपुर-एर्नाकुलम, जोधपुर-इन्दौर, भोपाल-जोधपुर, बांद्रा-जयपुर, मुम्बई सैंट्रल-जयपुर, मुम्बई-जयपुर, जबलपुर-जयपुर गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग फुलेरा, चितौड़गढ़-अजमेर के रास्ते भेजा जा रहा है और इसी रास्ते वे वापस भी आ रही हैं। उन्होंने बताया कि जयपुर-राजेन्द्र नगर गाड़ी बांदीकुई से जयपुर होते हुए अजमेर भेजी जा रही है जबकि पुरी से जयपुर की गाड़ी भरतपुर बांदीकुई के रास्ते चलाई जा रही है। शर्मा के अनुसार जयपुर-श्यामगढ, जयपुर-बयाना समेत तीन गाडियां रदद कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि आग लगने के कुछ घंटे बाद जयपुर आने वाली स्पेशल ट्रेन को वनस्थली रेलवे स्टेशन पर रोक दिया गया।कुछ समय की प्रतीक्षा के बाद इस ट्रेन को वनस्थली पर ही समाप्त कर पुन बयाना के लिए रवाना किया गया। शर्मा के अनुसार जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात अगले आदेश तक निरस्त रहेगा।

नागपुर में मैच, दिल्ली में सट्टा, तीन अरेस्ट
नई दिल्ली।। बुधवार को जब नागपुर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच चल रहा था, उस दौरान दिल्ली के शकरपुर इलाके में अपने घर में बैठकर 3 भाई हाईटेक तरीके से इस मैच पर सट्टा लगा रहे थे। पुलिस ने इनके घर पर रेड डाली और इन तीनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान अभिनव उर्फ लकी उर्फ आनंद (28), अनिल सलूजा उर्फ मनु (26) और रवि सलूजा (24) के रूप में हुई। ये तीनों लक्ष्मी नगर के गुरु रामदास नगर में रहते हैं। पुलिस ने इनके घर से 3 टीवी सेट, एक लैपटॉप, एक नेट कनेक्शन सेट, एक कैलकुलेटर, 2 रजिस्टर, मोबाइल फोन चार्ज करने के 5 एक्सटेंशन बोर्ड, 126 मोबाइल फोन, 36 मोबाइल चार्जर, 2 वॉकी टॉकी फोन और एक रिमोट जब्त किया है। जिस वक्त पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया, उस वक्त मैच चल रहा था और तब तक ये लोग एक करोड़ से ज्यादा का सट्टा लगा चुके थे। अडिशनल डीसीपी (ईस्ट डिस्ट्रिक्ट) ओ. पी. मिश्रा के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि शकरपुर इलाके के एक घर में भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच पर सट्टा लगाया जा रहा है। पुलिस ने गुरु रामदास नगर स्थित उस मकान पर छापा मारा और वहां से इन तीनों अभियुक्तों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि ये लोग 2 महीने से यह रैकेट चला रहे थे और पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते थे। यह रैकेट पहले मुंबई से ऑपरेट किया जाता था, लेकिन बाद में इसे फरीदाबाद और गुड़गांव से ऑपरेट किया जाने लगा। रैकेट के सदस्य दिल्ली के विभिन्न इलाकों में काम करते थे और क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगवाते थे। एक तरफ ये लोग गुड़गांव और फरीदाबाद में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में रहते थे और उनसे लगातार सट्टे के रेट लेते रहते थे, वहीं दूसरी तरफ ये लोग अपने ग्राहकों के संपर्क में रहकर उनसे भी रेट लेते रहते थे। चूंकि संपर्क का सारा काम मोबाइल के जरिए होता था, इसलिए इन लोगों ने कई मोबाइल ले रखे थे। अपने ग्राहकों को भी ये लोग अलग अलग मोबाइल नंबर देते थे। मैच की स्थिति के हिसाब से सट्टे के भाव ऊपर-नीचे होते रहते थे। मैच खत्म होने के बाद इनके साथी कस्टमर से मिलकर पैसे कलेक्ट करते थे और फिर यह रकम आपस में बांट ली जाती थी। पूछताछ में पता चला कि यह रैकेट मैचों के अलावा चुनावों के दौरान भी राजनीतिक पार्टियों की हार-जीत पर सट्टा लगवाता था।

30-10-09

भारत-पाक: मनमोहन ने 'दोस्ती का हाथ' बढ़ाया
मनमोहन सिंह ने भारत प्रशासित कश्मीर के युवाओं से ख़ास अपील की है-----------
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अनंतनाग में कहा है कि वे व्यापार, लोगों की आवाजाही, अमन और विकास के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वे चाहते हैं कि उन्होंने जो दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, पाकिस्तान उसे आगे बढ़कर स्वीकार करे.भारत प्रशासित कश्मीर में अनंतनाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत लाभदायक तभी होगी यदि 'पाकिस्तान अतंकवाद पर काबू पाए और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को सज़ा दिलाए.'उन्होंने वहाँ 18 किलोमीटर लंबी अनंतनाग-काजीगुंड रेलवे लाइन का उदघाटन भी किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "पाकिस्तान में अधिकतर लोग भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं. वे स्थायी अमन चाहते हैं और हम भी यही चाहते हैं. नियंत्रण रेखा (कश्मीर) के दोनों ओर व्यापार के और ज़रिए उपलब्ध कराने ज़रूरी है. भारत और पाकिस्तानी के क़ैदी अपनी सज़ा पूरी करने के बाद भी जेलों में रहते हैं."उनका कहना था, "हमें इन मसलों में पाकिस्तान का सहयोग चाहिए. हम इन सभी मसलों पर पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. लेकिन मुफ़ीद बातचीत के लिए ज़रूरी है कि आतंकवाद पर काबू पाया जाए. पाकिस्तान में जो लोग भारत में आतंकवाद फैलाना चाहते हैं, फिर वे चाहे ग़ैर-सरकारी ही हों, उनके तंत्र को नष्ट किया जाए और उन्हें सज़ा दिलाई जाए. मैं पाकिस्तान के आवाम और सरकार से अपील करता हूँ कि वे सच्चाई और नेक इरादों के साथ हमारा साथ दे....हमने जो दोस्ती का हाथ बढ़ाया है वे आगे बढ़कर उसे स्वीकार करें."उन्होंने कहा, "कश्मीर के लोगों में स्थायी अमन कायम होने का विश्वास जागा है. आतंकवादी भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी का माहौल कायम रखना चाहते हैं. उन्होंने मज़हब का ग़लत इस्तेमाल किया है. उनकी सोच के लिए हमारे बीच कोई जगह नहीं है. ये हमारी भाईचारे की रिवायत के ख़िलाफ़ है." उनका कहना था कि राजनीतिक मक़सदों के लिए चरमपंथ का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.भारत-पाकिस्तान के संदर्भ में मनमोहन सिंह ने एक शेर भी सुना डाला, "कुछ ऐसे भी मंजर हैं तारीख़ की राहों में; लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई.."'ख़ून-ख़राबे का दौर ख़त्म हो रहा है'-------------------------जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने पिछले कई वर्षों में केंद्र सरकार की ओर वहाँ शुरु की गई परियोजनाओं की ज़िक्र किया.मनमोहन सिंह का कहना था, "कश्मीर में ख़ून-ख़राबे और आतंकवाद का दौर ख़त्म हो रहा है. आम आदमी समस्याओं को बातचीत से सुलझाना चाहता है. हम पहले भी कह चुके हैं कि जो भी ख़ून-ख़राबा छोड़े दे, हम उससे बात करने को तैयार हैं. गोल-मेज़ सम्मेलन भी हुआ था. मैं फिर कहना चाहता हूँ कि हम उन सभी लोगों से बात करने को तैयार है जो कश्मीर में अमन और विकास चाहते हैं. हम सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं. हमने ये कमज़ोरी के तहत नहीं कहा है. हमने पहले पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत भी की थी. जम्मू-कश्मीर के समग्र हल की बातचीत भी उसमें शामिल थी."उन्होंने भारत प्रशासित कश्मीर के युवाओं से भी अपील की कि वे 'एक नए राज्य के विकास में हाथ बटाएँ.' उनका कहना था कि उन्हें युवाओं की मायूसियों का अहसास है पर हालात बदल रहे हैं और वे भी खुले दिल और दिमाग से सोचें.संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना था, "चुनावों में हिस्सा लेकर आपने (कश्मीरियों) दुनिया को दिखा दिया है कि आप अमन, विकास और लोकतांत्रिक में विश्वास है...मसले होंगे लेकिन मसलों का हल बातचीत से ही हो सकता है. तरक्की में लोग हिस्सेदारी महसूस करें और पर्यटन क्षेत्र फिर ज़ोर पकड़े...रेल लाइन बनने से आना-जाना, आपसी जुड़ाव, भाईचारा बढ़ेगा और लोकतंत्र मज़बूत होगा."राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण में कहा कि समय-समय पर केंद्र सरकार ने राज्य की मदद की है. उनका कहना था कि यदि राज्य को बंदूक से आज़ादी चाहिए तो उसे उस राजनीति से बाहर निकालना होगा जिसमें उसे धकेला गया था.रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा, "जनसमर्थन के बिना ये रेल लाइन नहीं बन सकती थी. फ़ारूक़ अब्दुल्ला के अनुरोध के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में तीन और परियोजनाओं पर विचार होगा. उर्दू में भी रेल भर्ती के लिए परीक्षा होगी. किसानों ख़ास तौर पर छोटे किसानों के भूमि अधिग्रहण के बदले में मुआवज़े के बारे जो माँगे आई हैं, उन पर विचार किया जाएगा."
माओवादियों के कब्ज़े से निकली ट्रेन
ट्रेन के ड्राईवर को रिहा करा लिया गया हैदिल्ली से भुवनेश्वर जा रही राजधानी एक्सप्रेस के अग़वा ड्राइवर को माओवादियों के चंगुल से रिहा करा लिया गया है और अब ट्रेन पूरी सुरक्षा में दिल्ली के लिए रवाना हो गई है.ग़ौरतलब है कि मंगलवार की दोपहर माओवादियों ने पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में राजधानी एक्सप्रेस के ड्राइवर को अग़वा कर ट्रेन को अपने क़ब्ज़े में लिया था. इसमें 300 से ज़्यादा यात्री इसमें फंसे हुए थे.केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया, '' 'ट्रेन बिल्कुल सुरक्षित है. सारे यात्री सुरक्षित हैं. सीआरपीएफ और राज्य पुलिस मौके पर है और पूरा इलाक़ा सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है.''सरकार को राजधानी एक्सप्रेस से माओवादियों का क़ब्ज़ा हटाने के लिए सुरक्षाबलों से भरी एक दूसरी ट्रेन वहाँ भेजनी पड़ी.गोलीबारीपुलिस अधिकारी कुलदीप सिंह ने बीबीसी को बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी तादाद में पुलिस बल को रवाना किया गया है पर इन पुलिसबलों को माओवादियों की ओर से गोलीबारी का सामना भी करना पड़ा.हालांकि माओवादी नेता किशन जी ने इस अपहरण की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया है लेकिन माओवादियों के सहयोगी माने जाने वाले एक संगठन ने इसकी ज़िम्मेदारी ली है.इस संगठन के असित महतो ने कहा कि जब माओवादियों की ओर से बंद का आहवान किया गया है तो फिर ट्रेनों के चलने का क्या मतलब है. अगर ट्रेनें चलेंगी तो उन्हें किसी भी तरह से रोका जाएगा.उन्होंने यह भी कहा कि हज़ारों की तादाद में लोगों ने ईंट-पत्थर फेंककर रेलगाड़ियों को रोका है. हालांकि राजधानी के मसले में रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि किसी ने शार्ट सर्किट करके सिग्नल बदल दिया और ड्राइवर को गाड़ी रोकनी पड़ी.रिपोर्टों के अनुसार ट्रेन जिस वक़्त झाड़ग्राम स्टेशन के पास पहुँच रही थी और घने जंगलों वाले इलाके से गुज़र रही थी उसी वक़्त अचानक रेल सिग्नल लाल हो गया. ड्राइवर ने गाड़ी को रोका.गाड़ी रुकते ही कुछ हथियारबंद लोगों ने ट्रेन के इंजन को घेर लिया. कपड़ों से मुंह ढके ये लोग इंजन पर चढ़ गए और इंजन से इन लोगों ने चालक आनंद राव को अगवा कर लिया.
पेशावर में बड़ा धमाका, 100 की मौत
पाकिस्तान के पूर्वोत्तर शहर पेशावर में हुए धमाके में कम से कम 100 लोग मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं.ये धमाका पेशावर के भीड़भाड़ वाले इलाक़े पीपलमंडी में हुआ.इस धमाके के बाद शहर में सफ़ेद धुएँ के बादल उठते देखे गए और आसपास की इमारतों में आग लग गई.पुलिस अधिकारी अनवर शाह ने समाचार एजेंसी एएफ़सी को बताया कि कार में विस्फोटक से ये धमाका किया गया.उनका कहना था,''ये बड़ा बम धमाका था और इसकी गूंज पूरे शहर में सुनाई दी.''पेशावर के अस्पताल के डॉक्टर ज़फर इक़बाल का कहना था कि इस धमाके में 12 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें से कई की हालत गंभीर है.उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी सेना दक्षिणी वज़ीरिस्तान इलाक़े में तालेबान के ख़िलाफ़ अभियान चला रही है और इसके बाद से ऐसे धमाकों में तेज़ी आई है.ये धमाका ऐसे वक्त हुआ है जब अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पाकिस्तान यात्रा पर हैं.


हुड्डा की अग्नि परीक्षा
मुख्यमंत्री पद पर दूसरी बार आसीन होने के बाद अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा में अग्नि परीक्षा देनी होगी। कल बुधवार को उन्हें सदन में बहुमत साबित करना है। वैसे आकड़ों के खेल में हुड्डा को बहुमत साबित करने में ज्यादा दिक्कत पेश नहीं आएगी, फिर भी आखिरी वक्त में क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। बहुमत साबित करने के लिए 45 विधायकों का जादुई आंकड़ा चाहिए। इस वक्त कांग्रेस के अपने 40 विधायकों के साथ कांग्रेस को 7 निर्दलीय व बीएसपी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस प्रकार कांग्रेस के पास 48 विधायकों का आंकड़ा है। फिलवक्त हजकां के 6 विधायक भी कांग्रेस को समर्थन देते दिख रहे हैं पर हजकां का कोई भी पैंतरा सरकार का स्थायीत्व तय करेगा। अगर हजकां के सूबा प्रधान कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस को समर्थन से इंकार करते हैं तो सरकार डगमगाती रहेगी क्योंकि निर्दलीय विधायकों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई भी निर्दलीय विधायक कभी भी सरकार को अलविदा कह सकता है। दूसरी तरफ, इनेलो-अकाली दल गठजोड़ की 32 सीटें है। बीजेपी भी इनके साथ आ जाए तो आंकड़ा 36 तक हो जाता है। पर अगर हजकां के छह विधायक इनेलो को समर्थन दे दें तो इनेलो के लिए दो-तीन निर्दलीय विधायकों का जुगाड़ करना कोई मुश्किल नहीं होगी। हजकां मंगलवार रात या कल तड़के विधायक दल की बैठक करने वाली है। केवल एक दिन का सत्र : नई सरकार के गठन के बाद कल से विधानसभा सत्र शुरू होगा। विधानसभा के कार्यक्रम के अनुसार केवल एक दिन का सत्र है पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी ) इस पर अंतिम फैसला लेगी। इनेलो इस बात का विरोध करेगी कि सत्र केवल एक दिन का क्यों रखा गया है। पहला सत्र सुबह साढे़ नौ बजे होगा जिसमें प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को हल्फ दिलवाएंगे। इसके बाद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन होगा। दूसरे सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण और उस पर बहस होगी। इस बीच दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी। बहुत सी नई बातें नजर आएंगी नए सदन में : इस सत्र में सदन में कई नई बातें दिखाई देंगी। मुख्यमंत्री हुड्डा दोबारा सदन के नेता होंगे। ऐसा 1972 के बाद दूसरी बार हुआ है। ओमप्रकाश चौटाला इस बार 32 सीटें हासिल करके तेवर में दिखाई देंगे। इनेलो महासचिव अजय सिंह चौटाला विधानसभा में पहली बार ही आएंगे। हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई दूसरी बार विधायक के रूप में शपथ लेंगे। पर कुलदीप के पिता पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल इस बार विधानसभा में नहीं होंगे। प्रो. संपत सिंह अपने जीवनकाल में पहली बार कांग्रेस के विधायक के रूप में होंगे और चौटाला का विरोध करते नजर आएंगे। प्रो. बीरेंद्र सिंह और करण सिंह दलाल सरीखे तेज-तर्रार विधायक विधानसभा से नदारद होंगे। दलाल 1991 से लगातार इस विधानसभा के सदस्य रहे हैं। प्रोटेम स्पीकर कैप्टन अजय सिंह यादव लगातार छठी बार सदन के सदस्य होंगे।



शांति..शांति..शांति..!
जिस सुबह के कभी तो आने का इंतजार साहिर लुधियानवी को रहा है, उसी की आस शांति की सुबह के रूप में विश्व के चार नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं को भी है। और शांति व अहिंसा के लिए उठे ये चार महान सुर एक देश के नहीं हैं पर इन्हें दर्द और संवेदना का संबंध जोड़ रहा है। ईरान की पहली महिला जज और नोबेल लॉरिएट शिरिन ईबादी, नार्दर्न आयरलैंड की मेरिड कोरिगन मैग्वायर और अमेरिका की जोडी विलियम्स तिब्बतियों के निर्वासन पर संवेदनशील हुई होंगी तभी तो मैक्लोडगंज पहुंचीं और शांति का संदेश दिया। आखिर यह घर भी तो एक अन्य नोबेल लॉरिएट दलाईलामा का है। मैक्लोडगंज के तिब्बतियन चिल्ड्रन विलेज में मंगलवार को चारों नोबेल विजेता पीस जैम यूथ क्रांफ्रेस के बहाने जुटे तो पूरी दुनिया को शांति का संदेश गया। जोडी विलियम्स ने कहा कि नेतृत्व का अर्थ आर्थिक रूप से शक्तिशाली होना नहीं, मानवता की सेवा करना है। सभी देशों के शासक इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखें तभी विश्वभर में शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि तिब्बत का मसला गंभीर है तथा इसको लेकर चीन को सकारात्मक कदम उठाकर इस सारे मसले का हल करना चाहिए। इसके अलावा दुनिया के कई हिस्सों में चल रही हिंसा को रोकने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए ताकि विश्व में शांति स्थापित हो सके। नार्दन आयरलैंड से मेरिड कोरिगेन मैग्वायर व ईरान से शिरिन ईबादी ने कहा कि तिब्बत के लोग काफी समय से निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं फिर अपनी संस्कृति को सहेजे हुए हैं जो बड़ी बात है। विश्व में बढ़ रही हिंसा गंभीर बनती जा रही है जिसे रोकने के लिए सभी को कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि तिब्बत मसले को लेकर चीन को गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा तिब्बत में मानवाधिकारों का भी पूरा ध्यान रखना जाना चाहिए। दलाईलामा ने कहा कि 21वीं शताब्दी में पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह बदलाव और बढ़ेगा, लेकिन एक समय ऐसा भी आएगा जब पूरी दुनिया में प्यार व शांति का प्रकाश फैलेगा। हिंसा से कभी भी शांति नहीं हुई है। अगर पिछले इतिहास को देखें तो कुछ दशकों में ही पूरी दुनिया में हिंसा से करीब दो करोड़ लोगों की जान जा चुकी है। उसके बावजूद भी कोई सही परिणाम निकलकर सामने नहीं आया है। ताकि विश्व और .. का संदेश दिया गया वहीं, इसके माध्यम से तिब्बती लोगों की पीड़ा को भी उजागर कर तिब्बत की आजादी के लिए 50 साल से जारी अभियान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाने का प्रयास किया गया। तिब्बती युवाओं को भी दलाईलामा ने इस आंदोलन में अपनाई जा रही प्यार, शांति व स्नेह की शिक्षा पर ही आगे चलने का संदेश दिया।

Bhupinder Singh Hooda to Prove Majority By 31 October in Haryana Assembly
Chandigarh (Arun singla): Haryana Governor Jagannath Pahadia has given one week’s time to Haryana CM Bhupinder Singh Hooda to prove majority on the floor of the house.Addressing a press conference after taking oath, Bhupinder Singh Hooda said that his party had support of seven independent MLAs and one MLA of BSP had also extended his support to the Congress.When asked about Haryana Janhit Congress (BL) joining hands with the Congress, he said that the members of HJC were part of the Congress family, but somehow they had they had parted away. Now if they give unconditional support, the Congress would welcome them.


राजनीतिक दलों की झोली में 800 करोड़
हमेशा खुद को फक्कड़ बताकर चंदा जुगाड़ने की फिराक में रहने वाली राजनीतिक पार्टियों की बातों में न आएं। न ही सादगी और बचत के इनके दिखावों पर जाएं। इन पार्टियों की अंटी में खूब माल है और शाहखर्ची में भी ये किसी कंपनी से पीछे नहीं। देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों की कुल संपत्ति आठ सौ करोड़ से भी ज्यादा है। इसमें भी सिर्फ जमीन-जायदाद यानी अचल संपत्ति की बात की जाए तो 35 करोड़ के साथ साम्यवादी विचारधारा वाली माकपा ही सबसे आगे है। राष्ट्रीय पार्टियों की संपत्ति का जायजा लें तो इन दिनों सादगी अभियान चला रही कांग्रेस पार्टी के पास 340 करोड़ रुपये का माल-मत्ता है। सीटों और वोटों के मामले में नंबर दो भाजपा 177 करोड़ रुपये की मालिक है। इसी तरह मायावती की बसपा के पास 118 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वर्ग संघर्ष की बात करने वाली माकपा भी पीछे नहीं है। बैलेंस शीट के मुताबिक इसकी परिसंपत्ति 157 करोड़ रुपये है। ये आंकड़े पार्टियों के सालाना आयकर रिटर्न पर आधारित हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ये पार्टियां कागजों पर इतनी घोषणा करती है तो वाकई इनके पास कितना माल होगा। दैनिक जागरण ने आरटीआई के जरिये जो जानकारी जुटाई है उसके मुताबिक चुनाव आयोग में कांग्रेस, भाजपा, बसपा, माकपा, भाकपा, राजद और राकांपा ने साल 2008-09 के लिए अपने रिटर्न में अपनी जो परिसंपत्ति बताई है, वो कुल मिला कर 811 करोड़ है। अब यदि बात की जाए अचल संपत्ति यानी जमीन-जायदाद की तो हमेशा पूंजी के खिलाफ खड़ी दिखाई देने वाली माकपा गर्व के साथ नंबर एक पर खड़ी है। इसके बाद 31 करोड़ की अचल जायदाद के साथ भाजपा है और फिर 25 करोड़ रुपये के साथ कांग्रेस। पार्टी फंड का ब्योरा बताता है कि इसमें कार्यकर्ताओं का योगदान मामूली होता है। 2007-08 के दौरान इनकी कुल कमाई में कार्यकर्ताओं का योगदान सिर्फ पांच फीसदी रहा। इनमें सबसे समर्पित बसपा कार्यकर्ता दिखे। बाकी सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने मिला कर जितना सदस्यता शुल्क दिया, उससे छह गुना अकेले बसपायों ने दे दिया। बसपा को सदस्यता शुल्क से 20 करोड़ 50 लाख रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को सवा दो करोड़ और भाजपा को सिर्फ डेढ़ करोड़।

अभियान से पहले दबाव की राजनीति
नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक जंग का वक्त नजदीक आने के साथ ही राजनीतिज्ञों व बुद्धिजीवियों ने केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ लामबंदी तेज कर दी है। बुद्धिजीवी तो कोलकाता से लेकर दिल्ली तक केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं, मगर अभियान के लिए असली खतरा फिर पश्चिम बंगाल ही बन रहा है। नक्सलियों के खिलाफ सामूहिक अभियान में पहले राज्य की वामपंथी सरकार बाधक थी तो इस बार कांग्रेस की सहयोगी ममता बनर्जी की राजनीति ही केंद्र के आड़े आ रही है। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की चिदंबरम के साथ बढ़ती नजदीकी या नक्सलियों के खिलाफ सामूहिक अभियान के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बीच बन रही केमिस्ट्री ममता को बेचैन किए हुए है। वह तो शुरू से ही नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान के विरोध में थीं, लेकिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम के अडिग रवैये के चलते वह शोर मचाने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकीं। मगर बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार के पुलिस अधिकारी और माओवादियों की अदला-बदली प्रकरण और इस दौरान चली राजनीति से ममता को ताकत मिल गई। इस बीच नक्सलियों द्वारा अपहृत दो पुलिस वालों के मुद्दे पर बुद्धदेव के विरोधाभासी बयानों के बाद तो ममता को फिर केंद्र पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है। अब वह मंगलवार को पुलिस के दोनों अपहृत सिपाहियों- साबिर अली मुल्ला और कंचन गोड़ई के परिवार वालों के साथ गृहमंत्री चिदंबरम से मुलाकात करेंगी। उनकी मांग तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की होगी, लेकिन वास्तविक एजेंडा पश्चिम बंगाल से अ‌र्द्धसैनिक बल कम करने और माओवादियों के खिलाफ अभियान रोकने का होगा। यह भी अजीब स्थिति है कि पहले सामूहिक अभियान में बाधक बनी रही पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार जब पूरी तरह केंद्र के साथ है तो अब संप्रग की सहयोगी तृणमूल बाधा खड़ी कर रही है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी की बात सुनने में तो पूरी तवज्जो दी जाएगी, लेकिन नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जरा भी ढील नहीं बरती जाएगी। यद्यपि, वे भी मान रहे हैं कि ममता के साथ-साथ बुद्धिजीवियों ने जिस तरह से सरकार के खिलाफ बौद्धिक जेहाद छेड़ा है, उससे सरकार पर दबाव बनने का खतरा तो बढ़ा ही है। दरअसल, नक्सलियों की नृशंस व क्रूर करतूतों के बावजूद उनके हमदर्द बुद्धिजीवियों को केंद्र सरकार अपने पक्ष में नहीं ला सकी है। पीयूसीएल ने तो दिल्ली में सभा कर केंद्र सरकार को फासिस्ट करार दिया और इस अभियान के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। पीयूसीएल की सभा में बुद्धिजीवियों ने न सिर्फ केंद्र बल्कि सीधे प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर चल रहे हैं जिनकी नजर भारत की खनिज संपदा पर है। इसीलिए, केंद्र लोगों की समस्या दूर करने के बजाय उनको मारने की योजना बना रही है।


फिर वही दिल लाया हूं
हरियाणा के तेज विकास और शांति के लिए वैसा ही इरादा : हुड्डा -----------------------

मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दूसरी बार सत्ता संभालते ही कहा कि प्रदेश के तेज रफ्तार विकास व शांति के लिए फिर वही दिल लाया हूं। दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने के बाद सोमवार को अपनी पहली पत्रकार वार्ता में हुड्डा ने चुनाव प्रचार और चुनावी नतीजे घोषित होने के दौरान विरोधियों व स्वयं कांग्रेस के नेताओं द्वारा उन पर लगाए गए सभी आरोपों का एक-एक कर जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ठीक है कि सीटें कांग्रेस पार्टी को अपेक्षा से कम मिली हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी ने चुनावी युद्ध जीत लिया है। भले ही पार्टी कुछ लड़ाइयां हार गई हो। कांग्रेस पार्टी जो चुनावी लड़ाइयां हारी है, उनका कारण कुछ हद तक स्वयं की कमियां हैं। इसका कारण कुछ सीटों पर टिकटों का सही वितरण न होना है और दूसरा कारण यह है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने संजीदगी से साथ नहीं दिया। हुड्डा ने यहां तक कह दिया कि पत्रकारों की भाषा में इसे भितरघात कहा जाएगा। रोहतक केंद्रित विकास कुछ नेताओं का झूठा प्रचार : रोहतक केंद्रित विकास के संबंध में हुड्डा ने कहा कि ऐसा बयान कुछ राजनेता अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने के लिए दे रहे हैं जबकि हकीकत में पूरे सूबे का विकास किया गया है। जिला मेवात में मेडिकल कालेज की स्थापना की जा रही है। महेंद्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है जबकि जिला गुड़गांव में डिफेंस यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। फरीदाबाद-गुड़गांव में मेट्रो ट्रेन शुरू की जा रही है। यमुनानगर में दादुपुर-नलवी नहर का निर्माण किया गया है। परमाणु बिजली संयंत्र लगेगा : हुड्डा ने बताया कि केंद्र सरकार के उद्यम परमाणु बिजली निगम ने जिला फतेहाबाद के कुम्हारियां में परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। 1600 करोड़ की परियोजना : उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में पहली नवंबर से सड़क व भवनों के निर्माण की 1600 करोड़ रुपये की एक परियोजना शुरू की जाएगी। नया पीडब्ल्यूडी कोड एक से : एक नवंबर से ही नया पीडब्ल्यूडी कोड लागू किया जाएगा क्योंकि पहला कोड काफी पुराना हो चुका है। 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस मांगा : केंद्र सरकार और केंद्रीय कृषिमंत्री से आग्रह किया गया है कि धान की खरीद पर किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जाए क्योंकि उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हो गई है। बासमती धान खरीदें एजेंसियां : राज्य की खरीद एजेंसियों से भी कहा गया है कि वे बासमती धान के लिए मार्केट में प्रवेश करें ताकि किसानों को ज्यादा भाव मिल सके। चट्ठा कमेटी रिपोर्ट के अध्ययन के बाद अलग एसजीपीसी की बात : पहली नवंबर को हरियाणा की अलग एसजीपीसी बनाने के सवाल पर हुड्डा ने कहा कि मैंने कहा था कि इस संबंध में चट्ठा कमेटी की रिपोर्ट का कानूनी अध्ययन किया जा रहा है। इस अध्ययन के बाद की अलग एसजीपीसी की बात की जाएगी

आस्ट्रेलिया में भारतीय पर फिर नस्ली हमला
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर नस्ली हमले थम नहीं रहे हैं। यहां रविवार को बस स्टैंड पर सो रहे सिख युवक पर दो युवकों ने ने हमला बोल दिया। दोनों हमलावरों ने युवक की पगड़ी उतार दी और उसके सिर पर प्रहार किए। पुलिस ने कहा कि 22 वर्षीय भारतीय युवक पर हुए हमले की जांच की जा रही है। हालांकि युवक के नाम व अन्य विवरण का पता नहीं चल सका है। द ऐज अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को मेलबर्न के एपिंग रेलवे स्टेशन के पास कूपर स्ट्रीट स्थित बस स्टैंड पर युवक सोया हुआ था। दोपहर को यहां आई एक बस से पांच युवक उतरे। इनमें से दो ने भारतीय युवक पर हमला कर दिया। जबकि उनके तीन अन्य साथियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। 60 वर्षीय बस ड्राइवर और एक अन्य यात्री ने भी दोनों हमलावरों को रोकने की कोशिश की। वारदात के बाद पांचों युवक मौके से भाग गए। रिपोर्ट के मुताबिक पीडि़त युवक के मुंह पर चोट आई है, लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है। पुलिस ने घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से सामने आने और बयान देने की अपील की है।


बंदरों को भाया अदरक का स्वाद
घोर कलियुग! किसानों की मेहनत को उल्टा-पुल्टा करने वाले बंदरों ने अब वह कहावत भी पलट दी है, जिसमें कहा जाता था कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। हिमाचल में बंदरों ने अदरक का स्वाद भी चख लिया है। राज्य की चार लाख के करीब वानर सेना सेब की कायल तो थी ही, हरी सब्जियों में किन्नौर का मीठा मटर भी बंदरों का पसंदीदा व्यंजन बन गया है। और तो और भोजन को तीखा करने की इनकी आदत भी मानव की तरह हो गई है। खाने में हरी मिर्च भी बंदरों की पसंद बन चुकी है। वानरों की बढ़ती सेना ने जैसे-जैसे प्रदेश के खेतों में हमला बढ़ा दिया है वैसे-वैसे राज्य के किसान कंगाली की हालत में पहुंच गए हैं। अब हालत यह है कि बंदरों को तो प्रोटीन व विटामिन युक्त भोजन मिल रहा है, लेकिन पहाड़ों के किसानों के बच्चे खाली हैं। पानी सिर से ऊपर चढ़ता देख सोमवार को शिमला में प्रदेशभर से किसानों ने मोर्चा खोला और इकट्ठे होकर सरकार के समक्ष फरियाद लगाने पहुंचे हैं। सभी किसान खेती बचाओ जन संघर्ष समिति बनाकर सरकार से हल मांग रहे हैं। बंदरों के कारण सबसे ज्यादा खराब हालत सिरमौर जिले की है। इस जिले में गुठलीदार फलों के अलावा अदरक व लहसुन की सबसे अधिक फसल होती है। नौराधार क्षेत्र के हरट गांव के जीत सिंह कहते हैं- आज से चार वर्ष पहले मैं खेत में 12 हजार रुपये का अदरक का बीज बोता था तो मुझे तीन गुणा से ज्यादा और कभी 50 हजार रुपये तक कमाई हो जाती थी। लेकिन इस साल बंदर सारा अदरक चट कर गए और मुझे केवल तीन हजार रुपये की ही वसूली हो पाई। वहीं सोलन जिले में मिर्च की फसल भी बंदरों को भा गई है। खट्टे टमाटरों के साथ हरी मिर्च के चटकारे किसानों की सिरदर्दी बन गई है। वन विभाग ने हाल ही में सिरमौर जिले में बंदरों द्वारा फसलें चट करने का सर्वेक्षण करवाया तो पता चला कि ग्राम पंचायत देवना व भूप्ली मानल में क्रमवार 43 लाख व 46 लाख रुपये की फसलों को नुकसान पहुंचाया है।


मैक्लोडगंज की कुंडली में मालिश, ध्यान का योग
मिनी ल्हासा यानी मैक्लोडगंज। वही, जहां साठ के दशक में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा बसे थे। जहां निर्वासित तिब्बत सरकार का मुख्यालय व दलाईलामा के होने के कारण असंख्य विदेशी-देशी श्रद्धालु आते हैं। इन्हें शांति भी चाहिए और ज्ञान भी। लेकिन उनकी इसी भूख को आर्थिक उत्थान का औजार बनाते हुए मैक्लोडगंज व भागसूनाग सहित आसपास के क्षेत्रों में ध्यान, योग, रेकी व मसाज सहित कई तरह की चिकित्सा से जुड़े केंद्र शुरू हो गए हैं। केंद्र कर रहे हैं कमाई : इन केंद्रों के जरिए विदेशियों की सत्य की खोज व ज्ञान की प्यास कम हो या न हो, लेकिन संचालकों की मोटी कमाई जरूर हो रही है। ये केंद्र पूरा साल नहीं, बल्कि पर्यटकों की बढ़ती संख्या के अनुसार खुलते हैं व पर्यटकों का ग्राफ कम होते ही बंद हो जाते हैं। विदेशी पर्यटकों को रिझाने के लिए इनके संचालक केवल पोस्टरों व इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं। पोस्टरों से अटी दीवारें : मैक्लोडगंज व भागसूनाग में ऐसे केंद्रों के संचालकों ने पोस्टरों के जरिए पूरे मैक्लोडगंज को बदरंग कर दिया है। इन केंद्रों का सबसे अधिक संचालन भारत के दक्षिण राज्यों से आने वाले लोग कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ विदेशी व तिब्बती भी इनका संचालन कर रहे हैं। लव मेडिटेशन, शिवा हीलिंग : ध्यान की अगर बात करें, तो ध्यान को इतने कोर्सो में बांट दिया गया है कि इसके बारे में शायद ध्यान का कोई बेहतरीन ज्ञाता भी न जानता हो। ध्यान की कुछ विद्याओं को शिवा हीलिंग तो कुछ विद्याओं को लव मेडिटेशन, ड्रीम मेडिटेशन सहित कई दर्जनों नाम दे दिए गए हैं। यही हाल योग का भी है। इसके अलावा इस धार्मिक नगरी में कुकिंग कोर्स व म्यूजिक क्लासों को भी पूरा जोर है। अगर इनके कोर्सो की फीस की बात करें, तो योग क्लासों की न्यूनतम फीस 18 सौ रुपये से शुरू होकर दस हजार रुपये तक है। इनमें सात दिन, पंद्रह दिन व एक माह के कोर्स है। ध्यान व रेकी (स्पर्श चिकित्सा) कोर्सो के लिए भी फीस इतनी ही है। कुकिंग कोर्स की कक्षा करीब एक माह तक चलती है व एक घंटे के यहां पांच सौ रुपये तक का दाम रहता है। फुल बॉडी मसाज का भी यहां दो घंटे का पांच सौ रुपये वसूला जाता है तथा इनमें अधिकतर विदेशी पर्यटकों को ही शामिल किया जाता हैं तथा उनसे फीस भी डालर के रूप में वसूली जाती है। इन केंद्रों का जाल मैक्लोडगंज शहर में कम है। भागसूनाग, धर्मकोट सहित आसपास के क्षेत्र में इस समय ही करीब सौ ऐसे केंद्र कार्य कर रहे हैं। संचालक इनको अधिकतर घरों या होटलों में कमरे लेकर चला रहे हैं। एक केंद्र कमा जाता है एक से दो लाख : एक माह की बात करें, तो एक केंद्र का संचालक एक से दो लाख रुपये कमाता है। इन केंद्रों के बीच कुछ बेहतरीन केंद्र भी है तथा इनमें फीस की जगह केवल डोनेशन का प्रावधान है लेकिन इनकी संख्या कम है। सरकार का नहीं ध्यान : पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग मानते हैं कि हिमाचल अब विश्व में ध्यान व योग का हब बनने लगा है। इसका यहां कारोबार करोड़ों में पहुंच चुका है। हाथ देखने की कई विद्याओं व रेकी के सहारे भी यहां योग साहित्य व ध्यान सीडी की बिक्री भी अलग से हो रही है। ताज्जुब की बात है कि यहां यह कारोबार तो बढ़ रहा है, लेकिन इस पर प्रदेश सरकार या पर्यटन विभाग का कोई प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष नियंत्रण नहीं है। इससे यहां हिमाचल के लोगों की जगह बाहर के लोग ही सबसे अधिक चांदी कूट रहे हैं तथा सरकार को भी कुछ नहीं मिल रहा है।


कलश में लौटी कमाई की राख
उन्होंने अपनी सारी पूंजी को इन्वेस्ट कर बेटों को विदेश में कमाई करने के लिए भेजा था। उम्मीद थी कि विदेश में की गई कमाई उनकी सात पुश्तों तक के दुख-दर्द दूर कर देगी। उनके बेटे लौटे तो, लेकिन सिर्फ कलश भर अस्थियों के रूप में। अपने बेटों के लौटने के बाद जिन खुशगवार पलों को जीने के सपने संजोए थे, वे चकनाचूर भी हो गए। उसी के बिखरे टुकड़े अब उनकी आंखों में चुभते हैं। फरीदकोट जिले के गांव मचाकी कलां के दो परिवारों ने अपने बेटों को विदेश में खो दिया और आखिरी समय में उनकी एक झलक भी न पा सके। विदेश में मौत का शिकार हुए बच्चों को याद कर बूढ़ी आंखें अपने बाकी बचे परिवार के पालन-पोषण का जुगाड़ करने में शून्य में ताकती रहती हैं। गुरमीत कौर के पति की मौत काफी पहले ही हो गई थी। उसने अपने दोनों बेटों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत कर परिवार का पालन-पोषण किया। इस दौरान बड़े बेटे जसप्रीत सिंह ने विदेश जाने की ठानी तो गुरमीत ने अपनी चार एकड़ जमीन गिरवी रखकर बेटे को मनीला भेज दिया। स्थायी काम हासिल करने के लिए जसप्रीत ने वहां एक अनिवासी पंजाबी लड़की खुशवीर से शादी रचा ली। बीवी के हाथों की मेंहदी अभी अपने यौवन पर थी कि वहां कुछ लुटेरों ने जसप्रीत को गोलियों से छलनी कर दिया। बेटे की मौत के बाद गांव में मानो परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह अपने बच्चे की लाश को अपनी धरती पर लाकर अंतिम संस्कार कर सकें। कुछ ही दिन बाद उसकी बहू हाथ में अस्थि कलश लिए एक विधवा के रूप में उनके सामने आ खड़ी हुई। अब यह परिवार अपनी गिरवी जमीन बचाने के लिए घर में रखी भैंसों का दूध बेचकर काम चला रहा है। इस काम में जसप्रीत का छोटा भाई जी जान से जुटा हुआ है। ऐसा ही कुछ हाल है इसी गांव के जसविंदर कौर के परिवार का। उसका बेटा भी पैसा कमाने विदेश गया था। उसे विदेश भेजने के लिए परिवार ने अपनी जमीन बेच दी। पैसे कम पड़े तो ब्याज पर पैसा उठा लिया। उसको उम्मीद थी कि बेटे को विदेश में काम मिलते ही सारा कर्ज एक ही झटके में उतर जाएगा। तकदीर को यह मंजूर नहीं था। जसपाल सिंह भी मनीला ही गया था। कुछ समय वहां काम करने के बाद किसी बीमारी से उसकी मौत हो गई। कई दिनों की मेहनत के बाद परिवार को अपने बेटे की लाश का मुंह देखना नसीब हुआ। बेटे की निशानी के तौर पर इस परिवार के पास उसका भेजा एक टेलीविजन सेट और डीवीडी प्लेयर ही हैं। जसविंदर का परिवार अब एक कच्चे मकान में दिन काट रहा है।


कलश में लौटी कमाई की राख
उन्होंने अपनी सारी पूंजी को इन्वेस्ट कर बेटों को विदेश में कमाई करने के लिए भेजा था। उम्मीद थी कि विदेश में की गई कमाई उनकी सात पुश्तों तक के दुख-दर्द दूर कर देगी। उनके बेटे लौटे तो, लेकिन सिर्फ कलश भर अस्थियों के रूप में। अपने बेटों के लौटने के बाद जिन खुशगवार पलों को जीने के सपने संजोए थे, वे चकनाचूर भी हो गए। उसी के बिखरे टुकड़े अब उनकी आंखों में चुभते हैं। फरीदकोट जिले के गांव मचाकी कलां के दो परिवारों ने अपने बेटों को विदेश में खो दिया और आखिरी समय में उनकी एक झलक भी न पा सके। विदेश में मौत का शिकार हुए बच्चों को याद कर बूढ़ी आंखें अपने बाकी बचे परिवार के पालन-पोषण का जुगाड़ करने में शून्य में ताकती रहती हैं। गुरमीत कौर के पति की मौत काफी पहले ही हो गई थी। उसने अपने दोनों बेटों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत कर परिवार का पालन-पोषण किया। इस दौरान बड़े बेटे जसप्रीत सिंह ने विदेश जाने की ठानी तो गुरमीत ने अपनी चार एकड़ जमीन गिरवी रखकर बेटे को मनीला भेज दिया। स्थायी काम हासिल करने के लिए जसप्रीत ने वहां एक अनिवासी पंजाबी लड़की खुशवीर से शादी रचा ली। बीवी के हाथों की मेंहदी अभी अपने यौवन पर थी कि वहां कुछ लुटेरों ने जसप्रीत को गोलियों से छलनी कर दिया। बेटे की मौत के बाद गांव में मानो परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह अपने बच्चे की लाश को अपनी धरती पर लाकर अंतिम संस्कार कर सकें। कुछ ही दिन बाद उसकी बहू हाथ में अस्थि कलश लिए एक विधवा के रूप में उनके सामने आ खड़ी हुई। अब यह परिवार अपनी गिरवी जमीन बचाने के लिए घर में रखी भैंसों का दूध बेचकर काम चला रहा है। इस काम में जसप्रीत का छोटा भाई जी जान से जुटा हुआ है। ऐसा ही कुछ हाल है इसी गांव के जसविंदर कौर के परिवार का। उसका बेटा भी पैसा कमाने विदेश गया था। उसे विदेश भेजने के लिए परिवार ने अपनी जमीन बेच दी। पैसे कम पड़े तो ब्याज पर पैसा उठा लिया। उसको उम्मीद थी कि बेटे को विदेश में काम मिलते ही सारा कर्ज एक ही झटके में उतर जाएगा। तकदीर को यह मंजूर नहीं था। जसपाल सिंह भी मनीला ही गया था। कुछ समय वहां काम करने के बाद किसी बीमारी से उसकी मौत हो गई। कई दिनों की मेहनत के बाद परिवार को अपने बेटे की लाश का मुंह देखना नसीब हुआ। बेटे की निशानी के तौर पर इस परिवार के पास उसका भेजा एक टेलीविजन सेट और डीवीडी प्लेयर ही हैं। जसविंदर का परिवार अब एक कच्चे मकान में दिन काट रहा है।


मैक्लोडगंज की कुंडली में मालिश, ध्यान का योग
मिनी ल्हासा यानी मैक्लोडगंज। वही, जहां साठ के दशक में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा बसे थे। जहां निर्वासित तिब्बत सरकार का मुख्यालय व दलाईलामा के होने के कारण असंख्य विदेशी-देशी श्रद्धालु आते हैं। इन्हें शांति भी चाहिए और ज्ञान भी। लेकिन उनकी इसी भूख को आर्थिक उत्थान का औजार बनाते हुए मैक्लोडगंज व भागसूनाग सहित आसपास के क्षेत्रों में ध्यान, योग, रेकी व मसाज सहित कई तरह की चिकित्सा से जुड़े केंद्र शुरू हो गए हैं। केंद्र कर रहे हैं कमाई : इन केंद्रों के जरिए विदेशियों की सत्य की खोज व ज्ञान की प्यास कम हो या न हो, लेकिन संचालकों की मोटी कमाई जरूर हो रही है। ये केंद्र पूरा साल नहीं, बल्कि पर्यटकों की बढ़ती संख्या के अनुसार खुलते हैं व पर्यटकों का ग्राफ कम होते ही बंद हो जाते हैं। विदेशी पर्यटकों को रिझाने के लिए इनके संचालक केवल पोस्टरों व इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं। पोस्टरों से अटी दीवारें : मैक्लोडगंज व भागसूनाग में ऐसे केंद्रों के संचालकों ने पोस्टरों के जरिए पूरे मैक्लोडगंज को बदरंग कर दिया है। इन केंद्रों का सबसे अधिक संचालन भारत के दक्षिण राज्यों से आने वाले लोग कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ विदेशी व तिब्बती भी इनका संचालन कर रहे हैं। लव मेडिटेशन, शिवा हीलिंग : ध्यान की अगर बात करें, तो ध्यान को इतने कोर्सो में बांट दिया गया है कि इसके बारे में शायद ध्यान का कोई बेहतरीन ज्ञाता भी न जानता हो। ध्यान की कुछ विद्याओं को शिवा हीलिंग तो कुछ विद्याओं को लव मेडिटेशन, ड्रीम मेडिटेशन सहित कई दर्जनों नाम दे दिए गए हैं। यही हाल योग का भी है। इसके अलावा इस धार्मिक नगरी में कुकिंग कोर्स व म्यूजिक क्लासों को भी पूरा जोर है। अगर इनके कोर्सो की फीस की बात करें, तो योग क्लासों की न्यूनतम फीस 18 सौ रुपये से शुरू होकर दस हजार रुपये तक है। इनमें सात दिन, पंद्रह दिन व एक माह के कोर्स है। ध्यान व रेकी (स्पर्श चिकित्सा) कोर्सो के लिए भी फीस इतनी ही है। कुकिंग कोर्स की कक्षा करीब एक माह तक चलती है व एक घंटे के यहां पांच सौ रुपये तक का दाम रहता है। फुल बॉडी मसाज का भी यहां दो घंटे का पांच सौ रुपये वसूला जाता है तथा इनमें अधिकतर विदेशी पर्यटकों को ही शामिल किया जाता हैं तथा उनसे फीस भी डालर के रूप में वसूली जाती है। इन केंद्रों का जाल मैक्लोडगंज शहर में कम है। भागसूनाग, धर्मकोट सहित आसपास के क्षेत्र में इस समय ही करीब सौ ऐसे केंद्र कार्य कर रहे हैं। संचालक इनको अधिकतर घरों या होटलों में कमरे लेकर चला रहे हैं। एक केंद्र कमा जाता है एक से दो लाख : एक माह की बात करें, तो एक केंद्र का संचालक एक से दो लाख रुपये कमाता है। इन केंद्रों के बीच कुछ बेहतरीन केंद्र भी है तथा इनमें फीस की जगह केवल डोनेशन का प्रावधान है लेकिन इनकी संख्या कम है। सरकार का नहीं ध्यान : पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग मानते हैं कि हिमाचल अब विश्व में ध्यान व योग का हब बनने लगा है। इसका यहां कारोबार करोड़ों में पहुंच चुका है। हाथ देखने की कई विद्याओं व रेकी के सहारे भी यहां योग साहित्य व ध्यान सीडी की बिक्री भी अलग से हो रही है। ताज्जुब की बात है कि यहां यह कारोबार तो बढ़ रहा है, लेकिन इस पर प्रदेश सरकार या पर्यटन विभाग का कोई प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष नियंत्रण नहीं है। इससे यहां हिमाचल के लोगों की जगह बाहर के लोग ही सबसे अधिक चांदी कूट रहे हैं तथा सरकार को भी कुछ नहीं मिल रहा है।


बंदरों को भाया अदरक का स्वाद
घोर कलियुग! किसानों की मेहनत को उल्टा-पुल्टा करने वाले बंदरों ने अब वह कहावत भी पलट दी है, जिसमें कहा जाता था कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। हिमाचल में बंदरों ने अदरक का स्वाद भी चख लिया है। राज्य की चार लाख के करीब वानर सेना सेब की कायल तो थी ही, हरी सब्जियों में किन्नौर का मीठा मटर भी बंदरों का पसंदीदा व्यंजन बन गया है। और तो और भोजन को तीखा करने की इनकी आदत भी मानव की तरह हो गई है। खाने में हरी मिर्च भी बंदरों की पसंद बन चुकी है। वानरों की बढ़ती सेना ने जैसे-जैसे प्रदेश के खेतों में हमला बढ़ा दिया है वैसे-वैसे राज्य के किसान कंगाली की हालत में पहुंच गए हैं। अब हालत यह है कि बंदरों को तो प्रोटीन व विटामिन युक्त भोजन मिल रहा है, लेकिन पहाड़ों के किसानों के बच्चे खाली हैं। पानी सिर से ऊपर चढ़ता देख सोमवार को शिमला में प्रदेशभर से किसानों ने मोर्चा खोला और इकट्ठे होकर सरकार के समक्ष फरियाद लगाने पहुंचे हैं। सभी किसान खेती बचाओ जन संघर्ष समिति बनाकर सरकार से हल मांग रहे हैं। बंदरों के कारण सबसे ज्यादा खराब हालत सिरमौर जिले की है। इस जिले में गुठलीदार फलों के अलावा अदरक व लहसुन की सबसे अधिक फसल होती है। नौराधार क्षेत्र के हरट गांव के जीत सिंह कहते हैं- आज से चार वर्ष पहले मैं खेत में 12 हजार रुपये का अदरक का बीज बोता था तो मुझे तीन गुणा से ज्यादा और कभी 50 हजार रुपये तक कमाई हो जाती थी। लेकिन इस साल बंदर सारा अदरक चट कर गए और मुझे केवल तीन हजार रुपये की ही वसूली हो पाई। वहीं सोलन जिले में मिर्च की फसल भी बंदरों को भा गई है। खट्टे टमाटरों के साथ हरी मिर्च के चटकारे किसानों की सिरदर्दी बन गई है। वन विभाग ने हाल ही में सिरमौर जिले में बंदरों द्वारा फसलें चट करने का सर्वेक्षण करवाया तो पता चला कि ग्राम पंचायत देवना व भूप्ली मानल में क्रमवार 43 लाख व 46 लाख रुपये की फसलों को नुकसान पहुंचाया है।

आस्ट्रेलिया में भारतीय पर फिर नस्ली हमला
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर नस्ली हमले थम नहीं रहे हैं। यहां रविवार को बस स्टैंड पर सो रहे सिख युवक पर दो युवकों ने ने हमला बोल दिया। दोनों हमलावरों ने युवक की पगड़ी उतार दी और उसके सिर पर प्रहार किए। पुलिस ने कहा कि 22 वर्षीय भारतीय युवक पर हुए हमले की जांच की जा रही है। हालांकि युवक के नाम व अन्य विवरण का पता नहीं चल सका है। द ऐज अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को मेलबर्न के एपिंग रेलवे स्टेशन के पास कूपर स्ट्रीट स्थित बस स्टैंड पर युवक सोया हुआ था। दोपहर को यहां आई एक बस से पांच युवक उतरे। इनमें से दो ने भारतीय युवक पर हमला कर दिया। जबकि उनके तीन अन्य साथियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। 60 वर्षीय बस ड्राइवर और एक अन्य यात्री ने भी दोनों हमलावरों को रोकने की कोशिश की। वारदात के बाद पांचों युवक मौके से भाग गए। रिपोर्ट के मुताबिक पीडि़त युवक के मुंह पर चोट आई है, लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है। पुलिस ने घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से सामने आने और बयान देने की अपील की है।

अभियान से पहले दबाव की राजनीति
नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक जंग का वक्त नजदीक आने के साथ ही राजनीतिज्ञों व बुद्धिजीवियों ने केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ लामबंदी तेज कर दी है। बुद्धिजीवी तो कोलकाता से लेकर दिल्ली तक केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं, मगर अभियान के लिए असली खतरा फिर पश्चिम बंगाल ही बन रहा है। नक्सलियों के खिलाफ सामूहिक अभियान में पहले राज्य की वामपंथी सरकार बाधक थी तो इस बार कांग्रेस की सहयोगी ममता बनर्जी की राजनीति ही केंद्र के आड़े आ रही है। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की चिदंबरम के साथ बढ़ती नजदीकी या नक्सलियों के खिलाफ सामूहिक अभियान के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बीच बन रही केमिस्ट्री ममता को बेचैन किए हुए है। वह तो शुरू से ही नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान के विरोध में थीं, लेकिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम के अडिग रवैये के चलते वह शोर मचाने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकीं। मगर बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार के पुलिस अधिकारी और माओवादियों की अदला-बदली प्रकरण और इस दौरान चली राजनीति से ममता को ताकत मिल गई। इस बीच नक्सलियों द्वारा अपहृत दो पुलिस वालों के मुद्दे पर बुद्धदेव के विरोधाभासी बयानों के बाद तो ममता को फिर केंद्र पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है। अब वह मंगलवार को पुलिस के दोनों अपहृत सिपाहियों- साबिर अली मुल्ला और कंचन गोड़ई के परिवार वालों के साथ गृहमंत्री चिदंबरम से मुलाकात करेंगी। उनकी मांग तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की होगी, लेकिन वास्तविक एजेंडा पश्चिम बंगाल से अ‌र्द्धसैनिक बल कम करने और माओवादियों के खिलाफ अभियान रोकने का होगा। यह भी अजीब स्थिति है कि पहले सामूहिक अभियान में बाधक बनी रही पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार जब पूरी तरह केंद्र के साथ है तो अब संप्रग की सहयोगी तृणमूल बाधा खड़ी कर रही है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी की बात सुनने में तो पूरी तवज्जो दी जाएगी, लेकिन नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जरा भी ढील नहीं बरती जाएगी। यद्यपि, वे भी मान रहे हैं कि ममता के साथ-साथ बुद्धिजीवियों ने जिस तरह से सरकार के खिलाफ बौद्धिक जेहाद छेड़ा है, उससे सरकार पर दबाव बनने का खतरा तो बढ़ा ही है। दरअसल, नक्सलियों की नृशंस व क्रूर करतूतों के बावजूद उनके हमदर्द बुद्धिजीवियों को केंद्र सरकार अपने पक्ष में नहीं ला सकी है। पीयूसीएल ने तो दिल्ली में सभा कर केंद्र सरकार को फासिस्ट करार दिया और इस अभियान के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। पीयूसीएल की सभा में बुद्धिजीवियों ने न सिर्फ केंद्र बल्कि सीधे प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर चल रहे हैं जिनकी नजर भारत की खनिज संपदा पर है। इसीलिए, केंद्र लोगों की समस्या दूर करने के बजाय उनको मारने की योजना बना रही है।


फिर वही दिल लाया हूं
हरियाणा के तेज विकास और शांति के लिए वैसा ही इरादा : हुड्डा -----------------------

मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दूसरी बार सत्ता संभालते ही कहा कि प्रदेश के तेज रफ्तार विकास व शांति के लिए फिर वही दिल लाया हूं। दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने के बाद सोमवार को अपनी पहली पत्रकार वार्ता में हुड्डा ने चुनाव प्रचार और चुनावी नतीजे घोषित होने के दौरान विरोधियों व स्वयं कांग्रेस के नेताओं द्वारा उन पर लगाए गए सभी आरोपों का एक-एक कर जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ठीक है कि सीटें कांग्रेस पार्टी को अपेक्षा से कम मिली हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी ने चुनावी युद्ध जीत लिया है। भले ही पार्टी कुछ लड़ाइयां हार गई हो। कांग्रेस पार्टी जो चुनावी लड़ाइयां हारी है, उनका कारण कुछ हद तक स्वयं की कमियां हैं। इसका कारण कुछ सीटों पर टिकटों का सही वितरण न होना है और दूसरा कारण यह है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने संजीदगी से साथ नहीं दिया। हुड्डा ने यहां तक कह दिया कि पत्रकारों की भाषा में इसे भितरघात कहा जाएगा। रोहतक केंद्रित विकास कुछ नेताओं का झूठा प्रचार : रोहतक केंद्रित विकास के संबंध में हुड्डा ने कहा कि ऐसा बयान कुछ राजनेता अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने के लिए दे रहे हैं जबकि हकीकत में पूरे सूबे का विकास किया गया है। जिला मेवात में मेडिकल कालेज की स्थापना की जा रही है। महेंद्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है जबकि जिला गुड़गांव में डिफेंस यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। फरीदाबाद-गुड़गांव में मेट्रो ट्रेन शुरू की जा रही है। यमुनानगर में दादुपुर-नलवी नहर का निर्माण किया गया है। परमाणु बिजली संयंत्र लगेगा : हुड्डा ने बताया कि केंद्र सरकार के उद्यम परमाणु बिजली निगम ने जिला फतेहाबाद के कुम्हारियां में परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। 1600 करोड़ की परियोजना : उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में पहली नवंबर से सड़क व भवनों के निर्माण की 1600 करोड़ रुपये की एक परियोजना शुरू की जाएगी। नया पीडब्ल्यूडी कोड एक से : एक नवंबर से ही नया पीडब्ल्यूडी कोड लागू किया जाएगा क्योंकि पहला कोड काफी पुराना हो चुका है। 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस मांगा : केंद्र सरकार और केंद्रीय कृषिमंत्री से आग्रह किया गया है कि धान की खरीद पर किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जाए क्योंकि उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हो गई है। बासमती धान खरीदें एजेंसियां : राज्य की खरीद एजेंसियों से भी कहा गया है कि वे बासमती धान के लिए मार्केट में प्रवेश करें ताकि किसानों को ज्यादा भाव मिल सके। चट्ठा कमेटी रिपोर्ट के अध्ययन के बाद अलग एसजीपीसी की बात : पहली नवंबर को हरियाणा की अलग एसजीपीसी बनाने के सवाल पर हुड्डा ने कहा कि मैंने कहा था कि इस संबंध में चट्ठा कमेटी की रिपोर्ट का कानूनी अध्ययन किया जा रहा है। इस अध्ययन के बाद की अलग एसजीपीसी की बात की जाएगी


राजनीतिक दलों की झोली में 800 करोड़
हमेशा खुद को फक्कड़ बताकर चंदा जुगाड़ने की फिराक में रहने वाली राजनीतिक पार्टियों की बातों में न आएं। न ही सादगी और बचत के इनके दिखावों पर जाएं। इन पार्टियों की अंटी में खूब माल है और शाहखर्ची में भी ये किसी कंपनी से पीछे नहीं। देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों की कुल संपत्ति आठ सौ करोड़ से भी ज्यादा है। इसमें भी सिर्फ जमीन-जायदाद यानी अचल संपत्ति की बात की जाए तो 35 करोड़ के साथ साम्यवादी विचारधारा वाली माकपा ही सबसे आगे है। राष्ट्रीय पार्टियों की संपत्ति का जायजा लें तो इन दिनों सादगी अभियान चला रही कांग्रेस पार्टी के पास 340 करोड़ रुपये का माल-मत्ता है। सीटों और वोटों के मामले में नंबर दो भाजपा 177 करोड़ रुपये की मालिक है। इसी तरह मायावती की बसपा के पास 118 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वर्ग संघर्ष की बात करने वाली माकपा भी पीछे नहीं है। बैलेंस शीट के मुताबिक इसकी परिसंपत्ति 157 करोड़ रुपये है। ये आंकड़े पार्टियों के सालाना आयकर रिटर्न पर आधारित हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ये पार्टियां कागजों पर इतनी घोषणा करती है तो वाकई इनके पास कितना माल होगा। दैनिक जागरण ने आरटीआई के जरिये जो जानकारी जुटाई है उसके मुताबिक चुनाव आयोग में कांग्रेस, भाजपा, बसपा, माकपा, भाकपा, राजद और राकांपा ने साल 2008-09 के लिए अपने रिटर्न में अपनी जो परिसंपत्ति बताई है, वो कुल मिला कर 811 करोड़ है। अब यदि बात की जाए अचल संपत्ति यानी जमीन-जायदाद की तो हमेशा पूंजी के खिलाफ खड़ी दिखाई देने वाली माकपा गर्व के साथ नंबर एक पर खड़ी है। इसके बाद 31 करोड़ की अचल जायदाद के साथ भाजपा है और फिर 25 करोड़ रुपये के साथ कांग्रेस। पार्टी फंड का ब्योरा बताता है कि इसमें कार्यकर्ताओं का योगदान मामूली होता है। 2007-08 के दौरान इनकी कुल कमाई में कार्यकर्ताओं का योगदान सिर्फ पांच फीसदी रहा। इनमें सबसे समर्पित बसपा कार्यकर्ता दिखे। बाकी सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने मिला कर जितना सदस्यता शुल्क दिया, उससे छह गुना अकेले बसपायों ने दे दिया। बसपा को सदस्यता शुल्क से 20 करोड़ 50 लाख रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को सवा दो करोड़ और भाजपा को सिर्फ डेढ़ करोड़।

Bhupinder Singh Hooda to Prove Majority By 31 October in Haryana Assembly
Chandigarh (Arun singla): Haryana Governor Jagannath Pahadia has given one week’s time to Haryana CM Bhupinder Singh Hooda to prove majority on the floor of the house.Addressing a press conference after taking oath, Bhupinder Singh Hooda said that his party had support of seven independent MLAs and one MLA of BSP had also extended his support to the Congress.When asked about Haryana Janhit Congress (BL) joining hands with the Congress, he said that the members of HJC were part of the Congress family, but somehow they had they had parted away. Now if they give unconditional support, the Congress would welcome them.



पाकिस्तान में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करने की भारतीय श्रद्धालुओं की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है। अभी ये लोग गुरुद्वारे से तीन किमी की दूरी पर भारतीय सीमा में धुस्सी बांध पर बने एक प्लेटफार्म से दर्शन करते हैं। यहां से गुरुद्वारे का सिर्फ गुंबद दिखाई देता है। डेरा बाबा नानक और गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के बीच कई दशकों से एक कारीडोर की मांग की जा रही है। पाकिस्तान सरकार ने अपनी ओर इस कारीडोर को बनाने की घोषणा भी कर दी है लेकिन भारत सरकार की ओर से अभी कोई मंजूरी नहीं दी है। इस संदर्भ में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) प्रधानमंत्री को कई पत्र लिख चुकी है। एसजीपीसी की साधारण सभा ने भी कई बार इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित किए हैं। पिछले साल केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी ने डेरा बाबा नानक का दौरा किया था। उस समय उन्हें करतारपुर साहिब के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई थी। सिख नेताओं ने कारीडोर के निर्माण की मांग की थी। तब मुखर्जी ने कारीडोर के निर्माण का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हुई है। पाकिस्तान की ओर बहती रावी नदी किनारे स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन अभी भारतीय सीमा में बने धुस्सी बांध के ऊपर बने एक बड़े प्लेटफार्म से किए जाते हैं। हालांकि श्रद्धा से सराबोर श्रद्धालु दर्शन के लिए रोज डेरा बाबा नानक की अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट पहुंच जाते हैं। भारत-पाक निगरानी चौकी से आधा किमी दूर स्थित इस प्लेटफार्म में पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सीमा सुरक्षा बल के जवानों की जांच से गुजरना पड़ता है। 6 मई 2008 से पहले श्रद्धालु धुस्सी बांध पर खड़े होकर करतारपुर साहिब के दर्शन करते थे। बाबा गुरचरण सिंह बेदी, बाबा जगदीप सिंह बेदी मेमोरियल चैरिटेबल अस्पताल व बाबा सुखदीप सिंह बेदी (श्री गुरु नानक देव जी की 17वीं पीढ़ी के वंशज) ने इस प्लेटफार्म का निर्माण किया। इसको दर्शन स्थल का नाम दिया। तब से श्रद्धालु इस स्थल पर खड़े होकर दर्शन करते हैं।

हुड्डा के सिर पर हाथ


भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए हरियाणा में एक बार फिर शासन करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि उनके विरोधियों ने दांव तो खूब चले, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनके नाम पर ही मुहर लगाई। शनिवार आधी रात बाद पृथ्वीराज चह्वाण ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी। हुड्डा राज्य के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो लगातार दूसरी बार कुर्सी संभालेंगे। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को हरियाणा जनहित कांग्रेस ने समर्थन देने की हामी भर ली है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के नेता कुलदीप बिश्नोई इसके बदले अपने पांचों विधायकों को सरकार में शामिल कराएंगे। वह खुद फिलहाल कोई पद नहीं लेंगे। हरियाणा की कुर्सी का फैसला करने के लिए शनिवार को दिन भर यहां नेताओं की सरगर्मी जारी रही। शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की हुई बैठक में पार्टी के दो दर्जन से अधिक नवनिर्वाचित विधायकों ने हुड्डा के नाम की वकालत तो की थी, लेकिन चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पैदा हुई स्थितियों के चलते प्रस्ताव पास करके मुख्यमंत्री के नाम पर फैसले का अधिकार आलाकमान को दे दिया था। लिहाजा विधायक दल की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए तीनों पर्यवेक्षकों-मोहसिना किदवई, पृथ्वीराज चह्वाण और वीके हरिप्रसाद ने शनिवार को यहां दिल्ली में सोनिया गांधी से मिल कर उन्हें स्थिति से अवगत कराया। तब मुख्यमंत्री तय करने के लिए दिन भर दिल्ली में विचार-विमर्श का दौर चला। आलाकमान ने पर्यवेक्षकों से बातचीत के बाद राज्य के अपने सांसदों की भी राय ली। सूत्र बताते हैं कि पार्टी महासचिव व हरियाणा की प्रभारी मोहसिना किदवई के आवास पर हुई एक बैठक में पार्टी के ज्यादातर सांसदों ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन पर जोर दिया। सांसदों ने यह भी सवाल उठाया कि पूरे चुनाव में टिकट बांटने से लेकर सारे फैसले में मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ही चली, बावजूद इसके जाट बहुल जींद, कैथल और कुरुक्षेत्र में पार्टी बुरी तरह हार गई। यह सवाल फिर उठा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास को रोहतक व सोनीपत तक ही सीमित रखा और चुनाव में पार्टी को उसका भी खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बीच, चुनाव के पहले से ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी शनिवार को यहां सोनिया गांधी से मुलाकात की। समझा जाता है कि आलाकमान ने पार्टी के खराब प्रदर्शन और उसकी वजहों पर बातचीत के लिए उन्हें बुलाया था। हालाकि वीरेंद्र सिंह इस बार चुनाव हार गए हैं और हरियाणा की राजनीति में वे हुड्डा के विरोधी बताए जाते हैं। खबर यह भी है कि हुड्डा ने भी देर शाम पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर अपनी स्थिति साफ कर दी। उधर, हुड्डा की विरोधी मानी जाने वाली किरण चौधरी ने भी अलग से अपने समर्थक नेताओं के साथ बैठक की। फरीदाबाद के सांसद अवतार सिंह भड़ाना के घर पर उन नेताओं की अलग से बैठक हुई, जो हुड्डा को दूसरा मौका देने के खिलाफ थे। लेकिन इन नेताओं की नहीं चली और आलाकमान ने कमान हुड्डा के हाथों में ही रहने देने का फैसला लिया।