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15 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं
जयपुर। जयपुर के सीतापुरा क्षेत्र में स्थित आईओसी तेल डिपो में बृहस्पतिवार शाम करीब साढे सात बजे से लगी विकराल आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। सेना और मथुरा रिफाइनरी से पंहुचे विशेषज्ञ आग की भीषणता के कारण आग से प्रभावित डिपो के करीब नहीं पंहुच पा रहे है।डिपो में घटना के वक्त तैनात अधिकारियों और कमच्चारियों को लेकर असमंजसता की स्थिति बनी हुई है।केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवडा ने जयपुर पहुंच कर स्थिति की समीक्षा करते हुए राज्य सरकार को हर संभव सहयोग एवं मदद का आश्वासन दिया है। आईओसी के मुख्य आपरेशन अधिकारी राजेश स्याल से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने इस संबंध में कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया और केवल इतना कहा कि वह किसी आवश्यक मीटिंग में हैं। इसी तरह एक अन्य अधिकारी ने भी इस बारे में कुछ भी बताने में असमर्थकता व्यक्त की। सू़त्रों ने बताया कि तेल डिपो में कामकाज समाप्त होने के बाद आम तौर पर बीस से तीस कर्मचारी तैनात रहते है। जयपुर जिला कलेक्टर कुलदीप रांका के अनुसार आयल डिपो में लगी आग से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और एक सौ चालीस लोग घायल हुए है। उन्होने कहा कि 36 घायलों को छोडकर शेष को प्राथमिक उपचार के बाद छुटट्ी दे दी गई है। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार मृतकों और घायलों की संख्या इससे अधिक है।अधिकारिक सूत्रों के अनुसार आग पर काबू पाने के प्रयास जारी है। सेना जिला प्रशासन और मथुरा रिफाइनरी से आए विशेषज्ञ दल को आग पर काबू पाने के लिए कल आधी रात के बाद से सहयोग कर रही है।उन्होने बताया कि आयल डिपो से करीब एक किलोमीटर के दायरे को जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कल रात ही खाली करवा लिया था। उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों को सरकारी भवनों और स्कूल भवनों में आश्रय दिया गया है तथा उन्हें मुफ्त खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट कुलदीप रांका ने प्रभावित इलाके के स्कूलों को आज एहतियात के तौर पर बंद रखने के आदेश दिए है।सूत्रों के अनुसार जयपुर से टोंक की ओर जाने वाले सड़क मार्ग पर कल रात से ही यातायात रोक दिया गया है। इस मार्ग पर जाने वाले वाहनों को परिवर्तित मार्ग से निकाला जा रहा है। सूत्रों से जब जानना चाहा कि आग पर कब तक काबू पा लिया जाएगा, उन्होंने कहा आग पर काबू पाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कब तक आग बुझेगी इस बारे में मैं भी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सकता।इधर आयल डिपो में कल लगी आग में करीब ग्यारह डीजल पेट्रेल टैंकर जलकर पिघल गए है वहीं आग से अरबों रूपए का नुकसान हुआ है। आयल डिपो सूत्रों ने बताया कि आग से करोड़ो लीटर पेट्रोल,डीजल और केरोसीन जल गया है।आग से हुए नुकसान का आंकलन फिलहाल शुरू नहीं किया गया लेकिन यह नुकसान अरबों रूपए में होने की आशंका है।आग की लपटें अभी भी लगातार भयावह रूप से उठ रही है। आग से निकला काला भयावह धुआं दूर से नजर आ रहा है।

लपटों से लाल हुई पिंक सिटी, 12 मरे
आईओसी डिपो में आग पर काबू नहींईंधन को जलने देना ही विकल्प : देवड़ाजयपुर। जयपुर के सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र में इंडियन ऑयल के एक डिपो में लगी आग की स्थिति का ज्यााज्ाा लेने पहुंचे पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा का कहना है कि डिपो में पूरे ईंधन को ज्लाने देने के अलावा फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं है। देवड़ा ने आज सुबह संवाददाताओं से कहा कि देश में यह एक अप्रत्याशित घटना है। पूरे ईंधन को ज्लाने देना होगा। इसके बाद ही विश्षोज्ञ मौके पर पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्स्थाान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विचार-विमर्श करने के बाद वह खुद इस घटना की ज्चाां का आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि आग से हुए नुकसान का आकलन किया ज् रहा है।आग पर अभी तक काबू नहीं दूसरी तरफ जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक इलाके में भारतीय तेल निगम डिपो में लगी आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। इस बीच, केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा जयपुर पहुंच गए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आग बुझाने में जिला प्रशासन मदद कर रहा है। आग के भीषण रूप को देखते हुए एक किलोमीटर क्षेत्र को कल रात से ही जिला प्रशासन ने खाली करवा लिया था। जिला प्रशासन ने आईओसी डिपो से सटे सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है।आग में 150 लोग झुलसेइससे पहले इंडियन ऑयल की तेल डिपो में लगी भीषण आग ने बृहस्पतिवार को पिंक सिटी जयपुर में तबाही का मंजर ला दिया। सूत्रों के अनुसार हादसे में 12 लोगों की मौत हुई है, जबकि 150 लोग झुलस गए हैं। मृतकों की संख्या बढ़ सकती ेहै। आग की लपटें इतनी ऊंची उठ रही हैं कि आसपास के इलाकों पर खतरा मंडराने लगा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पांच किलोमीटर तक का इलाका खाली करा दिया गया है। यहां दस गांव हैं जिनमें पांच लाख लोग रहते हैं। साथ ही बिजली आपूर्ति रोक दी गई है।270 जवानों को घटनास्थल पर भेजापेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा है कि आग बेहद भयंकर है और इसे काबू करने में खासी दिक्कत आ रही है। देवड़ा हालात का जायजा लेने के लिए जयपुर पहुंच चुके है। हालात को संभालने के लिए सेना के 270 जवान मौके पर मौजूद थे। आईओसी और एचपीसीएल के चेयरमैन घटना स्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। हादसे की वजह पाइपलाइन में लीक को माना जा रहा है। मृतकों के परिजनों को राजस्थान सरकार ने दो लाख रुपये राहत राशि देने का ऐलान किया है।30 दमकल गाड़ियां लगाई आग बुझाने मेंतेल डिपो में लगी आग पर काबू पाने को दमकल की 30 गाड़ियां लगाई गईं। इसके बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पा रही थी। जयपुर के चीफ फायर ऑफिसर ने कहा है कि अभी हम आग को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। आग बुझाने का काम सुबह से पहले शुरू कर पाना संभव नहीं है। हादसे में घायल हुए लोगों को सवाई मान सिंह और महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अभी भी डिपो के अंदर कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।आग गैस लीकेज की वजह से लगीपुलिस महानिरीक्षक बीएल सोनी ने बताया कि आईओसी डिपो में आग गैस लीकेज की वजह से लगी। नई दिल्ली में मौजूद आईओसी के एक अधिकारी ने कहा कि बचाव कार्य में मदद के लिए दिल्ली और मुंबई से विशेषज्ञों का दल भेजा गया है। जयपुर स्थित आईओसी की इस डिपो में तेल के 11 टैंकर हैं। आग ने सभी टैंकरों को अपनी चपेट में ले लिया है। इन टैंकर में पांच पेट्रोल, तीन डीजल और तीन केरोसिन तके टैंकर हैं। इनकी क्षमता 40-40 हजार किलो लीटर है। फिलहाल इन टैंकरों में 80 लाख लीटर तेल था।

भारत को न अमेरिका बनना है, न चीन: भागवत
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि भारत को अपने ढंग से आगे बढऩा है। उसे अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। श्री भागवत ने संसद के सभागार में तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' के विमोचन समारोह में कहा कि आज वास्तव में देश को आगे बढऩा है। लेकिन भारत का अमेरिका या चीन बनने के बजाए एक संपन्न भारत ही बनना है। भारत की विजय भारत बनने में ही है। ऐसा भारत बनने में जो दुनिया के हित के लिए समर्पण कर सके। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक वास्तव में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। प्रख्यात लेखक और पत्रकार तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' का कल संसद के सभागार में विमोचन हुआ। पुस्तक का विमोचन मोहन राव भागवत द्वारा किया गया। श्री भागवत ने कहा कि तरुण विजय की खासियत यह है कि वे जो लिखते हैं, दिल से लिखते हैं और इसी कारण उनकी लेखनी सीधे पाठक के दिल को छू लेती है।उन्होंने कहा कि मैं खुद तरुण विजय के लेखों को पसंद करता हूं, मैं उनका रसिक पाठक हूं, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं कि उनमें हमारी विचारधारा झलकती है, बल्कि इस कारण क्योंकि तरूण विजय की लेखनी में ईमानदारी होती है। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संपादक शेखर गुप्ता ने तरुण विजय की पुस्तक 'इंडिया बेटल्स टू विन' और उनकी लेखनी के बारे में कहा कि तरुण विजय की खासियत है कि हम उनके कंटेंट से एक बार असहमत तो हो सकते हैं पर उनकी राष्ट्रवादी सोच सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि संवाद हमेशा जिंदा रहना चाहिए। तरुण विजय के लेख की भाषा और प्रस्तुतीकरण इतना उत्ताम होता है कि देश उनके विषयों को पूर्ण रूप से समझ पाता है। इस अवसर पर दैनिक जागरण समूह के सीईओ संजय गुप्ता ने कहा कि मैं पुस्तक के विषय पर कहना चाहूंगा कि सही में आज देश को संघर्ष कर आगे बढऩा है। मैं तरुण विजय से आग्रह करूंगा कि वह निरंतर लिखते रहें। अभी वह देश की सच्ची समस्याएं उठा रहे हैं पर मैं चाहूंगा कि वह इनसे निपटने के समाधानों पर भी विस्तृत रूप से लिखें।

रद्द होंगे सांसदों के जॉब कार्ड
भोपाल। केंद्रीय राज्यमंत्री अरुण यादव और उनके परिजनों को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम के तहत मजदूरी भुगतान का मामला उजागर होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब सांसद विधायक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के जॉब कार्ड निरस्त करेगा। विभाग जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साइबर सिक्युरिटी को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि नरेगा के तहत जॉबकार्ड वितरण व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। उपयोग न किए जाने वाले जिले के गणमान्य व्यक्तियों को जारी जॉबकार्ड निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि कलेक्टरों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में तैयार ऐसे सभी जॉबकार्ड जो सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों एवं जनपद पंचायत अध्यक्षों के नाम अथवा उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर बने है, उन्हें निरस्त किया जाए। इसके साथ ही कलेक्टरों से कहा जा रहा है कि अन्य प्रमुख व्यक्तियों की सूची तैयार कर ऐसी ही कार्रवाई के लिए जिले के प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त किया जाए। भार्गव ने बताया कि नरेगा के ऑॅनलाईन डाटा के साथ छेड़छाड़ की फिर कोई घटना न हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाए रहे हैं। जिला और जनपद पंचायत स्तर पर साईबर सिक्योरिटी की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। पासवर्ड व्यवस्था में भी सुधार के उपाय किए जाएंगे, ताकि भविष्य में डाटा के साथ इस प्रकार की छेडख़ानी नहीं की जा सके। इस संबंध में भारत सरकार के साथ समन्वय हेतु लिखा जा चुका है।

आग से जयपुर में रेल मार्ग हुआ बंद
जयपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे ने जयपुर के सीतापुरा इलाके में आईओसी डिपो में कल शाम से लगी भीषण आग को देखते हुए जयपुर -सवाई माधोपुर मार्ग पर ट्रेनों का संचालन आगामी आदेश तक रोक दिया है। जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग आईओसी डिपो से कुछ फर्लांग की दूरी पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी यशवन्त कुमार शर्मा के अनुसार आईओसी डिपो में आग लगने के बाद इस मार्ग से गुजरने वाली तीन गाड़ियां रद्‌द कर दी गई हैं तथा जयपुर से सवाई माधोपुर की ओर जाने वाली और सवाई माधोपुर से जयपुर की ओर आने वाली अन्य गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगले आदेश तक जयपुर - सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात बंद रहेगा।कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तनशर्मा के अनुसार जयपुर-एर्नाकुलम, जोधपुर-इन्दौर, भोपाल-जोधपुर, बांद्रा-जयपुर, मुम्बई सैंट्रल-जयपुर, मुम्बई-जयपुर, जबलपुर-जयपुर गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग फुलेरा, चितौड़गढ़-अजमेर के रास्ते भेजा जा रहा है और इसी रास्ते वे वापस भी आ रही हैं। उन्होंने बताया कि जयपुर-राजेन्द्र नगर गाड़ी बांदीकुई से जयपुर होते हुए अजमेर भेजी जा रही है जबकि पुरी से जयपुर की गाड़ी भरतपुर बांदीकुई के रास्ते चलाई जा रही है। शर्मा के अनुसार जयपुर-श्यामगढ, जयपुर-बयाना समेत तीन गाडियां रदद कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि आग लगने के कुछ घंटे बाद जयपुर आने वाली स्पेशल ट्रेन को वनस्थली रेलवे स्टेशन पर रोक दिया गया।कुछ समय की प्रतीक्षा के बाद इस ट्रेन को वनस्थली पर ही समाप्त कर पुन बयाना के लिए रवाना किया गया। शर्मा के अनुसार जयपुर -सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात अगले आदेश तक निरस्त रहेगा।

नागपुर में मैच, दिल्ली में सट्टा, तीन अरेस्ट
नई दिल्ली।। बुधवार को जब नागपुर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच चल रहा था, उस दौरान दिल्ली के शकरपुर इलाके में अपने घर में बैठकर 3 भाई हाईटेक तरीके से इस मैच पर सट्टा लगा रहे थे। पुलिस ने इनके घर पर रेड डाली और इन तीनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान अभिनव उर्फ लकी उर्फ आनंद (28), अनिल सलूजा उर्फ मनु (26) और रवि सलूजा (24) के रूप में हुई। ये तीनों लक्ष्मी नगर के गुरु रामदास नगर में रहते हैं। पुलिस ने इनके घर से 3 टीवी सेट, एक लैपटॉप, एक नेट कनेक्शन सेट, एक कैलकुलेटर, 2 रजिस्टर, मोबाइल फोन चार्ज करने के 5 एक्सटेंशन बोर्ड, 126 मोबाइल फोन, 36 मोबाइल चार्जर, 2 वॉकी टॉकी फोन और एक रिमोट जब्त किया है। जिस वक्त पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया, उस वक्त मैच चल रहा था और तब तक ये लोग एक करोड़ से ज्यादा का सट्टा लगा चुके थे। अडिशनल डीसीपी (ईस्ट डिस्ट्रिक्ट) ओ. पी. मिश्रा के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि शकरपुर इलाके के एक घर में भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच पर सट्टा लगाया जा रहा है। पुलिस ने गुरु रामदास नगर स्थित उस मकान पर छापा मारा और वहां से इन तीनों अभियुक्तों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि ये लोग 2 महीने से यह रैकेट चला रहे थे और पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते थे। यह रैकेट पहले मुंबई से ऑपरेट किया जाता था, लेकिन बाद में इसे फरीदाबाद और गुड़गांव से ऑपरेट किया जाने लगा। रैकेट के सदस्य दिल्ली के विभिन्न इलाकों में काम करते थे और क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगवाते थे। एक तरफ ये लोग गुड़गांव और फरीदाबाद में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में रहते थे और उनसे लगातार सट्टे के रेट लेते रहते थे, वहीं दूसरी तरफ ये लोग अपने ग्राहकों के संपर्क में रहकर उनसे भी रेट लेते रहते थे। चूंकि संपर्क का सारा काम मोबाइल के जरिए होता था, इसलिए इन लोगों ने कई मोबाइल ले रखे थे। अपने ग्राहकों को भी ये लोग अलग अलग मोबाइल नंबर देते थे। मैच की स्थिति के हिसाब से सट्टे के भाव ऊपर-नीचे होते रहते थे। मैच खत्म होने के बाद इनके साथी कस्टमर से मिलकर पैसे कलेक्ट करते थे और फिर यह रकम आपस में बांट ली जाती थी। पूछताछ में पता चला कि यह रैकेट मैचों के अलावा चुनावों के दौरान भी राजनीतिक पार्टियों की हार-जीत पर सट्टा लगवाता था।

30-10-09

भारत-पाक: मनमोहन ने 'दोस्ती का हाथ' बढ़ाया
मनमोहन सिंह ने भारत प्रशासित कश्मीर के युवाओं से ख़ास अपील की है-----------
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अनंतनाग में कहा है कि वे व्यापार, लोगों की आवाजाही, अमन और विकास के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वे चाहते हैं कि उन्होंने जो दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, पाकिस्तान उसे आगे बढ़कर स्वीकार करे.भारत प्रशासित कश्मीर में अनंतनाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत लाभदायक तभी होगी यदि 'पाकिस्तान अतंकवाद पर काबू पाए और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को सज़ा दिलाए.'उन्होंने वहाँ 18 किलोमीटर लंबी अनंतनाग-काजीगुंड रेलवे लाइन का उदघाटन भी किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "पाकिस्तान में अधिकतर लोग भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं. वे स्थायी अमन चाहते हैं और हम भी यही चाहते हैं. नियंत्रण रेखा (कश्मीर) के दोनों ओर व्यापार के और ज़रिए उपलब्ध कराने ज़रूरी है. भारत और पाकिस्तानी के क़ैदी अपनी सज़ा पूरी करने के बाद भी जेलों में रहते हैं."उनका कहना था, "हमें इन मसलों में पाकिस्तान का सहयोग चाहिए. हम इन सभी मसलों पर पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. लेकिन मुफ़ीद बातचीत के लिए ज़रूरी है कि आतंकवाद पर काबू पाया जाए. पाकिस्तान में जो लोग भारत में आतंकवाद फैलाना चाहते हैं, फिर वे चाहे ग़ैर-सरकारी ही हों, उनके तंत्र को नष्ट किया जाए और उन्हें सज़ा दिलाई जाए. मैं पाकिस्तान के आवाम और सरकार से अपील करता हूँ कि वे सच्चाई और नेक इरादों के साथ हमारा साथ दे....हमने जो दोस्ती का हाथ बढ़ाया है वे आगे बढ़कर उसे स्वीकार करें."उन्होंने कहा, "कश्मीर के लोगों में स्थायी अमन कायम होने का विश्वास जागा है. आतंकवादी भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी का माहौल कायम रखना चाहते हैं. उन्होंने मज़हब का ग़लत इस्तेमाल किया है. उनकी सोच के लिए हमारे बीच कोई जगह नहीं है. ये हमारी भाईचारे की रिवायत के ख़िलाफ़ है." उनका कहना था कि राजनीतिक मक़सदों के लिए चरमपंथ का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.भारत-पाकिस्तान के संदर्भ में मनमोहन सिंह ने एक शेर भी सुना डाला, "कुछ ऐसे भी मंजर हैं तारीख़ की राहों में; लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई.."'ख़ून-ख़राबे का दौर ख़त्म हो रहा है'-------------------------जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने पिछले कई वर्षों में केंद्र सरकार की ओर वहाँ शुरु की गई परियोजनाओं की ज़िक्र किया.मनमोहन सिंह का कहना था, "कश्मीर में ख़ून-ख़राबे और आतंकवाद का दौर ख़त्म हो रहा है. आम आदमी समस्याओं को बातचीत से सुलझाना चाहता है. हम पहले भी कह चुके हैं कि जो भी ख़ून-ख़राबा छोड़े दे, हम उससे बात करने को तैयार हैं. गोल-मेज़ सम्मेलन भी हुआ था. मैं फिर कहना चाहता हूँ कि हम उन सभी लोगों से बात करने को तैयार है जो कश्मीर में अमन और विकास चाहते हैं. हम सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं. हमने ये कमज़ोरी के तहत नहीं कहा है. हमने पहले पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत भी की थी. जम्मू-कश्मीर के समग्र हल की बातचीत भी उसमें शामिल थी."उन्होंने भारत प्रशासित कश्मीर के युवाओं से भी अपील की कि वे 'एक नए राज्य के विकास में हाथ बटाएँ.' उनका कहना था कि उन्हें युवाओं की मायूसियों का अहसास है पर हालात बदल रहे हैं और वे भी खुले दिल और दिमाग से सोचें.संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना था, "चुनावों में हिस्सा लेकर आपने (कश्मीरियों) दुनिया को दिखा दिया है कि आप अमन, विकास और लोकतांत्रिक में विश्वास है...मसले होंगे लेकिन मसलों का हल बातचीत से ही हो सकता है. तरक्की में लोग हिस्सेदारी महसूस करें और पर्यटन क्षेत्र फिर ज़ोर पकड़े...रेल लाइन बनने से आना-जाना, आपसी जुड़ाव, भाईचारा बढ़ेगा और लोकतंत्र मज़बूत होगा."राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण में कहा कि समय-समय पर केंद्र सरकार ने राज्य की मदद की है. उनका कहना था कि यदि राज्य को बंदूक से आज़ादी चाहिए तो उसे उस राजनीति से बाहर निकालना होगा जिसमें उसे धकेला गया था.रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा, "जनसमर्थन के बिना ये रेल लाइन नहीं बन सकती थी. फ़ारूक़ अब्दुल्ला के अनुरोध के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में तीन और परियोजनाओं पर विचार होगा. उर्दू में भी रेल भर्ती के लिए परीक्षा होगी. किसानों ख़ास तौर पर छोटे किसानों के भूमि अधिग्रहण के बदले में मुआवज़े के बारे जो माँगे आई हैं, उन पर विचार किया जाएगा."
माओवादियों के कब्ज़े से निकली ट्रेन
ट्रेन के ड्राईवर को रिहा करा लिया गया हैदिल्ली से भुवनेश्वर जा रही राजधानी एक्सप्रेस के अग़वा ड्राइवर को माओवादियों के चंगुल से रिहा करा लिया गया है और अब ट्रेन पूरी सुरक्षा में दिल्ली के लिए रवाना हो गई है.ग़ौरतलब है कि मंगलवार की दोपहर माओवादियों ने पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में राजधानी एक्सप्रेस के ड्राइवर को अग़वा कर ट्रेन को अपने क़ब्ज़े में लिया था. इसमें 300 से ज़्यादा यात्री इसमें फंसे हुए थे.केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया, '' 'ट्रेन बिल्कुल सुरक्षित है. सारे यात्री सुरक्षित हैं. सीआरपीएफ और राज्य पुलिस मौके पर है और पूरा इलाक़ा सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है.''सरकार को राजधानी एक्सप्रेस से माओवादियों का क़ब्ज़ा हटाने के लिए सुरक्षाबलों से भरी एक दूसरी ट्रेन वहाँ भेजनी पड़ी.गोलीबारीपुलिस अधिकारी कुलदीप सिंह ने बीबीसी को बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी तादाद में पुलिस बल को रवाना किया गया है पर इन पुलिसबलों को माओवादियों की ओर से गोलीबारी का सामना भी करना पड़ा.हालांकि माओवादी नेता किशन जी ने इस अपहरण की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया है लेकिन माओवादियों के सहयोगी माने जाने वाले एक संगठन ने इसकी ज़िम्मेदारी ली है.इस संगठन के असित महतो ने कहा कि जब माओवादियों की ओर से बंद का आहवान किया गया है तो फिर ट्रेनों के चलने का क्या मतलब है. अगर ट्रेनें चलेंगी तो उन्हें किसी भी तरह से रोका जाएगा.उन्होंने यह भी कहा कि हज़ारों की तादाद में लोगों ने ईंट-पत्थर फेंककर रेलगाड़ियों को रोका है. हालांकि राजधानी के मसले में रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि किसी ने शार्ट सर्किट करके सिग्नल बदल दिया और ड्राइवर को गाड़ी रोकनी पड़ी.रिपोर्टों के अनुसार ट्रेन जिस वक़्त झाड़ग्राम स्टेशन के पास पहुँच रही थी और घने जंगलों वाले इलाके से गुज़र रही थी उसी वक़्त अचानक रेल सिग्नल लाल हो गया. ड्राइवर ने गाड़ी को रोका.गाड़ी रुकते ही कुछ हथियारबंद लोगों ने ट्रेन के इंजन को घेर लिया. कपड़ों से मुंह ढके ये लोग इंजन पर चढ़ गए और इंजन से इन लोगों ने चालक आनंद राव को अगवा कर लिया.
पेशावर में बड़ा धमाका, 100 की मौत
पाकिस्तान के पूर्वोत्तर शहर पेशावर में हुए धमाके में कम से कम 100 लोग मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं.ये धमाका पेशावर के भीड़भाड़ वाले इलाक़े पीपलमंडी में हुआ.इस धमाके के बाद शहर में सफ़ेद धुएँ के बादल उठते देखे गए और आसपास की इमारतों में आग लग गई.पुलिस अधिकारी अनवर शाह ने समाचार एजेंसी एएफ़सी को बताया कि कार में विस्फोटक से ये धमाका किया गया.उनका कहना था,''ये बड़ा बम धमाका था और इसकी गूंज पूरे शहर में सुनाई दी.''पेशावर के अस्पताल के डॉक्टर ज़फर इक़बाल का कहना था कि इस धमाके में 12 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें से कई की हालत गंभीर है.उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी सेना दक्षिणी वज़ीरिस्तान इलाक़े में तालेबान के ख़िलाफ़ अभियान चला रही है और इसके बाद से ऐसे धमाकों में तेज़ी आई है.ये धमाका ऐसे वक्त हुआ है जब अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पाकिस्तान यात्रा पर हैं.


हुड्डा की अग्नि परीक्षा
मुख्यमंत्री पद पर दूसरी बार आसीन होने के बाद अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा में अग्नि परीक्षा देनी होगी। कल बुधवार को उन्हें सदन में बहुमत साबित करना है। वैसे आकड़ों के खेल में हुड्डा को बहुमत साबित करने में ज्यादा दिक्कत पेश नहीं आएगी, फिर भी आखिरी वक्त में क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। बहुमत साबित करने के लिए 45 विधायकों का जादुई आंकड़ा चाहिए। इस वक्त कांग्रेस के अपने 40 विधायकों के साथ कांग्रेस को 7 निर्दलीय व बीएसपी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस प्रकार कांग्रेस के पास 48 विधायकों का आंकड़ा है। फिलवक्त हजकां के 6 विधायक भी कांग्रेस को समर्थन देते दिख रहे हैं पर हजकां का कोई भी पैंतरा सरकार का स्थायीत्व तय करेगा। अगर हजकां के सूबा प्रधान कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस को समर्थन से इंकार करते हैं तो सरकार डगमगाती रहेगी क्योंकि निर्दलीय विधायकों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई भी निर्दलीय विधायक कभी भी सरकार को अलविदा कह सकता है। दूसरी तरफ, इनेलो-अकाली दल गठजोड़ की 32 सीटें है। बीजेपी भी इनके साथ आ जाए तो आंकड़ा 36 तक हो जाता है। पर अगर हजकां के छह विधायक इनेलो को समर्थन दे दें तो इनेलो के लिए दो-तीन निर्दलीय विधायकों का जुगाड़ करना कोई मुश्किल नहीं होगी। हजकां मंगलवार रात या कल तड़के विधायक दल की बैठक करने वाली है। केवल एक दिन का सत्र : नई सरकार के गठन के बाद कल से विधानसभा सत्र शुरू होगा। विधानसभा के कार्यक्रम के अनुसार केवल एक दिन का सत्र है पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी ) इस पर अंतिम फैसला लेगी। इनेलो इस बात का विरोध करेगी कि सत्र केवल एक दिन का क्यों रखा गया है। पहला सत्र सुबह साढे़ नौ बजे होगा जिसमें प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को हल्फ दिलवाएंगे। इसके बाद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन होगा। दूसरे सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण और उस पर बहस होगी। इस बीच दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी। बहुत सी नई बातें नजर आएंगी नए सदन में : इस सत्र में सदन में कई नई बातें दिखाई देंगी। मुख्यमंत्री हुड्डा दोबारा सदन के नेता होंगे। ऐसा 1972 के बाद दूसरी बार हुआ है। ओमप्रकाश चौटाला इस बार 32 सीटें हासिल करके तेवर में दिखाई देंगे। इनेलो महासचिव अजय सिंह चौटाला विधानसभा में पहली बार ही आएंगे। हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई दूसरी बार विधायक के रूप में शपथ लेंगे। पर कुलदीप के पिता पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल इस बार विधानसभा में नहीं होंगे। प्रो. संपत सिंह अपने जीवनकाल में पहली बार कांग्रेस के विधायक के रूप में होंगे और चौटाला का विरोध करते नजर आएंगे। प्रो. बीरेंद्र सिंह और करण सिंह दलाल सरीखे तेज-तर्रार विधायक विधानसभा से नदारद होंगे। दलाल 1991 से लगातार इस विधानसभा के सदस्य रहे हैं। प्रोटेम स्पीकर कैप्टन अजय सिंह यादव लगातार छठी बार सदन के सदस्य होंगे।



शांति..शांति..शांति..!
जिस सुबह के कभी तो आने का इंतजार साहिर लुधियानवी को रहा है, उसी की आस शांति की सुबह के रूप में विश्व के चार नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं को भी है। और शांति व अहिंसा के लिए उठे ये चार महान सुर एक देश के नहीं हैं पर इन्हें दर्द और संवेदना का संबंध जोड़ रहा है। ईरान की पहली महिला जज और नोबेल लॉरिएट शिरिन ईबादी, नार्दर्न आयरलैंड की मेरिड कोरिगन मैग्वायर और अमेरिका की जोडी विलियम्स तिब्बतियों के निर्वासन पर संवेदनशील हुई होंगी तभी तो मैक्लोडगंज पहुंचीं और शांति का संदेश दिया। आखिर यह घर भी तो एक अन्य नोबेल लॉरिएट दलाईलामा का है। मैक्लोडगंज के तिब्बतियन चिल्ड्रन विलेज में मंगलवार को चारों नोबेल विजेता पीस जैम यूथ क्रांफ्रेस के बहाने जुटे तो पूरी दुनिया को शांति का संदेश गया। जोडी विलियम्स ने कहा कि नेतृत्व का अर्थ आर्थिक रूप से शक्तिशाली होना नहीं, मानवता की सेवा करना है। सभी देशों के शासक इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखें तभी विश्वभर में शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि तिब्बत का मसला गंभीर है तथा इसको लेकर चीन को सकारात्मक कदम उठाकर इस सारे मसले का हल करना चाहिए। इसके अलावा दुनिया के कई हिस्सों में चल रही हिंसा को रोकने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए ताकि विश्व में शांति स्थापित हो सके। नार्दन आयरलैंड से मेरिड कोरिगेन मैग्वायर व ईरान से शिरिन ईबादी ने कहा कि तिब्बत के लोग काफी समय से निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं फिर अपनी संस्कृति को सहेजे हुए हैं जो बड़ी बात है। विश्व में बढ़ रही हिंसा गंभीर बनती जा रही है जिसे रोकने के लिए सभी को कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि तिब्बत मसले को लेकर चीन को गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा तिब्बत में मानवाधिकारों का भी पूरा ध्यान रखना जाना चाहिए। दलाईलामा ने कहा कि 21वीं शताब्दी में पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह बदलाव और बढ़ेगा, लेकिन एक समय ऐसा भी आएगा जब पूरी दुनिया में प्यार व शांति का प्रकाश फैलेगा। हिंसा से कभी भी शांति नहीं हुई है। अगर पिछले इतिहास को देखें तो कुछ दशकों में ही पूरी दुनिया में हिंसा से करीब दो करोड़ लोगों की जान जा चुकी है। उसके बावजूद भी कोई सही परिणाम निकलकर सामने नहीं आया है। ताकि विश्व और .. का संदेश दिया गया वहीं, इसके माध्यम से तिब्बती लोगों की पीड़ा को भी उजागर कर तिब्बत की आजादी के लिए 50 साल से जारी अभियान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाने का प्रयास किया गया। तिब्बती युवाओं को भी दलाईलामा ने इस आंदोलन में अपनाई जा रही प्यार, शांति व स्नेह की शिक्षा पर ही आगे चलने का संदेश दिया।

देश के सबसे लंबे फ्लाईओवर पर यातायाता शुरू

देश के सबसे लंबे फ्लाईओवर पर यातायात शुरू होने के बाद शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर शमशाबाद स्थित राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचना आसान हो जाएगा। फ्लाईओवर पर सोमवार को आवागमन शुरू होने के बाद बहुत कम समय में हवाईअड्डे तक पहुंचा जा सकेगा। इस 11.633 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का नाम पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नाम पर 'पीवीएनआर एक्सप्रेस वे' रखा गया है। यह फ्लाईओवर शहर के मेहदीपटनम इलाके को हैदराबाद-बेंगलुरू राष्ट्रीय राजमार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग-7) और अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से जोड़ता है। 'हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण' (एचएमडीए) ने 4.39 अरब रुपये की लागत से 17.2 मीटर चौड़े फ्लाईओवर का निर्माण किया है। यह फ्लाईओवर मेहदीपटनम के 'सरोजिनी देवी आई हॉस्पीटल' से शुरू होकर राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के 'अरामघर जंक्शन' पर समाप्त होता है। एचएमडीए के अधिकारियों का कहना है कि इस फ्लाईओवर के शुरू हो जाने से हवाईअड्डा पहुंचने में लगने वाले समय में 30 से 40 मिनट की कमी आएगी। वर्तमान में लोगों को शहर के विभिन्न इलाकों से हवाईअड्डे तक पहुंचने में 45 मिनट से एक घंटे तक का समय लगता है। वर्ष 2005 में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की नींव रखे जाने के बाद से फ्लाईओवर की परियोजना पर काम शुरू हो गया था और हवाईअड्डा शुरू हो जाने के डेढ़ साल बाद इसका काम पूरा हुआ है।

ट्रैफिक जाम पर हर दिन 11.5 करोड़ रुपये बर्बाद

दिल्ली में लगने वाले ट्रैफिक जाम पर हर दिन लगभग दिल्लीवासियों की जेब से 10 करोड़ रुपये और सरकार के खाते से 1.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। सेंटर फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (CTI)ने एक सर्वे में यह बात कही है। सीटीआई ने सर्वे में कहा है- दिल्ली की सड़कों पर हर दिन करीब एक हजार नई गाड़ियां उतरती हैं। सड़कों पर पहले ही जरूरत से ज्यादा भार है लेकिन हर दिन बढ़ने वाली गाड़ियों की तादाद को रोकने का उपाय एक्सपर्टस को एक ही नज़र आता है और वह है एक ऐसा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम जिससे प्राइवट गाड़ियों वाले लोग भी इस्तेमाल कर सकें। सीटीआई के चीफ ट्रस्टी पंकज शर्मा ने कहा, सर्वे से पता चला है कि 60 लाख रजिस्टर्ड गाड़ियों में से एक तिहाई गाड़ियां सड़कों पर हैं। इनमें से हर गाड़ी पर औसतन 1.6 लीटर (2.5 लीटर कारों पर, 0.75 लीटर टू वीलर्स)ईंधन खर्च होता है। इस हिसाब से प्रतिदिन करीब 30 लाख लीटर ईंधन खर्च होता है। सर्वे के मुताबिक ट्रैफिक जाम के कारण एक व्यक्ति हर दिन 90 मिनट खर्च करता है और हर दिन करीब 10 करोड़ रुपये का ईंधन खर्च किया जाता है। चूंकि पेट्रोल-डीजल पर 15% की सरकारी सब्सिडी है इसलिए ईंधन की सब्सिडी पर सरकार के खाते से भी हर दिन 1.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। सीटीआई ने सर्वे में दिल्ली की उन जगहों की भी पहचान की जहां सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम के कारण अक्सर स्थिति बेहद खराब रहती है। ये जगह हैं- खानपुर से डिफेंस कॉलनी, एमबी रोड, मूलचंद से नेहरू प्लेस, विकास मार्ग, एनएच-24, केशवपुरम से अशोक विहार, रोहतक रोड से पंजाबी बाग वाया जखीरा और ईदगाह से सब्जी मंडी। सर्वे टीम इन जगहों पर अलग-अलग समय में गाड़ियों से गुजरी और पता लगाया कि भीड़भाड़ के समय और ट्रैफिक जाम की स्थिति में औसतन कितना ईंधन खर्च होता है।

पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है टॉयलेट पेपर

फाइव स्टार होटलों के आलीशान शौचालयों से लेकर घर-घर की जरूरत बन चुका टॉयलेट पेपर पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि साधारण कागज के लिए जितने पेड़ कटते हैं वहीं मलमल की तरह मुलायम टॉयलेट पेपर के लिए उससे कहीं अधिक संख्या में पेड़ों की कटाई होती है। पर्यावरणविदों का कहना है कि पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के साथ ही शौचालयों में इसके विकल्प पेश किए जाने चाहिए नहीं तो आने वाले समय में यह पर्यावरण विनाश के एक प्रमुख कारकों में शामिल होगा। पर्यावरण से जुड़े प्रतिष्ठित संगठन टेरी के वैज्ञानिक डॉ. सुनील ने इस संबंध में कहा कि भारत जैसे विशाल देश में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल हतोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे बहुत अधिक संख्या में पेड़ों की कटाई होगी और पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा। पर्यावरणविदों की यह भी शिकायत है कि भारत में इस संबंध में जागरूकता नहीं के बराबर है। हालांकि उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों में रिसाइक्ल्ड पेपर से बने टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यह प्रक्रिया भी आसान और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। रिसाइक्ल्ड पेपर से पहले स्याही को साफ करके फिर उसे प्रोसेस किया जाता है लेकिन स्याही को साफ करने की इस प्रक्रिया की अपनी चुनौतियां हैं। इस प्रक्रिया में पेपर को ब्लीच करने के लिए क्लोरीन इस्तेमाल की जाती है। क्लोरीन आधारित रसायन पेपर फाइबर के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और इससे डाइऑक्सिन और ऑर्गैनोक्लोरीन जैसे विषैले पदार्थ निकलते हैं। डाइऑक्सिन लोगों में कैंसर, सीखने की क्षमता को प्रभावित करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटाने और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण संगठन ग्रीन पीस ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोटोनेल तथा स्कॉट जैसे दो प्रमुख अमेरिकी टॉयलेट पेपर ब्रांडों के लिए 22 फीसदी पल्प कनाडा के उन जंगलों से आया जहां कुछ पेड़ दो सौ साल तक पुराने हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि टॉयलेट पेपर के लिए न केवल पेड़ों की कटाई एक महत्वपूर्ण मुद्दा है बल्कि इससे उन जीव जंतुओं के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है जो इन जंगलों में सदियों से रहते आ रहे हैं। टॉयलेट पेपर की शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है। इतिहास बताता है कि सबसे पहले 1391 में चीन में महाराजाओं के इस्तेमाल के लिए टॉयलेट पेपर बनाया गया और उसके कई सदियों बाद 1857 में जोसेफ गेटी ने सबसे पहला फैक्ट्री निर्मित टॉयलेट पेपर बाजार में पेश किया। इसके बाद 1871 में जेथ वीलर ने टॉयलेट पेपर के रोल का पेटेंट कराया। टॉयलेट पेपर के पेटेंट को लेकर भी कई अदालती लड़ाइयां लड़ी गईं और अंतत: 1894 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ओलिवर हावलेट हिक्स के पेटेंट दावे को सेथ वीलर के पक्ष में खारिज कर दिया। टॉयलेट पेपर का पश्चिमी देशों की संस्कृति में क्या स्थान है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां 26 अगस्त को टॉयलेट पेपर डे मनाया जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि 1880 से पहले टॉयलेट पेपर के स्थान पर लोग पहले पत्तों, डंडियों, रेत और कपड़े आदि का इस्तेमाल किया जाता था। लोग मल साफ करने के लिए प्राचीन समय में किन चीजों का इस्तेमाल करते थे, यह उनके पर्यावरण पर निर्भर करता था। जैसे दुनिया के उत्तरी हिस्से में रहने वाले लोग, विशेषकर एस्किमो गर्मी के मौसम में टुंड्रा घास तथा सर्दियों में बर्फ का इस्तेमाल करते थे। इसी प्रकार तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सीपों और नारियल के पुराने खोलों तथा अमेरिका के औपनिवेशक काल में लोग भुट्टे की खोखली डंडी, उत्तर भारत में गन्ने के लंबे छिल्के आदि का प्रयोग करते थे। यह जानकारी कुछ हास्यास्पद लग सकती है लेकिन प्राचीन रोम में इस काम के लिए एक लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था जिसके एक सिरे पर नमकीन पानी में डूबा स्पंज का टुकड़ा लगा होता था। गौरतलब है कि लगभग पूरी दुनिया में लोग एक दूसरे से दायां हाथ ही मिलाते हैं और दुनिया के पूर्वी हिस्से में लोग खाना खाने के लिए दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं। बायां हाथ मिलाना जहां असभ्यता की निशानी माना जाता है वहीं छोटे बच्चों को बाएं हाथ से खाना खाने से हतोत्साहित किया जाता है और यह बात अधिकतर संस्कृतियों का हिस्सा बन चुकी है - इसका सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि बाएं हाथ का इस्तेमाल मल साफ करने के लिए किया जाता है। यह साफ है कि प्राचीन काल के रीति रिवाजों पर 21वीं सदी में लौटना संभव नहीं है लेकिन टॉयलेट पेपर का विकल्प तलाशने की जरूरत है।

मौसम ने हवा कर दिया पटाखों का जहर

मौसम ने हवा कर दिया पटाखों का जहर

posted by Arun Singla.www.dabwalinews.blogspot.com
दीपावली के त्योहार ने इस बार रात तो रोशन की ही, हवा में जहर भी कुछ कम घोला। एयर पलूशन में पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कमी आई है। एक्सपर्ट इसकी सबसे बड़ी वजह मौसम की मेहरबानी को मान रहे हैं। हालांकि पटाखों के शोर ने परेशान किया। दोनों तरह के पलूशन का सबसे ज्यादा असर रात 9 से 12 बजे के बीच रहा, यानी दिल्ली सरकार का 10 बजे के बाद पटाखे नहीं जलाने की चेतावनी का दिल्लीवालों पर कोई असर नहीं पड़ा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक एयर पलूशन के मामले में थोड़ी राहत मिली है, क्योंकि सल्फर डाई ऑक्साइड को छोड़कर बाकी कंटेंट में पिछले साल के मुकाबले कमी दर्ज की गई है। सीपीसीबी की स्टडी के मुताबिक ऐसा हल्के और इंपोर्टड पटाखों में सल्फर डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल बढ़ने के कारण हुआ है। सीपीसीबी के डायरेक्टर डॉ. एस. डी. मखीजनी ने बताया कि इस बार हवा में एसपीएम, आरएसपीएम और एनओ-टू में कमी की सबसे बड़ी वजह मौसम की मेहरबानी रही है। दीपावली के दिन तापमान 25.2 डिग्री दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल यह 24.5 डिग्री दर्ज हुआ था। साथ ही हवा की गति भी पिछले साल 0.13 के मुकाबले इस बार 0. 20 रही है। इसी तरह से हवा में नमी की मात्रा भी पिछले साल के 60.8 फीसदी के मुकाबले इस बार 49.8 फीसदी रही है। यही वजह है कि इस बार पटाखों के प्रदूषण का बड़ा हिस्सा हवा के साथ पृथ्वी के सर्फेस एरिया से काफी ऊपर चला गया। रिपोर्ट के मुताबिक पीतमपुरा को छोड़कर हर जगह सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा पिछले साल के मुकाबले बढ़ी है। पिछले साल इसका कंसंट्रेशन लेवल 7 से 24 के बीच था, जबकि इस बार यह 8 से 42 के बीच दर्ज हुआ है। एयर पलूशन के बाकी कंटेंट - नाइट्रोजन ऑक्साइड, सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर और रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर की मात्रा में कमी आई है। सीपीसीबी ने दीपावली की रात दिल्ली के सात इलाकों- आईटीओ, पीतमपुरा, सीरीफोर्ट, जनकपुरी, निजामुद्दीन, शहजादाबाग और शाहदरा स्टेशनों में एयर पलूशन की मात्रा को हर घंटे रेकॉर्ड किया। दिल्ली के नौ में से तीन लोकेशन में नॉयज पलूशन बढ़ा है, एक लोकेशन पर इसमें कमी आई है और बाकी जगह पिछले साल जितना ही रहा है। हालांकि, अधिकतम ध्वनि सीमा इस बार 82 डेसिबल ही रही है, जबकि पिछले साल इसका स्तर 85 डेसिबल दर्ज हुआ था। नॉयज पलूशन को आंकने के लिए नौ जगहों- लाजपत नगर, ईस्ट अर्जुन नगर, मयूर विहार फेज-दो, पीतमपुरा, कमला नगर, दिलशाद गार्डन, अंसारी नगर, कनॉट प्लेस और आईटीओ में स्टेशन बनाए गए थे।