विधायकी नहीं रही तो पान की दुकान ही सही
कभी चाय की दुकान उनके परिवार की जीविका का साधन हुआ करती थी और अब पान की दुकान से होने वाली आय पर उनका परिवार निर्भर है। वैसे तो न जाने कितने परिवार चाय और पान की दुकान से होने वाली आय पर पर जीते हैं लेकिन जब बात किसी एक पूर्व विधायक की हो तो चौंकना लाजिमी है। जी हां, लखनऊ में एक ऐसे पूर्व विधायक हैं, जिनका परिवार एक पान की दुकान से होने वाली आय पर चल रहा है। पूर्व विधायक हैं चौधरी तारा चंद्र सोनकर। वह 1985 में लखनऊ जिले की मोहनलालगंज विधानसभा सीट से विधायक हुए थे। हाल के वर्षो में राजनीति में जो बदलाव आया, उसमें विधायक तो बड़ी बात किसी स्थानीय निकाय का एक बार सभासद निर्वाचित हो जाने के बाद उसके परिवार की पूरी जीवन शैली में बदलाव आ जाता है लेकिन तारा चंद्र सोनकर जैसे बिरले ही हैं जो पांच साल विधायक रहने के बाद भी अपने परिवार को जिंदा रखने के लिए चाय या पान की दुकान पर निर्भर रहना पड़ता है। विधायक बनने से पहले भी तारा चंद्र सोनकर लखनऊ के बर्लिंग्टन चौराहे से उदयगंज जाने वाली सड़क पर एक किनारे चाय की छोटी सी दुकान से अपने परिवार को पाला करते थे। तीन बेटों व पांच बेटियों की परवरिश भी उन्होंने चाय बेचकर की। कांग्रेस से उनका पुराना जुड़ाव था। 1985 में मोहनलालगंज से उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट मिला और पहली बार में ही उन्होंने जीत दर्ज कर ली। कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका जीवन फिर अपने होटल के इर्दगिर्द ही सिमट गया। बेटों के रोजगार की कोई मुकम्मल व्यवस्था न होने और चाय की दुकान में मंदी छाने से उन्होंने पान की दुकान खोल ली। बेटे बिल्लू सोनकर ने पान की दुकान तो जरूर संभाली, लेकिन चौधरी ताराचंद सोनकर भी दुकान पर सुबह दस से शाम पांच बजे तक समय देने लगे। इस दौरान बतौर पूर्व विधायक क्षेत्र के लोग अगर अपनी किसी समस्या को लेकर उनके पास आ जाते हैं तो उसे भी वह सुनते हैं और पूरी कोशिश उसके निदान के लिए करते हैं। छितवापुर के मूल निवासी ताराचंद के पास एक मोटर सायकिल है, जो बेटा चलाता है।
कुंवारी को विवाहिता व तिनके को बताया आशियाना
बेगूसराय जिले के लड़ुआरा पंचायत के बीड़ी मजदूरों के लिये श्रम एवं नियोजन विभाग के मंत्रालय द्वारा आवंटित 129 इंदिरा आवास के मामले में पंचायत सचिव द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने का मामला प्रकाश में आया है। बीडीओ ने आवंटित 129 आवासों के लिए पंचायत सचिव को यह जांचने का आदेश दिया कि सूचीबद्ध बीड़ी मजदूरों ने पूर्व से आवास का लाभ लिया है या नहीं। इसी आदेश के आलोक में पंचायत सचिव ने जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं। प्रतिवेदन में कई बेघरों व जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी वालों को भी पक्का भवन होने की बात कही है। इस बाबत बीड़ी मजदूरों ने बताया कि पंचायत सचिव के प्रतिवेदन के क्रमांक 3 में श्रीमती अख्तरी खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 10 में मो. सरवर की पत्नी रौशन खातून को पक्का भवन दर्शाया है जबकि उसके पास भी झोपड़ी है। क्रमांक 13 मो. अफजल की पुत्री गजाला परवीन को शादीशुदा ससुराल हर्रख बताया गया है जबकि गजाला की अब तक शादी ही नहीं हुई। क्रमांक 20 मो. मोकर्रम की पत्नी नसीमा खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि वह बेघर है और अपने चाचा के जीर्ण-शीर्ण खपड़ैल मकान में गुजर-बसर कर रही है। क्रमांक 58 में मो. नसीम की पत्नी शबाना खातून को पक्का घर दर्शाया गया है जबकि वह बेघर है और बहनोई के घर में रहती है। क्रमांक 57 में मो. अताउल्लाह की पत्नी श्रीमती शबनम को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 76 में मो. वकील की पत्नी हसरून निशां को पक्का भवन दर्शाया गया है जबकि उसके पास टूटी झोपड़ी है। क्रमांक 93 में मो. ऐनुल हक को पंचायत शिक्षक दर्शाया गया है। जबकि वह बीड़ी मजदूर है। बीड़ी मजदूरों का आरोप है कि पंचायत सचिव के पत्रांक सं.11 को 27.08.09 में बीडीओ को सौंपा गया प्रतिवेदन झूठ का पुलिंदा है। वास्तविक लाभुकों को आवास की सुविधा से वंचित करने के लिये पंचायत सचिव ने अनियमितता बरती है। इस संबंध में पूछे जाने पर सदर प्रखंड के बीडीओ प्रमोद कुमार ने कहा प्रतिवेदन की स्थलीय जांच में दोषी पाये जाने पर पंचायत सचिव के विरुद्ध विधि सम्मत विभागीय कार्रवाई की जायेगी। इस गड़बड़ी की चर्चा सरेआम होने पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। इधर जदयू के जिलाध्यक्ष भोला कांत झा के नेतृत्व में एक जांच टीम बनायी गयी। टीम ने गुरुवार को लड़ुआरा का दौरा कर जायजा लिया। इसमें वर्णित आरोपों को सत्य पाया गया है। उसने पंचायत सचिव द्वारा बीडीओ को सौंपे जांच प्रतिवेदन सोची-समझी साजिश के तहत झूठ का पुलिंदा करार दिया है। जांच दल में शामिल जदयू जिलाध्यक्ष भोलाकांत झा, आजाद बीड़ी मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव मो. एहतेशामुल हक अंसारी, कार्यकारिणी सदस्य अनिरूद्ध पासवान, लड़ुआड़ा पंचायत के सरपंच नीरज पटेल मो. आजाद, सुरेश कुमार झा ने जिलाधिकारी जितेन्द्र श्रीवास्तव को आवेदन देकर जांच कर पंचायत सचिव के निलंबन की मांग की है तथा सभी 129 बीड़ी मजदूरों को इंदिरा आवास देने का अनुरोध किया है।
कंप्यूटर के युग में भी पंजाब पुलिस का खुफिया विभाग पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहा है। खुफिया विभाग आज भी जानकारी जुटाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करता है। इसके लिए बकायदा खुफिया विभाग के मुलाजिमों को बीस रुपये प्रति माह साइकिल एलाउंस भी दिया जाता है। सरकार की ओर से दिया जाने वाला बीस रुपये का साइकिल एलाउंस विभाग की कार्यप्रणाली और खुफिया मुलाजिमों की क्षमता पर कई तरह के सवाल खड़े करता है। इतना ही नहीं खुफिया विभाग के जवानों को 25 रुपये प्रतिमाह किट मेन्टेनेंस और 100 रुपये प्रति माह राशन मनी के नाम पर दिए जाते हैं, जो कमरतोड़ मंहगाई के दौर में मजाक सा है। 24 घंटे ड्यूटी करने वाले विभाग के इन जवानों का स्केल दिन में छह घंटे ड्यूटी करने वाले जेबीटी अथवा बीएड अध्यापक से भी कम है। हालांकि इन जवानों को कई बार वेतन आयोग द्वारा अध्यापकों के वेतनमान के बराबर लाने की भी कोशिश की गई। पंजाब विधानसभा में सबसे पहले खुफिया विभाग के कर्मचारियों के हक में सवाल रिटायर डीएसपी नरोट मेहरा व विधायक विशंभर दास ने उठाया था। मगर अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विधायक दास का कहना है कि आज जिस तरह से आतंकियों व अपराधियों से चुनौती मिल रही है, उसके लिए खुफिया विभाग को मजबूत व कर्मचारियों को उत्साहित करने की जरूरत है। आईजी हेडक्वार्टर पराग जैन भी मानते है कि आज युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में आने के लिए उत्साहित किए जाने की जरूरत है। जल्द ही पंजाब में कम्यूनिटी ओरिएंटेड पुलिस बनाई जा रही है। इसके अलावा जवानों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग उनके वेलफेयर और उनको ऊंचा उठाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम बनाए गए हैं, जो सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद लागू कर दिए जाएंगे। आईजी जोनल संजीव कालड़ा ने भी माना कि लंबे अरसे से इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। पुलिस मुलाजिमों और खुफिया विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर जितना काम का बोझ है उस हिसाब से न तो उनके पास सुविधाएं है और न ही उन्हें मेहनत का पूरा फल मिल रहा है। हालांकि उन्होंने विभाग की तरफ से सरकार को कुछ सुझाव दिए थे। इस संबंध में एक वेलफेयर बैठक इस माह के अंत या अगले माह के शुरू में आयोजित की जाएगी। बैठक में कुछ अहम फैसले लिए जाने की संभावना है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों पर अमल करते हुए कर्मचारियों की दिक्कतों को दूर करने की कोशिश करेगी।
पाक आतंकियों से बचाए परमाणु अस्त्र : भारत
नई दिल्ली: पाकिस्तान में हर रोज हो रहे आतंकी हमलों के मद्देनजर भारत ने विश्व समुदाय का ध्यान वहां मौजूद परमाणु अस्त्रों पर मंडरा रहे खतरों की तरफ दिलाया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की सचिव निरुपमा राव ने कहा कि परमाणु हथियार पाक में सक्रिय आतंकियों के पहुंच से दूर रखने की जरूरत हैं। उन्होंने मुंबई हमलों के दोषियों पर कार्रवाई को लेकर पाक के धीमे पड़ने पर भी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि पाक के इस रवैये के पर भारत ने अपनी राय इस्लामाबाद को बता दी है। विदेश सचिव का इशारा सीधे तौर पर यही था कि किसी एक घटना के लिए जिम्मेवार आतंकियों पर नरमी बरतने का ही खामियाजा है कि उसके अपने घर में भी लगातार हमले हो रहे हैं।
पाक के परमाणु ठिकानों तक पहुंच गए आतंकी
इस्लामाबाद: संदिग्ध तालिबान आतंकियों ने पाकिस्तान में फिर खूनी खेल खेला। आतंकियों ने शुक्रवार को एक के बाद एक देशभर में तीन बड़े हमले किए। इनमें से एक हमला तो कामरा वायुसेना ठिकाने पर बोला गया। इसे पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा अहम ठिकाना माना जाता है। आतंकियों ने बारात ले जा रही बस को उड़ा दिया। एक रेस्तरां के बाहर भी धमाका किया गया। इन हमलों में 26 लोगों की जान चली गई। कई दर्जन लोग जख्मी भी हुए हैं। आतंकियों ने जुमे के दिन पहला हमला पंजाब प्रांत में पाकिस्तानी वायुसेना के कामरा ठिकाने पर बोला। साइकिल सवार आत्मघाती हमलावर ने सुबह सबेरे इस ठिकाने की एक चेक पोस्ट पर खुद को धमाके से उड़ा लिया। जोरदार धमाके की चपेट में आए आठ लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इनमें से दो वायुसेना के सुरक्षागार्ड थे। इस हमले में करीब डेढ़ दर्जन लोग जख्मी भी हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। सुरक्षा गार्डो ने जैसे ही उसे रोका उसने अपनी सुसाइड जैकेट में धमाका कर दिया। पुलिस का कहना है कि उसकी जैकेट में तबाही मचाने का करीब पांच किलोग्राम सामान भरा था। अमेरिका के सामरिक थिंक टैंक स्ट्रेटफोर के मुताबिक कामरा ठिकाने पर हमले से पाक के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर फिर आशंकाएं उभर सकती हैं। कामरा पाक की वायुसेना का सबसे बड़ा रखरखाव और शोध प्रतिष्ठान बताया जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम जंगी विमान भी इस ठिकाने पर ही रखे गए हैं।
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