दस हजार दो, बस भर
( अरुण सिंगला )- चुनावों का मौसम आते ही रैलियों का दौर आ गया है। इसके साथ ही रैलियों के लिए भीड़ जुटानेवालों की बन आई है। ये लोग सभाओं के लिए बेरोजगारों व ऐसे मौके के लिए सहज उपलब्ध लोगों को वाहनों में भर कर पहुंचाते हैं। जो नेता जितना पैसा खर्च करता है वह अधिक भीड़ जुटा लेता है और बड़े नेताओं तक अपनी बेहतर पकड़ का सुबूत दे पाता है। इस बार रैलियों में भीड़ बढ़ाने वाले अपनी कीमत खुद लगा रहे हैं और उन्होंने रेट भी बढ़ा दिए हैं। पहले जहां पांच हजार रुपये खर्च कर नेता एक बस भर लेते थे, वहीं इस बार दोगुनी राशि खर्च करनी पड़ रही है। जिले में यह धंधा काफी फल-फूल रहा है और बेरोजगारों को बिना काम किए पैसे के साथ ही अच्छा खाना भी मिल रहा है। जनता पर पकड़ मजबूत दिखाने के लिए नेताओं को भीड़ जुटाने में पसीने आते हैं। लेकिन चुनावी सभाओं व रैलियों में जाने के लिए भीड़ का इंतजाम करना अब अधिक मुश्किल नहीं रहा। जब जेब भरी हो तो इस समस्या का भी समाधान आसानी से हो सकता है। यही कारण है कि गांवों व कस्बों में होने वाली चुनावी सभाओं में भी काफी भीड़ उमड़ रही है। यह अलग बात है कि हर सभा में कई चेहरे समान होते हैं। टिकट वितरण से पहले पार्टी हाईकमान को अपनी ताकत का अहसास करवाने के लिए टिकट के दावेदारों को काफी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। ऐसे नेताजी दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच चिकरघन्नी तो बने ही हुए हैं, किसी कार्यक्रम या सभा में आला नेताओं के आने पर शक्तिपरीक्षण से भी नहीं चूकते। अपनी ताकत का अहसास करवाने के लिए भीड़ ही सबसे बढि़या तरीका है। आसपास के शहर में कार्यक्रम होने पर वहां बैनर लगी गाडि़यों का काफिला लेकर जाने का तो फैशन सा बन गया है। इसके लिए बाकायदा गाडि़यों के काफिले के साथ फोटो बनवाकर मीडिया में छपवाई जाती हैं ताकि अगले दिन उसे शीर्ष नेताओं को दिखाकर अपने जनाधार का ढिंढोरा पीटा जा सके। चुनावी मौसम में अचानक बढ़ी मांग के चलते रैली में भाग लेने वाले लोगों ने अपनी कीमत में भारी इजाफा कर दिया है। पहले जहां एक बस (करीब 55-60 व्यक्ति) भरने के लिए पांच से छह हजार रुपये खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब इसके लिए दस हजार रुपये तक व्यय करने पड़ रहे हैं। समय के अनुसार रेट में थोड़ा बदलाव आता रहता है। यदि एक ही दिन में दो रैलियां हों तो रेट और बढ़ जाते हैं, लेकिन इंतजाम दोनों के लिए हो जाता है। रैली में ले जाने वाले की हैसियत के अनुसार भी रेट में बदलाव होता रहता है। एक-दो राजनीतिक पार्टियों को छोड़ अन्य पार्टियों ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही ही भीड़ बढ़ाने वालों की मांग में जोरदार तेजी आएगी। 25 सितंबर के बाद बड़े-बड़े नेताओं के दौरे शुरू होंगे, जिनकी मौजूदगी में जनता पर अपनी पकड़ दिखाई जाएगी व तब भीड़ जुटानेवालों का धंधा और चमक जाएगा। मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा होता है जो अंत समय में जीतने की स्थिति में दिखने वाले प्रत्याशी के पक्ष में झुक जाता है। यही मतदाता जीत-हार में निर्णायक भूमिका भी निभाते हैं। इस भीड़ के माध्यम से ऐसे मतदाताओं को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास भी होता है।
जाटलैंड बना खाकी की परेशानी
डबवाली(अरुण सिंगला )हरियाणा की राजनीति में जाटलैंड का खासा महत्व रहा है। राजनीति मुहिमों के बिगुल अक्सर इसी क्षेत्र से फूंके जाते रहे हैं। लेकिन बीती कुछ घटनाओं की वजह से विधानसभा चुनाव के दौरान यही इलाका पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। प्रदेश के गृह विभाग ने भी पुलिस को चेताया है कि चुनाव के दौरान इस इलाके पर पैनी नजर रखी जाए और प्रदेश के इस हिस्से को बाकी से अलग रखकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। सूत्र कहते हैं कि चिंता नाजायज नहीं है। जाटलैंड राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण से हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। हरियाणा के ज्यादातर कद्दावर इसी क्षेत्र की देन हैं। चौधरी छोटूराम, ताऊ देवीलाल, चौधरी बंसीलाल, ओमप्रकाश चौटाला, मौजूदा मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वित्तमंत्री बीरेंद्र सिंह इसी इलाके के हैं। प्रदेश की राजनीति हमेशा से जाट को ध्यान में रखकर ही की जाती रही है। यह सभी कारक यहां के लोगों को अहसास कराने के लिए काफी हैं कि वह बाकियों से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। और, शायद यहीं से शुरू होती है पुलिस की समस्या? पीछे की कुछ घटनाएं इस तरफ इशारा भी करती हैं। छोटी सी बात को मान सम्मान का प्रश्न बनाकर आर-पार की लड़ाई लड़ना यहां का फैशन बन चुका है। राजनीति हो या समाज हर जगह अपनी चलाना जैसे यहां शगल हो गया है। इसके लिए कानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखाने में यह पीछे नहीं हटते। प्रेम विवाह के कारण हुई पांच हत्याएं इस बात की निशानी है। कई ऐसे उदाहरण है जब वे पुलिस से भी भिड़ गए। ऐसा ही कुछ अरसे पहले भिवानी में लोगों ने पुलिस पर ही हमला बोल दिया था। महम व गोहाना कांड हो या फिर बाबा रामपाल के आश्रम पर पुलिस की घेराबंदी, सभी मसलों में इन लोगों ने पुलिस को खुली चुनौती दी। एक अधिकारी कहते हैं कि इस इलाके में ही अपराधी गिरोहों के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां भी देखने को मिलती रही हैं। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं कि बाकी जगह कभी कुछ हुआ ही नहीं। लेकिन वहां की घटनाएं एक प्रतिक्रिया कही जा सकती हैं। अलबत्ता जाटलैंड का इतिहास अलग है। वह कहते हैं कि पुलिस को हिदायत दी गई है कि हर वह चीज अमल में लाई जाए जिससे कानून-व्यवस्था दुरूस्त रहे। पब्लिक के मान सम्मान को ठेस पहुंचाए बगैर सारा काम किया जाए। उधर, डीजीपी (कानून व व्यवस्था) वीएन राय कहते हैं कि चुनाव में पुलिस पूरी तरह से तैयार है। उनका कहना है कि लोकसभा की तरह से यह चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से निबट जाएगा?
वकीलों व ट्रांसपोर्टरों में हिंसक झड़प, सात घायल
बठिंडा(अरुण सिंगला ): कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के विरोध में सोमवार को वकीलों की राज्यव्यापी हड़ताल रही। इस दौरान बठिंडा में बस स्टैंड पर ट्रैफिक जाम करने को लेकर वकीलों व ट्रांसपोर्टरों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई, जिसमें छह वकील व एक प्राइवेट बस चालक घायल हो गए। मारपीट से भड़के वकीलों ने दो बसों में जमकर तोड़फोड़ भी की। इसके बाद लगभग डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस द्वारा बसों की आवाजाही शुरू करवाई गई। इस बारे में पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गौर हो कि कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ जिला बार एसोसिएशन के आह्वान पर सुबह पौने 11 बजे लगभग 250 वकीलों ने बस स्टैंड पर जाम लगा दिया। इस पर प्राइवेट ट्रांसपोर्टर और उनके ड्राइवर व कंडक्टर भड़क उठे। इस दौरान हुई कहासुनी में दोनों पक्षों में हाथापाई शुरू हो गई। इस दौरान दो निजी बसों की वकीलों द्वारा जमकर जमकर तोड़फोड़ की गई। इस पर गुस्साए ड्राइवरों व कंडक्टरों ने डंडों और राडों से वकीलों की पिटाई शुरू करते हुए ईट-पत्थर बरसाए। इस झड़प में छह वकील व एक बस ड्राइवर घायल हो गए। इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची व दोनों पक्षों से बातचीत कर स्थिति को नियंत्रित किया। उधर, बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों व ट्रांसपोर्टरों ने एक दूसरे पर बसों में तोड़फोड़ व मारपीट का आरोप लगाते हुए प्रशासन से पर्याप्त सुरक्षा की मांग की है। इस बारे में एसपी (डी) अजय मलूजा का कहना है कि दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। वकीलों ने जाम किया ट्रैफिक जालंधर, अमृतसर : कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के विरोध में सोमवार को वकीलों ने चंडीगढ़ सहित प्रदेश भर की अदालतों में रोष प्रदर्शन किया। इस दौरान वकीलों ने अदालतों में कामकाज ठप रखा। इस सिलसिले में जालंधर में रोष मार्च निकाला गया और बीएमसी चौक पर एक घंटे तक ट्रैफिक जाम कर धरना दिया गया। धरनास्थल पर सांसद व पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी तथा जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान अरुण वालिया ने भी वकीलों का समर्थन करते हुए धरना दिया। अमृतसर में वकीलों ने कचहरी चौक जाम कर दिया और पंजाब सरकार का पुतला फूंका। वकीलों ने दो दिवसीय राज्यस्तरीय हड़ताल के पहले दिन पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
पर्यावरण सुरक्षा होगी और महँगी
डबवाली (अरुण सिंगला )बदलते मौसम के प्रभावों से विकासशील देशों को बचाने पर आने वाला खर्च आशा के विपरीत कहीं ज़्यादा आने के आसार हैं.दिसंबर में कोपेनहेगन में होने वाले जलवायु सम्मेलन में एक नया समझौता होना है, जिसके तहत विकासशील देश अपने यहाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अमीर देशों से भारी वित्तीय मदद की उम्मीद कर रहे हैं.वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के एक अनुमान के मुताबिक़ ये खर्च 49 से 171 अरब डॉलर प्रतिवर्ष बताया गया था.इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक मार्टिन पैरी ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में कहा,“कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन में बदलते मौसम के असर से निपटने पर आने वाले वित्तीय ख़र्च का जो अनुमान पेश किया जाएगा, उसी पर ये निर्भर करेगा कि जलवायु परिवर्तन पर समझौता हो पाएगा या नहीं.”कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन में बदलते मौसम के असर से निपटने पर आने वाले वित्तीय ख़र्च का जो अनुमान पेश किया जाएगा, उसी पर ये निर्भर करेगा कि जलवायु परिवर्तन पर समझौता हो पाएगा या नहींप्रोफैसर मार्टिन पैरी, प्रमुख रिपोर्ट लेखकप्रोफ़ेसर पैरी बदलते मौसम पर बने अंतरसरकारी आयोग यानी आईपीसीसी के सन 2007 के उस कार्यदल के सहअध्यक्ष भी रहे हैं, जिसने इस ख़र्च का अनुमान पेश किया था.अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण और विकास अनुसंधान संस्थान और ग्रैंथम संरस्थान की और से जारी की गई इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2007 के आंकड़ों में बहुत से तथ्यों को अनदेखा किया गया था इसीलिए वास्तविक ख़र्च पहले के मुकाबले दो या तीन गुना ज्यादा आने के आसार हैं.रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, कि संयुक्त राष्ट्र के पिछले अनुमान के कुछ आधार शत-प्रतिशत ग़लत रहे.
अकेले हैं मगर कोई गम नहीं, दम है,
डबवाली(अरुण सिंगला ) पिछली बार की तरह एक बार फिर इनेलो हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अकेले दम मैदान में उतर रही है। भाजपा ने पिछली बार सत्ता में साथ बने रहने के बाद चुनाव के ऐन मौके पर इनेलो से हाथ छुड़ा लिया था जबकि इस बार भी गठबंधन कर साथ चलने की हामी भरने के बाद चुनाव का ऐलान होने से पहले ही उसका साथ छोड़ दिया। मगर इस सबके बाद भी इनेलो ने इस सदमे से उबरकर अपने प्रचार को पूरी तरह जीवित रखा। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला अपने प्रमुख नेताओं के साथ राज्यभर के निरंतर दौरे कर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भर रहे हैं। उनका कहना भी है कि कांग्रेस अपने हक में हवा के जो दावे कर रही है, वह जमीनी सच्चाई से कोसों दूर हैं। चंडीगढ़ में बैठकर पूरे हरियाणा की तस्वीर दिखाकर कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है। गांवों-शहरों में जाकर देखें तो पता चलता है कि लोग बिजली-पानी, सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा की सभी मूलभूत सुविधाओं से कितने वंचित हैं। उन्होंने कहा कि इस बार इनेलो, भाजपा, हजकां, बसपा के अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा क्योंकि सभी उसमें सेंध लगाएंगे जबकि इनेलो को अपने जनाधार पर पूरा भरोसा है जो पूरी तरह से एकजुट है। कांग्रेस को हकीकत का अहसास 18 के बाद हो जाएगा जब उसके उम्मीदवारों का ऐलान होगा। तब टिकट न मिलने से खफा कई बड़े कांग्रेसी नेता अन्य दलों की ओर रुख करेंगे या फिर पार्टी में रहकर अपने प्रत्याशी का खेल खराब करने में जुटेंगे। इनेलो ने सबसे पहले अपने करीब आधे प्रत्याशियों का ऐलान कर और पार्टी घोषणापत्र जारी करके अन्य दलों के मुकाबले बाजी मार ली है और चुनाव प्रचार में भी वह अन्य दलों से आगे चल रही है। जब तक कांग्रेस अपनी टिकटें बांटेगी, तब तक इनेलो प्रमुख चौटाला राज्य के हर हलके का एक दौरा मुकम्मल कर चुके होंगे जो रोजाना ही चार-पांच हलकों को छू रहे हैं। इनेलो के पास अजय-अभय की जोड़ी और पार्टी के अन्य सीनियर नेताओं की मजबूत टीम है और उसे कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान व मतभेदों का भी भरपूर लाभ मिलने की उम्मीद है। बकौल चौटाला जितने बड़े, सक्रिय व कर्मठ लीडर इनेलो में हैं उतने किसी अन्य दल में नहीं हैं। कांग्रेस के तो कई मौजूदा नेताओं ने अपनी राजनीति की शुरुआत उनके पिता चौ देवीलाल की रहनुमाई में की थी और उसके जो चार-पांच नेता खुद को वरिष्ठ मानते भी हैं, उनकी आपस में ही नहीं पटती। बसपा व भाजपा के प्रदेश में आधार से तो सभी वाकिफ हैं और उनके पास एक भी ऐसा नेता नहीं है जिसे प्रदेश स्तर का नेता कहा जा सके। हजकां में चौ भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई के सिवाय और ऐसा नेता ढूंढे नहीं मिलेगा जिसकी पहचान पूरे प्रदेश में हो लेकिन हजकां का मकसद कुछ सीटें जीतकर दोबारा कांग्रेस में वापसी करने का है। ऐसे में केवल इनेलो ही है जिसके पास ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो न केवल जनता में सक्रिय हैं बल्कि जिनकी पहचान पूरे प्रदेश में है।
बड़ा भाई भी हत्या में शामिल, गिरफ्तार
डबवाली( अरुण सिंगला )गाव चोरमार में एक औरत द्वारा प्रेमी संग मिलकर अपने ही नौजवान बेटे की योजनाबद्ध तरीके से हत्या करने के मामले में ओढा पुलिस ने मृतक के बड़े भाई को भी हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उधर गत दिनों पकड़े गए आरोपी मा व उसके प्रेमी को अदालत ने एक दिन के पुलिस रिमाड पर भेज दिया है। गौरतलब है कि गाव चोरमार में एक कलियुगी मा मलकीत कौर ने अपने प्रेमी नारग निवासी चरणजीत सिंह के साथ चल रहे अवैध संबंधों में बाधा पैदा करने वाले अपने 20 वर्षीय बेटे सुखा सिंह की साजिश अनुसार शराब में कीटनाशक मिलाने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी थी। हत्या के दोनों आरोपियों को पुलिस ने कल चोरमार से काबू कर लिया था। उन्होंने पुलिस ने सामने अपना जुर्म भी स्वीकार किया था। वहीं आज इसी मामले में पुलिस ने मृतक के बड़े भाई जगमीत सिंह को हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। जगमीत ने पुलिस के सामने स्वीकार करते हुए हत्या का कारण बताया कि मृतक सुखा खुद कोई काम नहीं करता था और रोजाना शराब के लिए पैसे मागकर उसे बेवजह परेशान करता था। पैसे न देने पर घर से उठाकर कोई न कोई समान बेच देता था। इन्हीं कारणों से परेशान होकर उसने हत्या में योजनानुसार शराब में मिलाने के लिए कीटनाशक दवा लाकर दी थी। पुलिस ने जगमीत के खिलाफ भी हत्या मामला कर लिया है। उधर हत्या के मामले में पकड़ी गई कातिल मलकीत कौर व चरणजीत सिंह उर्फ सोहन को डबवाली न्यायालय में पेश किया गया। जहा से दण्डाधिकारी महावीर सिंह के आदेश पर एक दिन के पुलिस रिमाड पर भेज दिया है।
एचएसजीपीसी सदस्यों पर मामला दर्ज
कुरुक्षेत्र(अरुण सिंगला ): शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने गुरुद्वारा छठी पातशाही का प्रबंध अपने हाथों में लेकर परिसर में टास्क फोर्स तैनात कर दी है। एसजीपीसी ने सोमवार को एचएसजीपीसी अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा समेत पांच लोगों को नामजद कर सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ गुरुद्वारे पर हमला बोलने, गुरु घर की मर्यादा तोड़ने व लूटपाट करने के आरोप में केस दर्ज करवाया है। पुलिस को की गई शिकायत में हथियारों से लैस होकर गुरुद्वारे पर हमला करने, गुरु घर की मर्यादा तोड़ने, कैश काउंटर पर कब्जा कर लूटपाट करने, स्टाफ के साथ मारपीट करने, ताले तोड़ने और संगत के रास्ते में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं। एसजीपीसी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि बाद में ही पता चल पाएगा कि दफ्तर का कितना रिकार्ड या कैश गायब है। मक्कड़ ने कहा कि कांग्रेस साजिश की कामयाबी के करीब पहुंच चुकी थी, परंतु झींडा कायरता दिखा कर भाग गए। यदि साजिश कामयाब हो जाती तो सिखों का बड़ा नुकसान हो सकता था। उन्होंने सोमवार को गुरुद्वारा छठी पातशाही में ओहदेदारों के साथ बैठक की। गुरुद्वारे के सामने भारी पुलिस बल डटा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सिखों को आपस में भिड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि अलग कमेटी के नाम पर कांग्रेस कई सालों से राजनीति कर रही है। उसकी हर चाल को नाकाम किया जाएगा।
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