नई दिल्ली ।अरुण सिंगला । जरा याद करिए सचिन तेंडुलकर का शोएब अख्तर की लगभग डेढ़ सौ किमी की रफ्तार वाली गेंद पर थर्ड मैन बाउंड्री के ऊपर से लगाया गया वह शॉट जिसने 'रावलपिंडी एक्सप्रेस' को पस्त करके वर्ल्ड कप 2003 में पाकिस्तान पर भारत की जीत की नींव रखी थी। एक बार फिर से मैदान सेंचुरियन का वही सुपरस्पोर्ट पार्क होगा और टीमें भी भारत और पाकिस्तान की ही होंगी। तेंडुलकर भी भारतीय पारी का आगाज करने के लिए मौजूद होंगे, लेकिन नहीं होंगे तो शोएब अख्तर, जिन्हें 22 सितंबर से होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तानी टीम में नहीं चुना गया है। अख्तर न हों तो क्या है, चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान तो है। 26 सितंबर को जब इन दोनों देशों के बीच सेंचुरियन पर मैच खेला जाएगा तो तेंडुलकर एक मार्च 2003 को खेली गई 98 रन की उस पारी को दोहराना चाहेंगे, जो उनकी बेस्ट पारियों में गिनी जाती है। तेंडुलकर को सेंचुरियन ही नहीं, बल्कि जोहानिसबर्ग का वॉन्डरर्स मैदान भी खूब भाता रहा है। यहां उन्होंने समय-समय पर अपने बल्ले की चमक बिखेरी है। तेंडुलकर ने सेंचुरियन में अब तक जो सात मैच में खेले हैं, उनमें दो हाफ सेंचुरी की मदद से 305 रन बनाए हैं, जबकि वांडरर्स में उनके नाम पर चार मैचों में 223 रन दर्ज हैं। इसमें 101 रन की पारी भी है। भारत चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान और फिर 28 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया से सेंचुरियन में जबकि 30 सितंबर को जोहानिसबर्ग में वेस्ट इंडीज से भिड़ेगा। भारतीय टीम यदि ग्रुप ए में टॉप पर रहकर सेमीफाइनल में जगह बनाती है और फिर फाइनल में पहुंचती है तो फिर उसे ये दोनों मैच भी सेंचुरियन में खेलने होंगे, जहां अब उसने सात मैच में से चार में जीत दर्ज की है। वॉन्डरर्स में भारत ने अब तक केवल एक मैच जीता है। उसने 2003 वर्ल्ड कप में श्रीलंका को इस मैदान पर 183 रन से हराया था और तब भी तेंडुलकर ने 97 रन की जोरदार पारी खेली थी। यदि सेंचुरियन में तेंडुलकर के प्रदर्शन की बात की जाए तो पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की उनकी पारी का जरूर जिक्र होगा। तब उन्होंने अख्तर के पहले ओवर में ही वह छक्का जड़ा था, जो आज भी वनडे क्रिकेट के सबसे दर्शनीय छक्कों में गिना जाता है। इसके बाद अगली दो बॉल पर उन्होंने चौके जमाए और अख्तर का गेंदबाजी विश्लेषण बिगाड़ दिया। पाकिस्तानी गेंदबाज ने उस मैच में दस ओवर में 72 रन देकर एक विकेट लिया था। सचिन ने उस पारी के बारे में कहा था, 'मैंने शोएब या किसी अन्य गेंदबाज को निशाना नहीं बनाया था। मुझे दो तीन बॉल हिट करने के लायक मिलीं और वे बल्ले पर अच्छी तरह से आईं। शोएब ने शॉर्ट और ऑफ स्टंप से बाहर गेंद की और मैंने उसे अच्छी तरह से हिट किया और वह छह रन के लिए चली गई।' अख्तर भी तेंडुलकर की उस पारी से खासे प्रभावित थे। उन्होंने कहा था, 'सचिन इस खेल के महानतम बल्लेबाज हैं और यदि वह इस तरह के शॉट खेलते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। मैंने ही उन्हें एशियाई चैंपियनशिप 1999 में पहली गेंद पर आउट किया था और यदि उन्होंने मेरी गेंद पर करारा शाट जमाया तो इसका मतलब यह नहीं कि शोएब अख्तर खत्म हो चुका है।' सचिन ने जब यह पारी खेली, तब भारत 274 रन के स्कोर का पीछा कर रहा था, लेकिन भारत के शानदार आगाज से वह लक्ष्य बौना साबित हो गया। तेंडुलकर वैसे सेंचुरियन में जब भी बल्लेबाजी के लिए उतरे, तब उन्होंने हमेशा अच्छी शुरु आत की लेकिन कुछ अवसरों पर वह इसे बड़े स्कोर में तब्दील करने में नाकाम रहे। जहां तक जोहानिसबर्ग के वॉन्डरर्स मैदान का सवाल है तो सचिन ने वहां जो चार मैच खेले, उनमें 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया मैच भी शामिल है, जिसमें उन्होंने सेंचुरी जमाई थी और कप्तान सौरभ गांगुली (127) के साथ मिलकर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई थी। भारत हालांकि गैरी कर्स्टन के नाबाद 133 रन की वजह से यह मैच गंवा बैठा था। संयोग से अब वही कर्स्टन भारतीय टीम के कोच हैं। इसी मैदान पर तेंडुलकर श्रीलंका के खिलाफ नर्वस नाइंटीज के शिकार बने थे, जिसके बाद जवागल श्रीनाथ और आशीष नेहरा ने चार-चार विकेट लेकर टीम की जीत आसान बना दी थी।
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स्पोर्ट्स न्यूज़
Posted by arun singla | Saturday, September 19, 2009 | Category:
सचिन की निगाह कए रेकॉर्ड्स पर
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सचिन को खूब रास आता है सेंचुरियन और वॉन्डरर्स
नई दिल्ली ।अरुण सिंगला । जरा याद करिए सचिन तेंडुलकर का शोएब अख्तर की लगभग डेढ़ सौ किमी की रफ्तार वाली गेंद पर थर्ड मैन बाउंड्री के ऊपर से लगाया गया वह शॉट जिसने 'रावलपिंडी एक्सप्रेस' को पस्त करके वर्ल्ड कप 2003 में पाकिस्तान पर भारत की जीत की नींव रखी थी। एक बार फिर से मैदान सेंचुरियन का वही सुपरस्पोर्ट पार्क होगा और टीमें भी भारत और पाकिस्तान की ही होंगी। तेंडुलकर भी भारतीय पारी का आगाज करने के लिए मौजूद होंगे, लेकिन नहीं होंगे तो शोएब अख्तर, जिन्हें 22 सितंबर से होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तानी टीम में नहीं चुना गया है। अख्तर न हों तो क्या है, चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान तो है। 26 सितंबर को जब इन दोनों देशों के बीच सेंचुरियन पर मैच खेला जाएगा तो तेंडुलकर एक मार्च 2003 को खेली गई 98 रन की उस पारी को दोहराना चाहेंगे, जो उनकी बेस्ट पारियों में गिनी जाती है। तेंडुलकर को सेंचुरियन ही नहीं, बल्कि जोहानिसबर्ग का वॉन्डरर्स मैदान भी खूब भाता रहा है। यहां उन्होंने समय-समय पर अपने बल्ले की चमक बिखेरी है। तेंडुलकर ने सेंचुरियन में अब तक जो सात मैच में खेले हैं, उनमें दो हाफ सेंचुरी की मदद से 305 रन बनाए हैं, जबकि वांडरर्स में उनके नाम पर चार मैचों में 223 रन दर्ज हैं। इसमें 101 रन की पारी भी है। भारत चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान और फिर 28 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया से सेंचुरियन में जबकि 30 सितंबर को जोहानिसबर्ग में वेस्ट इंडीज से भिड़ेगा। भारतीय टीम यदि ग्रुप ए में टॉप पर रहकर सेमीफाइनल में जगह बनाती है और फिर फाइनल में पहुंचती है तो फिर उसे ये दोनों मैच भी सेंचुरियन में खेलने होंगे, जहां अब उसने सात मैच में से चार में जीत दर्ज की है। वॉन्डरर्स में भारत ने अब तक केवल एक मैच जीता है। उसने 2003 वर्ल्ड कप में श्रीलंका को इस मैदान पर 183 रन से हराया था और तब भी तेंडुलकर ने 97 रन की जोरदार पारी खेली थी। यदि सेंचुरियन में तेंडुलकर के प्रदर्शन की बात की जाए तो पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की उनकी पारी का जरूर जिक्र होगा। तब उन्होंने अख्तर के पहले ओवर में ही वह छक्का जड़ा था, जो आज भी वनडे क्रिकेट के सबसे दर्शनीय छक्कों में गिना जाता है। इसके बाद अगली दो बॉल पर उन्होंने चौके जमाए और अख्तर का गेंदबाजी विश्लेषण बिगाड़ दिया। पाकिस्तानी गेंदबाज ने उस मैच में दस ओवर में 72 रन देकर एक विकेट लिया था। सचिन ने उस पारी के बारे में कहा था, 'मैंने शोएब या किसी अन्य गेंदबाज को निशाना नहीं बनाया था। मुझे दो तीन बॉल हिट करने के लायक मिलीं और वे बल्ले पर अच्छी तरह से आईं। शोएब ने शॉर्ट और ऑफ स्टंप से बाहर गेंद की और मैंने उसे अच्छी तरह से हिट किया और वह छह रन के लिए चली गई।' अख्तर भी तेंडुलकर की उस पारी से खासे प्रभावित थे। उन्होंने कहा था, 'सचिन इस खेल के महानतम बल्लेबाज हैं और यदि वह इस तरह के शॉट खेलते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। मैंने ही उन्हें एशियाई चैंपियनशिप 1999 में पहली गेंद पर आउट किया था और यदि उन्होंने मेरी गेंद पर करारा शाट जमाया तो इसका मतलब यह नहीं कि शोएब अख्तर खत्म हो चुका है।' सचिन ने जब यह पारी खेली, तब भारत 274 रन के स्कोर का पीछा कर रहा था, लेकिन भारत के शानदार आगाज से वह लक्ष्य बौना साबित हो गया। तेंडुलकर वैसे सेंचुरियन में जब भी बल्लेबाजी के लिए उतरे, तब उन्होंने हमेशा अच्छी शुरु आत की लेकिन कुछ अवसरों पर वह इसे बड़े स्कोर में तब्दील करने में नाकाम रहे। जहां तक जोहानिसबर्ग के वॉन्डरर्स मैदान का सवाल है तो सचिन ने वहां जो चार मैच खेले, उनमें 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया मैच भी शामिल है, जिसमें उन्होंने सेंचुरी जमाई थी और कप्तान सौरभ गांगुली (127) के साथ मिलकर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई थी। भारत हालांकि गैरी कर्स्टन के नाबाद 133 रन की वजह से यह मैच गंवा बैठा था। संयोग से अब वही कर्स्टन भारतीय टीम के कोच हैं। इसी मैदान पर तेंडुलकर श्रीलंका के खिलाफ नर्वस नाइंटीज के शिकार बने थे, जिसके बाद जवागल श्रीनाथ और आशीष नेहरा ने चार-चार विकेट लेकर टीम की जीत आसान बना दी थी।
नई दिल्ली ।अरुण सिंगला । जरा याद करिए सचिन तेंडुलकर का शोएब अख्तर की लगभग डेढ़ सौ किमी की रफ्तार वाली गेंद पर थर्ड मैन बाउंड्री के ऊपर से लगाया गया वह शॉट जिसने 'रावलपिंडी एक्सप्रेस' को पस्त करके वर्ल्ड कप 2003 में पाकिस्तान पर भारत की जीत की नींव रखी थी। एक बार फिर से मैदान सेंचुरियन का वही सुपरस्पोर्ट पार्क होगा और टीमें भी भारत और पाकिस्तान की ही होंगी। तेंडुलकर भी भारतीय पारी का आगाज करने के लिए मौजूद होंगे, लेकिन नहीं होंगे तो शोएब अख्तर, जिन्हें 22 सितंबर से होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तानी टीम में नहीं चुना गया है। अख्तर न हों तो क्या है, चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान तो है। 26 सितंबर को जब इन दोनों देशों के बीच सेंचुरियन पर मैच खेला जाएगा तो तेंडुलकर एक मार्च 2003 को खेली गई 98 रन की उस पारी को दोहराना चाहेंगे, जो उनकी बेस्ट पारियों में गिनी जाती है। तेंडुलकर को सेंचुरियन ही नहीं, बल्कि जोहानिसबर्ग का वॉन्डरर्स मैदान भी खूब भाता रहा है। यहां उन्होंने समय-समय पर अपने बल्ले की चमक बिखेरी है। तेंडुलकर ने सेंचुरियन में अब तक जो सात मैच में खेले हैं, उनमें दो हाफ सेंचुरी की मदद से 305 रन बनाए हैं, जबकि वांडरर्स में उनके नाम पर चार मैचों में 223 रन दर्ज हैं। इसमें 101 रन की पारी भी है। भारत चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान और फिर 28 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया से सेंचुरियन में जबकि 30 सितंबर को जोहानिसबर्ग में वेस्ट इंडीज से भिड़ेगा। भारतीय टीम यदि ग्रुप ए में टॉप पर रहकर सेमीफाइनल में जगह बनाती है और फिर फाइनल में पहुंचती है तो फिर उसे ये दोनों मैच भी सेंचुरियन में खेलने होंगे, जहां अब उसने सात मैच में से चार में जीत दर्ज की है। वॉन्डरर्स में भारत ने अब तक केवल एक मैच जीता है। उसने 2003 वर्ल्ड कप में श्रीलंका को इस मैदान पर 183 रन से हराया था और तब भी तेंडुलकर ने 97 रन की जोरदार पारी खेली थी। यदि सेंचुरियन में तेंडुलकर के प्रदर्शन की बात की जाए तो पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की उनकी पारी का जरूर जिक्र होगा। तब उन्होंने अख्तर के पहले ओवर में ही वह छक्का जड़ा था, जो आज भी वनडे क्रिकेट के सबसे दर्शनीय छक्कों में गिना जाता है। इसके बाद अगली दो बॉल पर उन्होंने चौके जमाए और अख्तर का गेंदबाजी विश्लेषण बिगाड़ दिया। पाकिस्तानी गेंदबाज ने उस मैच में दस ओवर में 72 रन देकर एक विकेट लिया था। सचिन ने उस पारी के बारे में कहा था, 'मैंने शोएब या किसी अन्य गेंदबाज को निशाना नहीं बनाया था। मुझे दो तीन बॉल हिट करने के लायक मिलीं और वे बल्ले पर अच्छी तरह से आईं। शोएब ने शॉर्ट और ऑफ स्टंप से बाहर गेंद की और मैंने उसे अच्छी तरह से हिट किया और वह छह रन के लिए चली गई।' अख्तर भी तेंडुलकर की उस पारी से खासे प्रभावित थे। उन्होंने कहा था, 'सचिन इस खेल के महानतम बल्लेबाज हैं और यदि वह इस तरह के शॉट खेलते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। मैंने ही उन्हें एशियाई चैंपियनशिप 1999 में पहली गेंद पर आउट किया था और यदि उन्होंने मेरी गेंद पर करारा शाट जमाया तो इसका मतलब यह नहीं कि शोएब अख्तर खत्म हो चुका है।' सचिन ने जब यह पारी खेली, तब भारत 274 रन के स्कोर का पीछा कर रहा था, लेकिन भारत के शानदार आगाज से वह लक्ष्य बौना साबित हो गया। तेंडुलकर वैसे सेंचुरियन में जब भी बल्लेबाजी के लिए उतरे, तब उन्होंने हमेशा अच्छी शुरु आत की लेकिन कुछ अवसरों पर वह इसे बड़े स्कोर में तब्दील करने में नाकाम रहे। जहां तक जोहानिसबर्ग के वॉन्डरर्स मैदान का सवाल है तो सचिन ने वहां जो चार मैच खेले, उनमें 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया मैच भी शामिल है, जिसमें उन्होंने सेंचुरी जमाई थी और कप्तान सौरभ गांगुली (127) के साथ मिलकर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई थी। भारत हालांकि गैरी कर्स्टन के नाबाद 133 रन की वजह से यह मैच गंवा बैठा था। संयोग से अब वही कर्स्टन भारतीय टीम के कोच हैं। इसी मैदान पर तेंडुलकर श्रीलंका के खिलाफ नर्वस नाइंटीज के शिकार बने थे, जिसके बाद जवागल श्रीनाथ और आशीष नेहरा ने चार-चार विकेट लेकर टीम की जीत आसान बना दी थी।
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