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पाकिस्तान में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करने की भारतीय श्रद्धालुओं की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है। अभी ये लोग गुरुद्वारे से तीन किमी की दूरी पर भारतीय सीमा में धुस्सी बांध पर बने एक प्लेटफार्म से दर्शन करते हैं। यहां से गुरुद्वारे का सिर्फ गुंबद दिखाई देता है। डेरा बाबा नानक और गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के बीच कई दशकों से एक कारीडोर की मांग की जा रही है। पाकिस्तान सरकार ने अपनी ओर इस कारीडोर को बनाने की घोषणा भी कर दी है लेकिन भारत सरकार की ओर से अभी कोई मंजूरी नहीं दी है। इस संदर्भ में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) प्रधानमंत्री को कई पत्र लिख चुकी है। एसजीपीसी की साधारण सभा ने भी कई बार इस संदर्भ में प्रस्ताव पारित किए हैं। पिछले साल केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी ने डेरा बाबा नानक का दौरा किया था। उस समय उन्हें करतारपुर साहिब के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई थी। सिख नेताओं ने कारीडोर के निर्माण की मांग की थी। तब मुखर्जी ने कारीडोर के निर्माण का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हुई है। पाकिस्तान की ओर बहती रावी नदी किनारे स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन अभी भारतीय सीमा में बने धुस्सी बांध के ऊपर बने एक बड़े प्लेटफार्म से किए जाते हैं। हालांकि श्रद्धा से सराबोर श्रद्धालु दर्शन के लिए रोज डेरा बाबा नानक की अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट पहुंच जाते हैं। भारत-पाक निगरानी चौकी से आधा किमी दूर स्थित इस प्लेटफार्म में पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सीमा सुरक्षा बल के जवानों की जांच से गुजरना पड़ता है। 6 मई 2008 से पहले श्रद्धालु धुस्सी बांध पर खड़े होकर करतारपुर साहिब के दर्शन करते थे। बाबा गुरचरण सिंह बेदी, बाबा जगदीप सिंह बेदी मेमोरियल चैरिटेबल अस्पताल व बाबा सुखदीप सिंह बेदी (श्री गुरु नानक देव जी की 17वीं पीढ़ी के वंशज) ने इस प्लेटफार्म का निर्माण किया। इसको दर्शन स्थल का नाम दिया। तब से श्रद्धालु इस स्थल पर खड़े होकर दर्शन करते हैं।
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