कहां गईं दिल्ली की ये 76 लड़कियां
नई दिल्ली (अरुण सिंगला )।। नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट से एक साल के अंदर 168 लड़कियों का अपहरण हुआ जिनमें से 107 लड़कियां नाबालिग हैं। थोड़ी राहत की बात यह है कि पुलिस इनमें से 92 लड़कियों ढूंढ पाई लेकिन 76 लड़कियों के माता-पिता को अब अपनी बेटियों के मिलने का इंतजार है। शायद ये लड़कियां यमुना विहार से अपहृत की गई 12वीं क्लास की छात्रा की तरह भाग्यशाली नहीं हैं। इसलिए अभी तक अपने माता-पिता से दूर न जाने किन हालातों में रह रही हैं। ज्यादातर लड़कियों के परिवार वाले पुलिस की कार्रवाई से नाराज हैं। सूचना के अधिकार के तहत नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस से यह जानकारी मांगी गई थी कि जनवरी 2008 से लेकर फरवरी 2009 तक डिस्ट्रिक्ट से नाबालिग लड़कियों के अपहरण की कुल कितनी घटनाएं हो चुकी हैं। श्रीराम कॉलोनी में रहने वाले आनंद त्रिवेदी ने जिला पुलिस अधिकारियों से पुलिस स्टेशन वाइज यह जानकारी मांगी थी। इतना ही नहीं उन्होंने प्रत्येक केस की एफआईआर की कॉपी भी मुहैया कराने के लिए कहा। जिला पुलिस अधिकारियों ने उन्हें जो जानकारी उपलब्ध कराई वह चौंकाने वाली रही। पुलिस रेकॉर्ड के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट के एक दर्जन थानों में जनवरी 2008 से लेकर फरवरी 2009 तक लड़कियों के अपहरण के 168 मामले दर्ज हुए। इनमें से 107 लड़कियां नाबालिग हैं। नंद नगरी थाने में अपहरण के 30 मामले दर्ज हुए, जबकि दूसरा नंबर गोकुलपुरी थाने का आता है। लड़कियों के अपहरण के मामले में खजूरी खास थाना तीसरे नंबर पर है। इसके बाद हैं सीलमपुर, वेलकम, भजनपुरा, न्यू उस्मानपुर थाने, क्रम अनुसार इनमें लड़कियों के अपहरण के 17, 16, 15 और 14 मामले दर्ज हुए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर नंद नगरी में अपहरण के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए तो वहां पर अपहृत लड़कियों की बरामदगी का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा है, लेकिन 76 लड़कियों को पुलिस अब तक बरामद नहीं कर पाई। मानसरोवर पार्क इलाके में रहने वाले राजकुमार (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनकी 12 साल की बेटी सरकारी स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ती थी। उनकी पत्नी 2 जनवरी 2009 को बेटी को साथ लेकर स्वामी दयानंद हॉस्पिटल दवाई लेने गई थी। पैरों में दर्द होने के कारण उनकी पत्नी बेटी को लाइन में खड़ा करके घर चली गई। उस दिन के बाद से लड़की घर नहीं लौटी। काफी खोजबीन के बाद भी जब कहीं कोई सुराग नहीं मिला तो उन्होंने थाने में बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। राजकुमार का कहना है कि आठ महीने बाद भी पुलिस उनकी बेटी को ढूंढ नहीं पाई। यह तब है जबकि उन्होंने अपहरण करने वाले शख्स की पूरी जानकारी पुलिस को दे रखी है। उनका कहना है कि पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
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